Raipur News: पद स्वीकृत लेकिन भर्ती नियम ही नहीं, आंबेडकर अस्पताल में अटकी हार्ट की बाइपास सर्जरी
रायपुर Raipur News: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआइ) के कार्डियो थोरेसिक एंड वेस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग में फेफड़े और खून के नसों की सर्जरी की जा रही है लेकिन हार्ट की बाइपास सर्जरी (Heart Bypass Surgery) नहीं हो पा रही है। आंबेडकर अस्पताल (Ambedkar Hospital Raipur) में इसकी प्रक्रिया शुरू करने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये की हार्टलंग्स मशीन तो दे दी गई है, लेकिन भर्ती नियम नहीं बनाए जाने के कारण इन्हें चलाने के लिए परफ्यूजनिस्ट और कार्डियक सर्जरी फिजिशियन असिस्टेंट की भर्ती नहीं हो पाई है। जबकि इनके लिए तीन-तीन पद स्वीकृत हो चुके हैं।
आंबेडकर अस्पताल में बाइपास सर्जरी के लिए आने वाले मरीजों की वेटिंग 1500 के पार पहुंच चुकी है। प्रदेशभर से एसीआइ में हर माह 35 से 40 मामले बाइपास सर्जरी के आते हैं। सुविधा नहीं होने के कारण डाक्टरों को मजबूरन एम्स या फिर कहीं अन्य अस्पताल रेफर करने मजबूर होना पड़ता है। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से अन्य राज्यों से तुलना कर भर्ती नियम की जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग को दे दिया गया है। इसके बावजूद अब तक भर्ती नियम नहीं बनने की वजह से प्रदेश के लोगों को बाइपास सर्जरी की सुविधा नहीं मिल पा रही है। डाक्टरों का कहना है कि परफ्यूजनिस्ट, कार्डियक सर्जरी फिजिशियन असिस्टेंट, कार्डियक इनटेंसनविस्ट, कार्डियक एनेस्थेटिक और प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ के अभाव में बाइपास सर्जरी शुरू नही हो पा रही है।
चार से दस लाख करने पड़ते हैं खर्च
निजी अस्पतालों में हार्ट की बाइपास सर्जरी कराने पर चार से दस लाख रूपये खर्च करने पड़ते हैं। आंबेडकर अस्पताल में सर्जरी शुरू होने पर मरीजों का खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना के तहत निश्शुल्क होगा।
137 पद स्वीकृत, भर्ती प्रक्रिया शुरू
स्वास्थ्य विभाग की ओर से एसीआइ के लिए 137 पोस्ट सेंशन हुए हैं, जिसकी लिए भर्ती प्रक्रिया जारी है। सेंशन पोस्ट में चिकित्सक, कार्डियक इनटेंसनविस्ट, कार्डियक एनेस्थेटिक, परफ्यूजनिस्ट, कार्डियक सर्जरी फिजिशियन असिस्टेंट, नर्सिंग स्टाफ आदि शामिल हैं। अस्पताल के एक चिकित्सक ने बताया कि एस्कार्ट के अधिग्रहण के समय निजी प्रबंधन ओपन हार्ट सर्जरी व बाइपास सर्जरी से संबंधित सारे उपकरण अपने साथ ले गया था। हार्टलंग्स मशीन खरीदी गई है। 60 प्रतिशत उपकरण की खरीदी बाकी है। फिर भी स्टाफ होने पर बाइपास सर्जरी शुरू की जा सकती है।
छग सामान्य प्रशासन विभाग सचिव कमलप्रीत सिंह का कहना है कि इस संबंध में फाइल देखकर ही बता पाना संभव है। यदि कोई पत्राचार चिकित्सा विभाग की ओर से किया गया होगा तो आगे की कार्रवाई की जाएगी।