छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में मरीजों को नहीं मिल रहा आयुष्मान योजना का लाभ, जानिए जमीनी हकीकत
HIGHLIGHTS
- अंबेडकर अस्पताल में नहीं मिल पा रहा आयुष्मान योजना का लाभ
रायपुर। Ayushman Yojana in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सरकारी और निजी अस्पतालों में करीब एक माह से मरीजों को आयुष्मान योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। आयुष्मान योजना का सर्वर बंद होने से यह सेवा बंद है, जिसके कारण अस्पतालों में एक भी हितग्राही का नया कार्ड नहीं बन पा रहा है।
सर्वर नहीं चलने से मरीजों के इलाज का डाटा अपलोड कर राशि का क्लेम अस्पताल संचालक नहीं कर पा रहे हैं। यह पहली बार नहीं है कि आयुष्मान का पोर्टल बदला गया है। ऐसा लगातार निश्चित अंतराल में हो रहा है। अब तक दो से तीन बार पोर्टल बदला जा चुका है, जिससे लोगों के साथ ही अस्पताल और सेंटर संचालकों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
आयुष्मान योजना में पांच लाख तक का निश्शुल्क इलाज
आयुष्मान योजना में एपीएल परिवार को 50 हजार तक तथा बीपीएल कार्डधारक परिवार को पांच लाख तक निश्शुल्क इलाज मिलता है। आपात स्थिति में फंस रहे मरीज प्रदेश में राशन कार्ड के जरिए अस्पतालों में हितग्राहियों का पंजीयन करवाने की व्यवस्था की गई है।
वहीं, च्वाइस सेंटरों में भी मरीज भर्ती होने के बाद पंजीयन के लिए जाते हैं। लेकिन आपात स्थिति में आ रहे मरीजों का न तो पंजीयन ही हो पा रहा है और न ही आनलाइन कार्ड मिल पा रहा है। स्कैन कर मेल से भेज रहे फाइल आंबेडकर अस्पताल में डिस्चार्ज होने वाले मरीजों के इलाज के सारे दस्तावेज स्कैन कर मेल के माध्यम से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास भेजा जा रहा है। इससे कर्मचारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
आंबेडकर अस्पताल में पदस्थ आयुष्मान योजना के एक कर्मचारी ने बताया कि रोजाना 250 से 300 मरीजों का डाटा स्कैन कर भेजा जा रहा है। मरीजों के दस्तावेज जमा किए जा रहे हैं। ओपीडी में आने वाले मरीजों को टेस्ट कराने में परेशानी आ रही है। निजी अस्पतालों में स्थिति काफी खराब है। मरीजों से इलाज के बदले पूरी राशि ली जा रही है।
डा. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता बीमा एंव आयुष्मान योजना के स्टेट नोडल अधिकारी केआर सोनवानी ने कहा, सर्वर में समस्या है, जिसे यहां से ठीक नहीं कराया जा सकता है। केंद्रीय टीम द्वारा सारी प्रक्रिया की जा रही है। लगातार आ रही समस्याओं की जानकारी रोजाना दी जा रही है। कब तक ठीक होगा, यह कह पाना मुश्किल है।