केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा, देश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में हो रहा बड़ा बदलाव
International Lawyers Conference: केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में 9 वर्षों में कई कानूनों में बदलाव किए गए।
HIGHLIGHTS
- इंटरनेशनल लायर्स कान्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री अमित शाह।
- देश में 9 वर्षों में कई कानूनों में बदलाव किए गए।
- कानूनों में हो रहे बदलाव इन्हें रेलेवेंट बनाते हैं।
International Lawyers Conference : नई दिल्ली। देश की राजधानी नई दिल्ली में बार काउंसिल आफ इंडिया द्वारा बुलाई गई दो दिवसीय इंटरनेशनल लायर्स कान्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने संबोधित किया। केंद्रीय मंत्री ने केंद्र सरकार के द्वारा देश के कानून में किए गए बदलावों को लेकर बताया। उन्होंने कहा कि अब क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के तहत तीन नए कानूनों को लाया जा रहा है। देश में यह कानून 160 साल बाद नई व्यवस्था और नए दृष्टिकोण के साथ लाए जा रहे हैं।
देश के कानून में 9 वर्ष में किए बहुत से बदलाव
केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में 9 वर्षों में कई कानूनों में बदलाव किए गए। पिछले 9 वर्षों में ‘आर्बिट्रेशन कानून, मीडियेशन कानून और जन विश्वास बिल’ ने देश की न्यायपालिका का बोझ कम किया है। केंद्र सरकार द्वारा जन विश्वास बिल में 300 कोड को एलिमिनेट कर सिविल ला में बदलाव लाया गया।
केंद्रीय मंत्री ने इंटरनेशनल लायर्स कान्फ्रेंस में कहा कि देश में न्याय ही है जो संतुलन बनाकर रखता है, इसी वजह से संविधान निर्माताओं ने इसे अलग रखने का निर्णय लिया था।
इनसाल्वेंसी एक्ट और जीएसटी में भी बदलाव
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि कोई कानून पूर्ण रूप में नहीं होता, कार्यान्वयन में परेशानी आने पर उसमें सुधार होना चाहिए। कानून बनाने का मकसद एक सुचारु व्यवस्था बनाना है। कानूनों में हो रहे बदलाव इन्हें रेलेवेंट बनाते हैं। इनसाल्वेंसी एक्ट और जीएसटी में भी बदलाव हो रहे हैं।
कानूनों का मकसद न्याय देना
केंद्रीय मंत्री ने कान्फ्रेंस में कहा कि न्याय के लिए शक्ति का संतुलन बहुत जी जरूरी है। इसी के जरिए ऐसे समाज की निर्माण हो सकता है जो न्यायपूर्ण हो। न्याय के बिना शक्ति अत्याचारी होती है और शक्ति के बिना न्याय शक्तिविहीन हो जाता है। उन्होंने कहा कि पुराने कानूनों का मकसद अंग्रेजी शासन को मजबूत बनाकर दंड देने का था, ये कानून न्याय करने के लिए नहीं थे। अब इन तीनों कानूनों का मकसद न्याय देना है।