AIIMS के चार MBBS छात्रों को सस्पेंड करने के फैसले पर हाईकोर्ट की रोक
गोरखपुर. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में चार एमबीबीएस छात्रों को निलंबित कर हॉस्टल से निकालने के फैसले पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को रोक लगा दी है। कोर्ट ने चारों छात्रों को दोबारा क्लास करने और हॉस्टल में रहने देने के निर्देश दिए हैं। अदालत के फैसले की सूचना एम्स तक पहुंचाने के लिए शासन के अधिवक्ता के साथ ही रजिस्ट्रार जनरल को स्टे आर्डर एम्स में फैक्स करने के निर्देश दिए हैं। छात्रों ने एम्स प्रशासन के फैसले के विरोध में मंगलवार को हाईकोर्ट में अपील की। मामले में गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने मंगलवार को ही सुनवाई की।
दरअसल, एम्स में छात्रों ने बीते 27 व 28 मार्च को हॉस्टल के गेट को देर रात तक खोले जाने की मांग को लेकर आंदोलन किया। इस दौरान हंगामा हुआ। आरोप है कि छात्रों ने सुरक्षाकर्मियों से बदसलूकी की। इस आंदोलन के बाद एम्स प्रशासन ने शिकायत निवारण समिति और अनुशासन समिति का गठन किया था। अनुशासन समिति ने 13 अप्रैल को फैसला दिया। समिति ने एमबीबीएस 2019 बैच के चार छात्रों को निलंबित कर दिया। इनमें से तीन छात्रों को हॉस्टल से भी कुछ दिनों के लिए बाहर निकाल दिया। जबकि एक छात्र को हमेशा के लिए हॉस्टल से बाहर कर दिया।
मंगलवार को छात्रों ने दाखिल की अपील
एम्स प्रशासन की इस कार्रवाई के विरोध में मंगलवार को तीन छात्रों ने हाईकोर्ट की प्रयागराज बेंच में अपील किया। अपील में छात्रों ने अदालत को बताया कि एम्स प्रशासन की इस कार्रवाई से उनका कॅरियर चौपट हो सकता है। आगामी 19 अप्रैल से परीक्षाएं संभावित है।
चंद घंटों में ही हो गई सुनवाई
मामले की संजीदगी को देखते हुए मंगलवार को ही न्यायमूर्ति अजय भनोट ने सुनवाई की। उन्होंने छात्रों के भविष्य को देखते हुए एम्स प्रशासन के आदेश पर रोक लगाने के साथ ही छात्रों को कैंपस के हॉस्टल में रहने व क्लास करने की अनुमति दी है। इस मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल तय हुई है। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि इस दौरान छात्रों को किसी भी प्रकार से परेशान न किया जाए। मंगलवार को ही आदेश की कॉपी एम्स प्रशासन को उपलब्ध कराने के लिए कोर्ट ने रजिस्टार जनरल और शासन के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह को भी निर्देशित किया।