Raipur News: अभिजीत मुहूर्त में जगमगाई 40 हजार से ज्यादा मनोकामना जोत, देवी मंदिरों में सुबह से रात तक भक्तों का लगा तांता"/> Raipur News: अभिजीत मुहूर्त में जगमगाई 40 हजार से ज्यादा मनोकामना जोत, देवी मंदिरों में सुबह से रात तक भक्तों का लगा तांता"/>

Raipur News: अभिजीत मुहूर्त में जगमगाई 40 हजार से ज्यादा मनोकामना जोत, देवी मंदिरों में सुबह से रात तक भक्तों का लगा तांता

रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। पद्म योग के संयोग में रविवार को नवरात्र का शुभारंभ हुआ। देवी मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त में माता की प्रतिमा का अभिषेक करके सोने के आभूषणों से श्रृंगार किया गया। विधिवत मंत्रोच्चार के साथ घट स्थापना करके अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11.36 से 12.24 के मध्य महाजोत प्रज्वलित की गई। महाजोत से जोत लेकर हजारों श्रद्धालुओं की मनोकामना जोत के प्रज्वलन का सिलसिला शाम तक चलता रहा।

पुरानी बस्ती के महामाया मंदिर में प्रधान बैगा और प्रधान पुजारी के सान्निध्य में एक बालिका का हाथ लगवाने की रस्म निभाकर जोत प्रज्वलित कराने की परंपरा निभाई गई। शंकराचार्य आश्रम के मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर, कुशालपुर के दंतेश्वरी मंदिर, ब्राह्मण के कंकाली मंदिर, अमीनपारा के शीतला मंदिर समेत अनेक देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं ने स्वयं जोत प्रज्वलित की। मंदिरों में सुबह से रात तक भक्ति उल्लास छाया रहा।

घर-घर में घट स्थापना कर जंवारा बोया

देवी मंदिरों के अलावा अनेक श्रद्धालुओं ने अपने घर पर माता के त्रिशूल की छाप बनाकर घट स्थापना की। जोत प्रज्वलित करने से पहले जंवारा बोने की रस्म निभाई।

चकमक पत्थर की चिंगारी से महाजोत प्रज्वलित

महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला ने बताया कि मंदिर में 100 से अधिक वर्षों से चकमक पत्थर को रगड़कर उससे निकलने वाली चिंगारी से महाजोत का प्रज्वलन करने की परंपरा निभाई जा रही है। मंदिर में एक छोटी सी बालिका के हाथों महाजोत प्रज्वलित की गई। इसके पश्चात शाम तक 10 हजार से अधिक मनोकामना जोत प्रज्वलित की जाती रही।

त्रिपुर सुंदरी में जोत कलश

शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी ब्रह्मचारी डा. इंदुभवानंद ने बताया कि ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी ललिता प्रेमाम्बा मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर में पराम्बा भगवती राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी का श्री विग्रह स्फटिक मणि से निर्मित है, जो विश्व का अद्वितीय विग्रह है। स्फटिक मणि से मूर्ति बनाना अत्यंत कठिन काम है। शंकराचार्य महाराज के 20 वर्ष के प्रयास के बाद यह मूर्ति बनकर तैयार हुई थी। स्फटिक मणि की मूर्ति के दर्शन करने से व्यक्ति धन-धान्य से संपन्न हो जाता है। मंदिर में सैकड़ों जोत कलश की स्थापना की गई। प्रतिदिन श्रीयंत्र का नवावरण पूजन संपन्न होगा। कमल से अर्चन होगा। रतन की पुष्पांजलि दी जाएगी। पहले दिन पूजन में तारिणी तिवारी, विवेक महर्षि, अनिल पांडे, जीएस चौहान भुनेश्वर यादव राजेश्वरी पटेल माना सीएमओ, विमल पूनम शर्मा एल पी वर्मा आदि उपस्थित रहे।

मंदिर जोत संख्या

    • महामाया मंदिर 10484
    • बंजारी मंदिर 9260
    • काली मंदिर 4100
    • दंतेश्वरी मंदिर 1500
    • कंकाली मंदिर 1100
    • शीतला मंदिर 1100
    • शीतला मंदिर आमापारा 601
    • त्रिपुर सुंदरी मंदिर 1100

पंडालों में विराजीं मां दुर्गा की प्रतिमा

राजधानी के विविध मोहल्लों में 200 से अधिक पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमाओं को विधिविधान से स्थापित किया गया। सुबह से रात तक पंडालों में प्रतिमाएं विराजित करने का सिलसिला चलता रहा। हाउसिंग बोर्ड कालोनी सेजबहार, टिकरापारा, कालीबाड़ी, बूढ़ापारा, सुंदर नगर, गुढ़ियारी, डीडी नगर समेत अनेक कालोनी के लोगों में उल्लास छाया रहा।

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