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CG Election 2023: रायपुर संभाग में उलट गई बाजी, चार जिलों में भाजपा को झटका, धमतरी ने बचाई लाज

रायपुर Chhattisgarh Election 2023: वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में दुर्ग संभाग के बाद सबसे बड़ी भूमिका रायपुर संभाग की विधानसभा सीटों पर जीते कांग्रेस प्रत्याशियों ने निभाई। तीन चुनाव में लगातार कांग्रेस विधायकों का आंकड़ा रायपुर संभाग में दहाई को पार नहीं कर पा रहा था, लेकिन 2018 के चुनाव में मतदाताओं ने कांग्रेस उम्मीदवारों पर भरोसा जताया और 14 सीट कांग्रेस की झोली में पहुंच गई। खास बात यह है कि 2013 के चुनाव में संभाग की 14 सीट भाजपा के पाले में थी।

वर्ष-2018 के विधानसभा चुनाव में रायपुर संभाग के चार जिलों महासमुंद, बलौदबाजार, रायपुर और गरियाबंद के मतदाताओं ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया। यह भी कह सकते हैं कि इन जिलों में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया। धमतरी जिला ही एकमात्र था, जिसने भाजपा की लाज बचाई। यहां की तीन सीट में से दो पर भाजपा को जीत मिली। वर्ष-2013 विधानसभा चुनाव के ठीक विपरीत वर्ष-2018 का परिणाम सबके सामने आया। ऐसा चुनाव परिणाम की न तो भाजपा और न ही कांग्रेस को उम्मीद थी। राजनीति विशेषज्ञ भी चुनाव परिणाम को देखकर हैरान थे। सभी एग्जिट पोल को मतदाताओं के उत्साह ने सिरे से खारिज कर दिया।

कई दिग्गजों को नए नेताओं ने चटाई धूल

वर्ष-2013 के विधानसभा चुनाव में रायपुर संभाग की 20 सीटों में से 14 पर भाजपा का कब्जा था, जो 2018 में सिर्फ पांच पर सिमट गया। कांग्रेस 2013 में मिली पांच सीटों को बढ़ाकर 14 सीट तक पहुंच गई। पिछले चुनाव में भाजपा के कई दिग्गजों नेताओं को नए और युवा चेहरों ने धूल चटा दी। विधानसभा अध्यक्ष रहे गौरीशंकर अग्रवाल को कसडोल सीट से शकुंतला साहू ने पटखनी दी।

तीन बार से लगातार धरसींवा से विधायक चुने जा रहे देवजी पटेल को अनिता शर्मा ने करारी शिकस्त दी। अनिता शर्मा के पति योगेंद्र शर्मा की झीरम घाटी नक्सली हमले में मौत हुई थी। कांग्रेस ने 2013 के चुनाव में भी अनिता को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह जीत नहीं पाई थी। रायपुर पश्चिम सीट से 15 साल मंत्री रहे राजेश मूणत को युवा नेता विकास उपाध्याय ने हराया। हालांकि विकास को 2013 के चुनाव में मूणत से हार का सामना करना पड़ा था।

हार की मुख्य वजह

सरकार के खिलाफ एंटीइनकंबेंसी

प्रदेश में 15 वर्षों में जो काम किए थे, उसको लेकर भाजपा में काफी ओवर कान्फिडेंस था। इसे लेकर लोगों में असंतोष था, जो भाजपा को काफी महंगा साबित हुआ। भाजपा के बड़े-बड़े मंत्री और दिग्गज विधायकों को हार का सामना करना पड़ा। रायपुर जिले में काबिज पांच सीटों में से केवल एक को ही भाजपा बचाने में सफल रही।

केंद्रीय नेतृत्व का हस्तक्षेप कम

भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी जीत को लेकर ज्यादा आश्वस्त थी। शीर्ष नेतृत्व ने ज्यादातर जिम्मेदारी प्रदेश नेतृत्व को दे दिया था। भाजपा ने वर्ष-2013 के चुनाव में हारे ज्यादातर उम्मीदवारों पर दांव लगाया।

कांग्रेस का दमदार घोषणा पत्र

वर्ष-2018 के विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा का घोषणा पत्र असरदार नहीं था। जबकि कांग्रेस ने हर वर्ग को प्रभावित करने वाला घोषणा पत्र तैयार किया। किसानों ने कर्जमाफी और धान की 2300 रुपये क्विंटल में खरीदी, तो युवाओं ने राेजगार के नाम पर वोट दिया। महिलाओं ने शराबबंदी के वादे पर भरोसा किया। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने घोषण पत्र तैयार किया था। घोषण पत्र तैयार करने से पहले उन्होंने सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर लोगों से मुलाकात की थी। कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं होने के बावजूद कांग्रेस के घोषणा पत्र में किए वादे लोगों को लुभाने में कामयाब रहे।

वर्ष-2013 में सीटों की स्थिति

महासमुंद

भाजपा-3, कांग्रेस-0, अन्य-1

बलौदाबाजार

भाजपा-3, कांग्रेस-1, अन्य-0

रायपुर

भाजपा-5, कांग्रेस-2, अन्य-0

गरियाबंद

भाजपा-2, कांग्रेस-0, अन्य-0

धमतरी

भाजपा-2, कांग्रेस-1, अन्य-0

वर्ष-2018 में सीटों की स्थिति

महासमुंद

भाजपा-0, कांग्रेस-4, अन्य-0

बलौदाबाजार

भाजपा- 1, कांग्रेस-2, अन्य-1

रायपुर

भाजपा-1, कांग्रेस-6, अन्य-0

गरियाबंद

भाजपा- 1, कांग्रेस-1, अन्य-0

धमतरी

भाजपा-2, कांग्रेस-1, अन्य-0

रायपुर संभाग में विधानसभा की सीटें

रायपुर जिला : रायपुर पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ग्रामीण, धरसींवा, आरंग, अभनपुर

महासमुंद जिला : सरायपाली, बसना, खल्लारी, महासमुंद

बलौदाबाजार जिला: बिलाईगढ़, कसडोल, बलौदाबाजार, भाटापारा

गरियाबंद जिला : राजिम और बिंद्रानवागढ़

धमतरी जिला : सिहावा, कुरूद, धमतरी

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