टाइटैनिक के अभिशाप की वजह से डूबी टाइटन सबमरीन? क्या है ममी वाली कहानी
अटलांटिक. टाइटैनिक को उस वक्त ऐसा जहाज माना जाता था जो कि डूब नहीं सकता था। यह एकत भारी-भरकम यात्री जहाज था। लेकिन अप्रैल 1912 में कुछ ऐसा हुआ जिसे दुनिया कभी भुला नहीं पाएगी। अटलांटिक महासागर के ठंडे पानी में एक आइसबर्ग से टकराकर यह जहाज डूब गया। कम से कम 1500 लोगों की मौत हो गई। इसका मलबा आज भी समंदर के गर्भ में पड़ा हुआ है। एक शताब्दी से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी इसका मलबा लोगों को आकर्षित करता है। अब भी लोग इस हादसे के बारे में जानने और इसकी भयावहता की कल्पना करने की कोशिश करते रहते हैं।
टाइटैनिक एक बार फिर से चर्चा का विषय बना हुआ है जबकि उसके मलबे की ओर जाने वाली सबमरीन टाइटन गहरे पानी में समा गई। इसका मलबा भी टाइटैनिक के पास ही पाया गया। यह पनडुब्बी पांच लोगों को लेकर समंदर में 3800 मीटर की गहराई में पड़े टाइटैनिक के मलबे को दिखाने निकली थी। लेकिन यह एक घंटे के बाद ही लापता हो गई। इसके बाद तेजी से खोजी अभियान शुरू किया गया। चार दिन की जद्दोजेहद के बाद सबमरीन ऑपरेट करने वाली कंपनी ओशनगेट ने बताया कि सबमरीन नष्ट हो चुकी है और इसका मलबा भी टाइटैनिक के पास ही पाया गया है।
क्या है टाइटैनिक का अभिशाप?
जब यह पता नहीं चला था कि सबमरीन नष्ट हुई है या सुरक्षित है तभी लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि टाइटैनिक का अभिशाप उसे खा गया।आखिर वह अभिषाप है क्या? हालांकि जो मान्यताएं हैं उनका कोई प्रमाण नहीं है और विज्ञान में उनके लिए कोई जगह नहीं है फिर भी आम लोगों में इस तरह की चर्चा होती रहती है। लोगों का कहना है कि टाइटैनिक के यात्री शापित थे और टाइटैनिक डूबने से पहले और बाद में कई हैरान करने वाली घटनाएँ होती रहीं। इस कथित अभिषाप के मुताबिक हादसे से जुड़े लोगों की जीवन में दुखद घटनाएं होती रहीं।
कहा जाता है कि टाइटैनिक बनाने के दौरान से ही हादसे शुरू हो गए थे। इसके बनने के समय ही हारलैंड और वोल्फ शिपयार्ड पर हादसे की वजह से कम से कम 8 मजदूरों की मौत हो गई थी। बताया जाता है कि एक क्रू मेंबर की भी मौत हो गई थी. बता दें कि उस समय सुरक्षा के उतने इंतजाम नहीं थे और इस तरह के हादसे आम थे। 1912 में जब यह समंदर में उतरा तभी हादसे का शिकार होते-होते बचा। यह एक दूसरी शिप से टकराने वाला था।
इसके बाद ही चर्चा होने लगी थी कि यह अपशकुन है और शिप को कोई भी खतरा हो सकता है। 14 अप्रैल 1912 को यह शिप अटलांटिक महासागर में डूब गया। कई लोगों ने आखिरी मोमेंट पर शिप में सवार होने से इनकार कर दिया था। इसमें टाइटैनिक के ओनर जेपी मोरगन भी शामिल थे। इसके अलावा व्यस्तता की वजह से मिल्टन एस हर्शे ने भी अपनी तैयारी कैंसल कर दी।
क्या टाइटैनिक पर रखी गई थी ममी?
ब्रिटिश एडिटर विलियम स्टीड टाइटैनिक को लेकर मिस्र के अभिषाप की च्रचा की है। उन्होंने दावा किया कि लंदन में एक ममी की वजह से अनहोनियां हो रही थीं। कई लोगों का कहना है कि यह ममी शिप पर रखी गई थी और इसी ने जहाज को डुबो दिया। वहीं एक मिस्र के जानकार करोल एंड्रयूज का कहना है कि ममी को शिप पर नहीं रखा गया था। इसको ले जाया जाना था लेकिन फिर कैंसल कर दिया गया था।