सोशल मीडिया पर हिंसा भड़काने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई, चुनाव को लेकर विशेष टीम कर रही निगरानी
रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले फेक न्यूज, हेट स्पीच, अफवाह, इंटरनेट मीडिया में फैलने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। सोशल साइट्स पर फर्जी न्यूज, वीडियो और आपत्तिजनक पोस्ट करने वालाें के खिलाफ पुलिस ने सख्ती बरतना शुरू कर दिया। वहीं इंटरनेट मीडिया मानिटरिंग के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के एसपी को दिया गया है। साथ ही कहा गया है कि आपत्तिजनक पोस्ट की सूचना देने वालों की पहचान गोपनीयता बनाए रखने को भी कहा है।
दरअसल, चुनाव के समय अफवाह, फेक न्यूज़ का चलन बढ़ जाता है। ऐसे में तनाव बढ़ता है और कानून व्यवस्था बिगड़ती है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए पुलिस मुख्यालय ने इंटरनेट मीडिया मानिटरिंग को निर्देश दिए हैं। बता दें कि इससे पहले तीन सौ से ज्यादा अकाउंट को ब्लॉक किया गया है जिसमें आपत्तिजनक पोस्ट किए गए थे।
विशेष टीम रख रही निगरानी:
भड़काऊ पोस्ट को लेकर एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट की एक विशेष टीम बनाई गई है। पिछले लगभग 6 महीनों में इंटरनेट मीडिया में किए गए 400 से ज्यादा पोस्ट हटवाए गए हैं। फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम सहित अन्य सोशल साइट्स पर निगरानी रखी जा रही है। सूचना मिलने पर इनकी आईडी ब्लाक की जाती है। और संबंधितों पर कार्रवाई भी की जाती है।
इन टूल किट से निगरानी :
इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर नजर रखने के लिए 25 से ज्यादा टूल किट्स और साफ्टवेयर हैं। इसमें टेलविंड, यूनियन मैट्रिक्स आडियंस कनेक्ट, सोशल मैशन, टाकवाकर खाडर सोशल, ब्रांडवाच की हाल, की वर्ड, डिजीमाइड आदि शामिल हैं।
साइबर क्राइम यूनिट इंटरनेट मीडिया पर धार्मिक पोस्ट, जातिगत पोस्ट, राजनीतिक पोस्ट और जनप्रतिनिधियों के नाम से अपलोड किए गए पोस्ट पर एक्शन ले रही है। पुलिस अधिकारियों ने इस तरह के पोस्ट को फारवर्ड करने और कमेंट करने पर भी एक्शन लिया जा रहा है।
एक्सपर्ट व्यू
साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू ने बताया कि निगरानी के लिए इंटरनेट मीडिया में कई टूल हैं, लेकिन पुलिस ज्यादातर सामान्य टूल का उपयोग करती है। इंटरनेट मीडिया में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला प्लेटफार्म फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम है, जिसका सबसे अधिक उपयोग होता है। इसकी निगरानी पुलिस हैशटैग और की वर्ड के माध्यम से करती है। किसी मैसेज को फैलाने के लिए संदेही की वर्ड का इस्तेमाल करते हैं। इन्हीं की-वर्ड के सहारे वो शिकंजे में आते है।
इन बातों पर दे रहे ध्यान साइबर क्राइम: