महाशिवरात्रि पर शनिवार शाम बन रहा है यह संयोग, इन राशियों के लिए विशेष लाभ
इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी शनिवार को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि में त्रयोदशी उपरांत में चतुर्दशी होना बहुत ही शुभ माना गया है l रात्रि में चतुर्दशी होना महाशिवरात्रि में अनिवार्य है। इस वर्ष महाशिवरात्रि पर कई संयोग बन रहे हैं इस दिन व्रत व पूजन का शुभारंभ सर्वार्थ सिद्धि योग में होने जा रहा है जो अत्यंत लाभकारी माना जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित मार्कंडेय दूबे ने बताया हिंदू पंचांग के अनुसार 18 फरवरी शनिवार को ही महाशिवरात्रि है। काशी के पंचांग के अनुसार सूर्योदय से त्रयोदशी तिथि सायं काल 5:43 तक है। इसके बाद चतुर्दशी तिथि पूरी रात व 19 फरवरी को दिन में 3:20 तक रहेगी।
महाशिवरात्रि में शनिवार को उत्तराषाढ़ व श्रवण नक्षत्र में चंद्रमा मकर राशि में गोचर करेंगे। महाशिवरात्रि को प्रदोष व्रत भी है। इस प्रकार श्रद्धालुओं को इस बार दो पर्वों का फल मिलेगा। महाशिवरात्रि को दिन में 3:35 के बाद सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। सिद्धि योग, रिक्ता तिथि व शनिवार के संयोग से संध्या समय 5:43 बजे से बन रहा है। शिव की उपासना करने वाले सभी श्रद्धालु शनिवार को पूरे दिन व रात में भगवान शिव के मंत्रों का जप, उनके स्त्रोत का पाठ व विविध कामनाओं के लिए विविध सामग्रियों से उनका अभिषेक करेंगे l इससे धनु, कुंभ, मीन, वृश्चिक राशि वालों को भी लाब होगा। इस दिन अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए जो व्यक्ति पूजा पाठ करते हैं व व्रत के साथ उपवास रखते हैं। उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। फाल्गुन मास की शिवरात्रि में विशेष संयोग व अधिक फलदायक होने के चलते इसे विशेष महत्व प्राप्त है।
जिले के विभिन्न शिवालयों से निकलेगी भगवान शिव की बारात
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के विवाह का उत्सव का आयोजन कर सर्वत्र भगवान शिव के विवाह की बारात निकाली जाती है। महाशिवरात्रि का व्रत व पूजन दांपत्य जीवन में खुशी देता है। कुंवारे लोग में युवक व युवतियां भी अपने भावी सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए महाशिवरात्रि का व्रत व पूजन करते हैं। संतान प्राप्ति हेतु भी महाशिवरात्रि को भगवान शिव की विधिवत पूजन अर्चना करनी चाहिए। क्योंकि शिवरात्रि कल्याण की रात्रि होती है। भगवान शिव की पूजा अर्चना उनकी प्रसन्नता व अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए की जाती है।
भगवान शिव की पूजा करने की विधि
पंचोपचार व षोडशोपचार से भगवान शिव का पूजन करना चाहिए। कुछ भी उपलब्ध नहीं हो तो केवल 1 बिल्व पत्र ही भगवान शिव को प्रसन्न करता है। भगवान शिव को गाय के दूध अथवा पंचामृत, बिल्वपत्र, भांग, धतूरे का पुष्प, अकवन, मंदार का पुष्प विशेष प्रिय है। विविध कामनाओं के लिए विभिन्न सामग्रियों से इनका अभिषेक करना चाहिए l महाशिवरात्रि के दिन, दिन में पूजन पाठ जप अभिषेक व रात्रि में जागरण करना विशेष फलदायक बताया गया है।जबकि महा शिवरात्रि व्रत का पारण 19 फरवरी को होगा।