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स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित, भाजपा का समर्थन, कहा- सत्ता मिलने पर सभी मांगें होंगी पूरी

रायपुर: छत्तीसगढ़ हेल्थ फेडरेशन के 35,000 डाक्टर्स, नर्से, ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक विगत 16 दिनों से तूता स्थित धरना स्थल में अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। इसकी वजह से ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाएं लगभग ठप पड़ी हुई हैं। इसी बीच शासन की ओर से एस्मा लगाने के बाद निलंबन की कार्रवाई भी शुरू कर दी है। अब तक लगभग 4,084 लोगों को सेवा से निलंबित कर दिया गया है।

इसी बीच भाजपा के नेताओं ने धरना स्थल पहुंचकर अपना समर्थन दिया। साथ ही प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने घोषणा कर दी कि सरकार बनने पर सभी कर्मचारियों की मांगें स्वीकृत की जाएगी। इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया है।

अध्यक्ष डा. इकबाल हुसैन एवं स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष टार्जन गुप्ता ने संयुक्त बयान में कहा कि छत्तीसगढ़ हेल्थ फेडरेशन अपनी पांच सूत्रीय मांगों के लिए तूता के धरना स्थल में आंदोलनरत है। सरकार हमारी मांगो पर एक्शन न लेते हुए हमारे अधिकारियों, कर्मचारियों पर बर्खास्तगी एवं निलंबन की कार्रवाई कर रही है, जो कि न्याय संगत नहीं है। इस तरह की दमनात्मक कार्रवाई से छत्तीसगढ़ हेल्थ फेडरेशन के डाक्टर, नर्स एवं ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों में भारी आक्रोश है।

हलषष्ठी माता से सरकार को सद्बुद्धि देने की कामना

माना-तूता स्थित धरना स्थल में जुटे सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा आह्वाहन किया गया, कि जब तक उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जाता, तब तक ये आंदोलन जारी रहेगा। इसी बीच बर्खास्त एवं निलंबित कर्मचारियों ने धरना स्थल पर ही हलषष्ठी का त्यौहार मनाया और सरकार की सदबुद्धि के लिए हलषष्ठी माता से प्रार्थना की।

यह हैं प्रमुख मांगें

वेतन विसंगति- ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक, एएनएम/एमपीडब्लयू एवं स्टाफ नर्स का ग्रेड पे।

कोविड इंसेटिव- कोविड काल में सेवा देने वाले चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष काेरोना भत्ता।

अवकाश दिवस का भुगतान- स्वास्थ्य के कर्मचारी शनिवार व रविवार को भी सेवाएं देते हैं। इसलिए अवकाश दिवस का भी भत्ता।

सेटअप की स्वीकृति एवं भर्ती- मरीजों की संख्या के साथ हेल्थ सेटअप रिवाइज नहीं किया गया है। जिससे कर्मियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। इसलिए भर्ती और सेटअप रिवाइज किया जाए।

हिंसात्मक गतिविधियों में रोक- डाक्टराें सहित अन्य स्टाफ के साथ मारपीट की घटनाएं होती रहती हैं। ऐसी स्थिति में तत्काल एफआइआर, आरोपी को मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट एवं हिंसात्मक घटनाओं के विरूद्ध कार्रवाई।

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