इमरान की रिहाई पर चीफ जस्टिस पर भड़कीं मरियम

इस्लामाबाद. इमरान खान की रिहाई को लेकर पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी न्यायपालिका पर हमलावर है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) की वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मुख्य आयोजक मरियम नवाज शरीफ ने इमरान खान को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल पर हमला बोला।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा इमरान खान की गिरफ्तारी को अवैध ठहराए जाने के तुरंत बाद मरियम नवाज ने ट्वीट कर पाकिस्तान के चीफ जस्टिस पर निशाना साधा। उर्दू में पोस्ट किए गए ट्वीट में उन्होंने लिखा, “देश की सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील संस्थाओं पर हमलों के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार मुख्य न्यायाधीश हैं, जो अशांति की ढाल बन गए हैं और देश में आग में घी डाल रहे हैं। आपको मुख्य न्यायाधीश का पद छोड़ देना चाहिए और अपनी सास की तरह तहरीक-ए-इंसाफ में शामिल हो जाना चाहिए।”

बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय ने बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी को ‘गैर कानूनी’ करार दिया और उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। इससे पहले शीर्ष अदालत के निर्देश पर खान को उसके समक्ष पेश किया गया। प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति मुहम्मद अली मजहर और न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह की तीन सदस्यीय पीठ ने 70 वर्षीय खान को उसके समक्ष पेश करने का निर्देश जारी किया था।

पीठ ने अल-कादिर ट्रस्ट मामले में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय परिसर में उनकी गिरफ्तारी के तरीके पर नाराजगी जताई। इससे पहले, न्यायालय ने भ्रष्टाचार रोधी निगरानी संस्था राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) को इमरान खान को एक घंटे के भीतर शाम साढ़े चार बजे (स्थानीय समयानुसार) पेश करने का निर्देश दिया था।

इमरान खान को अदालत के समक्ष कड़ी सुरक्षा के बीच पेश किया गया। जैसे ही वह अदालत कक्ष में दाखिल हुए, उसके दरवाजे बंद कर दिए गए और उसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई शुरू की। प्रधान न्यायाधीश बंदियाल ने खान से कहा, ‘‘आपको देख कर अच्छा लगा। हमारा मानना है कि इमरान खान की गिरफ्तारी गैर कानूनी है।’’ न्यायाधीश ने कहा कि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय को शुक्रवार को मामले की सुनवाई करनी चाहिए, ‘‘उच्च न्यायालय जो भी फैसला दे आपको स्वीकार करना होगा।’’ न्यायमूर्ति बंदियाल ने यह भी कहा कि प्रत्येक नेता की जिम्मेदारी है कि वह कानून व्यवस्था सुनिश्चित करे।

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