तकनीक की मदद से छत्तीसगढ़ में शिक्षा को बनाएंगे सुगम, PM मोदी लेंगे स्कूलिंग विषय पर कार्ययोजनाओं का ब्यौरा
रायपुर Raipur News छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा को तकनीक की मदद से सुलभ बनाने की रणनीति बनाई जा रही है। विद्यार्थियों और अभिभावकों की सुविधा बढ़ाने के लिए दाखिले की प्रक्रिया से लेकर अंकसूची, प्रवजन प्रमाण पत्र, स्थानांतरण प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र, अंकसूची त्रुटि सुधार जैसी प्रमुख सुविधाओं के लिए आनलाइन व्यवस्था की जाएगी। लोगों के जीवन में शिक्षा की सुगमता को बढ़ाने, योजनाओं तक पहुंच में सुविधा और सेवा की गुणवत्ता बढ़ाने को गुरुवार को स्कूल शिक्षा सचिव डा. एस. भारतीदासन ने विभाग के अधिकारियों की बैठक ली। इसमें स्कूली शिक्षा में प्रशासन और प्राैद्योगिकी के माध्यम से जीवन में सुगमता बढ़ाने के लिए रणनीति बनी।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मुख्य सचिवों के तृतीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन अक्टूबर-नवंबर में होना है। इस बैठक को दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। तृतीय सम्मेलन में जिन मुद्दों पर चर्चा होनी है उनमें एक विषय स्कूलिंग का है, जिसका थीम प्रशासन और प्रौद्योगिकी के माध्यम से जीवन में सुगमता को बढ़ावा देना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य है कि उच्चतम गुणवत्ता वाली शिक्षा का सभी तक समान पहुंच हो।
डा. भारतीदासन ने कहा कि विद्यार्थियों के लिए सभी सुविधाएं आनलाइन करने की आवश्यकता है। इस मौके पर समग्र शिक्षा की प्रबंध संचालक इफ्फत आरा ने कहा कि बच्चों का आधार आइडी का होना आवश्यक है ताकि शासन की ओर से दी जा रही विभिन्न सुविधाओं का लाभ दिलाया जा सके।
ये प्रक्रियाएं होंगी आनलाइन
स्कूलों में दाखिले को आनलाइन करना ।
स्थानांतरण प्रमाण पत्र या संशोधन कार्य ।
अंकसूची का आनलाइन सत्यापन कार्य ।
आधार के साथ छात्रों का पंजीयन ।
शैक्षणिक प्रमाणपत्रों के लिए डिजीलॉकर।
बोर्ड ने भी साझा की रणनीति:
राज्य स्तरीय इस बैठक में माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव प्रोफेसर वीके गोयल ने बताया कि प्रदेश में 10वीं- 12वीं के बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए अंकसूची के सत्यापन की सुविधा आनलाइन की जा चुकी है। इसके अलावा प्रवजन प्रमाण पत्र भी आनलाइन लिया जा सकता है। बैठक में समग्र शिक्षा के अतिरिक्त संचालक कैलाश काबरा समेत अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास विभाग, एससीईआरटी, जिला शिक्षा अधिकारी, सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी, संकुल समन्वयक, शासकीय-अशासकीय और केंद्रीय विद्यालयों के स्कूलों के प्राचार्य और अभिभावक भी मौजूद रहे।