क्या ED का पावर होगा कम? रेलवे प्‍लेटफॉर्म पर भीख मांगने के साथ-साथ अब इन अपराधों में लगेगा भारी जुर्माना

नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट ने बीते बुधवार को जन विश्वास (संशोधन) विधेयक, 2022 (The Jan Vishwas Amendment of provision Bill 2022) को मंजूरी दे दी है। गौरतलब है कि Jan Vishwas Bill कारोबार में सुगमता लाने के साथ-साथ नागरिकों के दैनिक कामकाज को आसान बनाने के लिए लाया गया है। मौजूदा बिल में 42 अधिनियमों के 183 प्रावधानों को खत्म किया जा रहा है या फिर छोटी-मोटी गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से हटाया जाएगा।

 

19 मंत्रालयों से जुड़े हैं सभी संशोधन

Jan Vishwas Bill के जिन 42 अधिनियमों में संशोधन किया जा रहा है, वे 19 मंत्रालयों से जुड़े हुए हैं। विधेयक में प्रस्तावित संशोधन के तहत कई कानूनी प्रावधानों में जेल के बदले सिर्फ आर्थिक दंड देने की सिफारिश की गई है। यहां विस्तार से जानें कि आखिर क्या है जन विश्वास (संशोधन) विधेयक, 2022 और इसमें कौन-कौन से नए फेरबदल किए गए हैं –

साल 2022 में लोकसभा में पेश

आपको बता दें कि वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 22 दिसंबर, 2022 को जन विश्वास (संशोधन) विधेयक, 2022 को लोकसभा में पेश किया था। तब केंद्रीय मंत्री ने बताया था कि Jan Vishwas Bill 2022 से Ease of doing Business और Ease of Living आसान होगी। बाद में इस बिल को विचार विमर्श के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया था। संयुक्त समिति ने विधायी और विधि मामलों के विभागों के साथ-साथ सभी 19 मंत्रालयों के साथ इस बिल पर विचार विमर्श करने के बाद मार्च, 2023 में रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया था और मार्च में ही इसे संसद के दोनों सदनों में पेश भी कर दिया था।

केंद्र सरकार को क्या मिला सुझाव?

संसदीय समिति ने संसद के दोनों सदनों में जो रिपोर्ट पेश की थी, उसमें केंद्र सरकार को कई सुझाव दिए थे, जिनमें कुछ प्रमुख सुझाव इस प्रकार हैं –
– छोटे मामलों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित करें।
– सरकार को पिछली तिथि से प्रावधानों में संशोधन करना चाहिए, जिससे कोर्ट में लंबित मामलों का निपटारा तेजी से हो सके।
– कोर्ट केस में बढ़ोतरी को रोकने के लिए नियम का उल्लंघन करने वालों को जेल की सजा नहीं, बल्कि आर्थिक दंड दिया जाना चाहिए।
– छोटे अपराधों में कमी लाने के लिए गंभीर आर्थिक दंड लगाया जाना चाहिए।

Jan Vishwas Bill की इसलिए जरूरत

सीनियर एडवोकेट मनीष भदौरिया के मुताबिक, कुछ कानून आजादी से पहले के हैं, जिनका अभी भी पालन किया जा रहा है, वहीं कुछ ऐसे भी कानून हैं, जो काफी पुराने हो चुके हैं और आज के परिप्रेक्ष्य में बदलाव की जरूरत है। 42 अधिनियमों के 183 प्रावधानों में संशोधन करने के लिए मोदी सरकार जन विश्वास संशोधन विधेयक लाई है। मनीष भदौरिया बताते हैं कि अभी तक मोदी सरकार 1200 से ज्यादा ऐसे कानून को रद्द कर चुकी है, जो मौजूदा समय में प्रासंगिक नहीं हैं।

इन मंत्रालयों के 42 अधिनियमों में संशोधन

सीनियर एडवोकेट मनीष भदौरिया के मुताबिक, 19 केंद्रीय मंत्रालयों से जुड़े 42 अधिनियमों के 183 प्रावधानों में संशोधन किया जाएगा। इन मंत्रालयों में वित्त, वित्तीय सेवाएं, कृषि, वाणिज्य, पर्यावरण, सड़क परिवहन और राजमार्ग, डाक, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे कई महत्वपूर्ण मंत्रालय शामिल है।

इन प्रमुख अधिनियमों में होगा संशोधन

    • प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम 1867
    • भारतीय वन अधिनियम 1927
    • कृषि उपज (ग्रेडिंग और मार्केटिंग) अधिनियम 1937
    • औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940
    • सार्वजनिक ऋण अधिनियम 1944
    • रबर अधिनियम 1947, फार्मेसी एक्ट 1948
    • सिनेमेटोग्राफ एक्ट 1952
    • कॉपीराइट अधिनियम 1957
    • पेटेंट अधिनियम 1970
    • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986
    • मोटर व्हीकल एक्ट 1988
    • रेलवे अधिनियम 1989
    • भारतीय डाकघर अधिनियम 1898
    • ट्रेडमार्क एक्ट 1999
    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000
    • धन-शोधन निवारण अधिनियम 2002
    • खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम 2006
    • लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009
    • फैक्टरिंग रेगुलेशन एक्ट 2011 आदि समेत कई अन्य अधिनियमों में संशोधन होगा।

Jan Vishwas Bill से ED पर क्या होगा असर

जन विश्वास (संशोधन) विधेयक 2022 के तहत धन-शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act ) में भी संशोधन किया जाएगा। इस अधिनियम के PMLA के पैराग्राफ 25 और 27 को हटाया गया है। पीएमएलए के प्रावधानों को हटाने के प्रस्ताव का प्रवर्तन निदेशालय (ED) यह कहते हुए विरोध कर रहा है कि इन संशोधन से जांच एजेंसी की शक्तियां कम हो जाएंगी।

Jan Vishwas Bill से ये होंगे फायदे

केंद्र सरकार का दावा है कि Jan Vishwas Bill में कारोबार की सुगमता के लिए छोटे अपराधों से जुड़े प्रावधानों में संशोधन करने का प्रावधान किया गया है। इससे Ease of doing Business और Ease of Living आसान होगी, वहीं अदालतों का बोझ कुछ कम होगा। भारी जुर्माना लगने के कारण जेलों में कैदियों की संख्या में भी कमी आएगी। आपको बता दें कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्‍यूरो की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, देश की कुल 4.25 लाख की क्षमता वाली जेलों में फिलहाल 5.54 लाख से अधिक कैदी बंद हैं।

Jan Vishwas Bill से क्या होगा बड़ा बदलाव

– सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 के तहत कानून का उल्लंघन करते हुए किसी की निजी जानकारी का खुलासा करने के मामले में 3 साल की कैद या 5 लाख रुपये का जुर्माना या फिर सजा और जुर्माना दोनों लग सकते हैं। इसके अलावा जन विश्वास (संशोधन) विधेयक में इस मामले में 25 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
– कृषि उत्पाद (ग्रेडिंग और मार्किंग) एक्ट, 1937 के तहत अभी जाली ग्रेड डेजिग्नेशन मार्क बनाने पर 3 साल तक जेल की सजा और 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। वहीं Jan Vishwas Bill में सजा को हटाकर 8 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव दिया गया है।
– देश में रेलवे प्‍लेटफॉर्म पर भीख मांगना अपराध है। इसके लिए भीख मांगने वाले को अधिकतम 6 माह की सजा हो सकती है, लेकिन अब नए प्रावधान के तहत जेल की सजा को हटाकर सिर्फ जुर्माना लगाने का प्रस्ताव दिया गया है।
– पेटेंट अधिनियम 1970 में भी जुर्माने को बढ़ाने का प्रावधान किया है। पेटेंट अधिनियम के उल्लंघन करने के मामले में फिलहाल 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाता है, जिसे बढ़ाकर अब 10 लाख रुपए तक करने का प्रस्ताव है।

जुर्माना राशि को बढ़ाने का प्रस्ताव क्यों?

एडवोकेट मनीष भदौरिया का कहना है कि जनविश्वास बिल में कई अपराधों में सजा के बजाय जुर्माने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि जिन सजाओं में पहले से जुर्माना लग रहा है, वहां जुर्माना राशि को कई गुना बढ़ा देने का प्रस्ताव दिया है। ऐसा दो कारण से किया गया है। पहला, जुर्माना वसूल कर छोड़ देने से जेलों में कैदियों की संख्या घटेगी। दूसरा, जुर्माना राशि बढ़ाए जाने से अपराध में गिरावट आ सकती है। भदौरिया मोटर व्हीकल एक्ट रूल्स ( New Motor Vehicles Act) का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि ओवरस्पीड पर पहले 400 रुपए का जुर्माना लगता था, लेकिन अब 2000 रुपए लगते हैं। लाइसेंस एक्सपायर होने पर पहले 500 रुपए लगते थे और 10 हजार लगते हैं। ऐसी स्थिति में लोग यातायात से जुड़ी गलतियां करने से बचने लगे हैं।

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