Chhattisgarh Election 2023: चुनावी ड्यूटी से बचने कोई कमर दर्द तो कोई बच्चे की पढ़ाई का बना रहे बहाना, सुगर-बीपी समेत इन कारणों का दे रहे हवाला
HIGHLIGHTS
- अकेले रायपुर जिले में ड्यूटी से नाम कटवाने के लिए 350 से ज्यादा कर्मियों ने दिए आवेदन
- आठ फीसदी आवेदनों में महिलाओं के गर्भवती होने का दिया हवाला
- मेडिकल बोर्ड के जरिए आवेदकों की स्वास्थ्य जांच होगी
रायपुर (नईदुनिया)।Chhattisgarh Election 2023: चुनाव की तारीखों की घोषणा होते ही निर्वाचन आयोग चुनावी ड्यूटी करने वाले अफसर-कर्मियों की सूची तैयार कर रहा है और इधर अधिकारी-कर्मचारी खुद को निर्वाचन कार्यों से अलग करने के लिए तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं। ड्यूटी से नाम कटवाने के लिए तकरीबन 350 से ज्यादा कर्मियों ने आवेदन दिए हैं। एक बाबू ने आवेदन दिया है कि उनकी कमर में दर्द है और उठने-बैठने में तकलीफ है, इसलिए उन्हें चुनाव ड्यूटी से छूट दी जाए।
वहीं एक महिला ने आवेदन में बताया कि उनका बच्चा यूपीएससी की तैयारी कर रहा है, इसके लिए उसकी देखभाल के लिए उसे चुनाव ड्यूटी से पृथक किया जाए। इसके अलावा अधिकांश मामलों में शुगर और बीपी की बीमारी होने का भी हवाला दिया गया है। वहीं तृतीय श्रेणी की एक महिला ने आवेदन किया है कि उनकी और उनके पति दोनों की तबीयत खराब रहती है। बच्चे बाहर नौकरी कर रहे हैं। अवकाश चाहिए। किसी ने रीढ़ की हड्डी में परेशानी होना बताया है।
वहीं दूसरी ओर यही आवेदन करने वाले कर्मचारी-अधिकारी कई वर्षों से बिना किसी परेशानी के अपने-अपने विभाग में नौकरी कर रहे हैं। इस चुनाव में लगभग 12 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की जिले में जरूरत पड़ेगी। ऐसे में आयोग को ही इस मामले में सख्ती दिखानी पड़ेगी।
आवेदकों में महिलाओं की संख्या ज्यादा
जिला उप निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि ड्यूटी से नाम हटवाने वालों में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। लोग बच्चों के छोटे होने का हवाला देकर ड्यूटी से हटाने को कह रहे हैं। इसके अलावा पति-पत्नी दोनों के कर्मचारी होने से लोग पत्नी को ड्यूटी से बचाने के लिए ऐसे आवेदन दे रहे हैं। बच्चों की देखभाल के लिए चुनाव से मुक्ति चाहिए। आठ फीसदी आवेदनों में महिलाओं के गर्भवती होने का हवाला दिया।
मेडिकल बोर्ड रोज करवाएगा जांच
इन सभी प्रकार के आवेदनों और बीमारियों के झूठे और सच्चे कारणों को पकड़ने के लिए अब मेडिकल बोर्ड के जरिए स्वास्थ्य जांच करवाने की बात कही जा रही है। इसके लिए तीन डाक्टरों का पैनल बनाया जा रहा है, जो कि जिला अस्पताल में आचार-संहिता से पहले तक सप्ताह में दो दिन मेडिकल बोर्ड आवेदकों के सेहत की जांच करता था, वह अब रोजाना ऐसे कर्मचारियों की जांच करेगा।
साफ्टवेयर में जानकारी कर रहे अपलोड
अधिकारियों के अनुसार नियमों के तहत ही नाम हटाए जा रहे हैं, लेकिन उस पर भी सीधे जिला निर्वाचन अधिकारी का अप्रूवल होना जरूरी है। इसके बाद उसे एनआइसी द्वारा उसी साफ्टवेयर पर अपलोड किया जा रहा है, जिस साफ्टवेयर से कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।