पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल को हटाने की तैयारी, नेशनल असेंबली में प्रस्ताव पारित
इस्लामाबाद. पाकिस्तान में सरकार और न्यायपालिका के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। अब सरकार ने यहां के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ मामला दर्ज कराने के लिए विशेष समिति के गठन का प्रस्ताव पास किया है। नेशनल असेंबली ने सोमवार को देश के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल के खिलाफ कदाचार और शपथ से भटकने को लेकर मामला दर्ज करने के लिए यह प्रस्ताव पास किया। एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की खबर में बताया गया कि प्रस्ताव पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की नेता डॉ. शाजिया सोबिया द्वारा पेश किया गया था। सदन ने इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
इमरान को अनुचित समर्थन की बात
नेशनल असेंबली में रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने कहा कि समय आ गया है कि संसद इस स्थिति में अपनी संवैधानिक भूमिका निभाए। आसिफ ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को न्यायपालिका के अनुचित समर्थन की जांच करने के साथ-साथ मामले पर संविधान के अनुच्छेद 209 के तहत सर्वोच्च न्यायिक परिषद को एक संदर्भ भेजने के लिए एक संसदीय समिति के गठन की मांग की। उन्होंने कहा कि देश की न्यायपालिका के 75 वर्षों के इतिहास में, ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनका देश पर व्यापक प्रभाव पड़ा, लेकिन हाल में न्यायपालिका में एक समूह ने एक राजनीतिक समूह की समर्थन शुरू कर दिया।
हमले को बताया शर्मनाक
आसिफ ने कहा कि समय आ गया है कि संसद संविधान द्वारा दिए गए अधिकार और कानून के तहत सर्वोच्च न्यायिक परिषद को कदाचार का एक संदर्भ भेजे। लाहौर में कोर कमांडर के घर, कराची में रेंजर्स की एक चौकी, रावलपिंडी में सेना के जनरल हेडक्वार्टर (जीएचक्यू) और मियांवाली में पाक वायुसेना के अड्डे पर हुए हमलों पर उन्होंने कहा कि शहीदों के स्मारकों को अपवित्र करने वालों को सुरक्षा प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि खान के समर्थकों ने अपने नेतृत्व के निर्देश पर जिन्ना हाउस पर हमला किया था, जो एक शर्मनाक कृत्य था क्योंकि इमारत देश की राष्ट्रीय विरासत थी।
चीफ जस्टिस के इस्तीफे की मांग
पीएमएल-एन पार्टी की उपाध्यक्ष मरयम नवाज शरीफ ने सोमवार को मुख्य न्यायाधीश बांदियाल के इस्तीफे की मांग की। साथ ही उन्हें देश में अराजकता और संकट के लिए दोषी ठहराया। वह सर्वोच्च न्यायालय के बाहर सत्तारूढ़ गठबंधन के धरने में भी शामिल हुईं और अदालत ने हाल के कुछ फैसलों का विरोध किया, जिसमें उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री खान को पूरी तरह से राहत मिली है। खान को शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश बांदियाल की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो द्वारा एक रियल एस्टेट कारोबारी को लाभ प्रदान करने के बदले में लाखों डॉलर की संपत्ति स्वीकार करने के आरोप के मामले में जमानत दे दी थी।