क्या है ये कोड वर्ड, जिसे पढ़ ब्राजील संसद पर हमले के लिए पहुंच गए 50 लाख लोग

नई दिल्ली. ब्राजील की राजधानी की सड़कों पर रविवार को हिंसक भीड़ ने भारी विरोध-प्रदर्शन किया। करीब 50 लाख लोगों की उन्मादी भीड़ ने संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और सुप्रीम कोर्ट पर हमला बोलते हुए वहां जमकर तोड़फोड़ की। ये सभी लोग पूर्व राष्ट्रपति बोलसोनारो के समर्थक थे जिन्होंने लोकतंत्र के समर्थन में रैलियां निकालीं और राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा के निर्वाचन को धोखाधड़ी करार दिया। 

ब्राजील की संसद पर हुए हमले की पूरी दुनिया में निंदा हो रही है। दो साल पहले ऐसा ही नजारा अमेरिका में भी देखने को मिला था, जब पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के समर्थकों ने अमेरिकी संसद कैपिटल हिल पर धावा बोल दिया था। ब्राजीलिया में भी पूर्व राष्ट्रपति के समर्थकों ने संसद पर धावा बोल दिया। इनका कहना है कि बोलसोनारो ही असली विजेता हैं। 

अक्टूबर में हुए चुनाव के बाद से ही बोलसोनारो समर्थक इस विचारधारा को तेजी से बढ़ा रहे थे कि बोलसोनारो ही चुनावों में असली विजेता हैं। इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति के समर्थक सोशल मीडिया पर कई मनगढ़ंत बातें और भ्रम अपने ग्रुप में फैला रहे थे। संसद पर धावा बोलने से पहले इसी तरह का एक मैसेज सोशल मीडिया पर बोलसोनारो के समर्थकों के बीच फैल रहा था। उस मैसेज में लोगों से सेल्मा की बहन की पार्टी में आने को कहा जा रहा था। 

टेलीग्राम पर पुर्तगाली भाषा में इस मैसेज को खूब सर्कुलेट किया जा रहा था। इस कोड मैसेज के मुताबिक लोगों को एकजुट होने का संदेश दिया जा रहा था लेकिन न तो इंटेलिजेंस और न ही सोशल मीडिया की निगरानी टीम ने इस पर ध्यान दिया।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्राजील में सेल्मा, सेल्वा शब्द पर बना एक पुर्तगाली नाटक है, जिसका अर्थ जंगल होता है। ब्राजील की सेना इस शब्द का इस्तेमाल युद्ध में सैनिकों की हौसला आफजाई और दहाड़ के लिए करती है। संसद पर हमला करने से चार दिन पहले सोशल मीडिया पर सेल्मा पार्टी का वीडियो खूब वायरल हो रहा था। इस वीडियो में एक शख्स सेल्मा पार्टी के लिए क्या-क्या सामान चाहिए, उसकी जानकारी दे रहा था। इसमें पांच मकई के भुट्टे शब्द शामिल थे। 

मकई को मिल्हाओ भी कहा जाता है। इन शब्दों का इस्तेमाल वीडियो में किया गया था। इसका मतलब दस लाख होता है। पांच मकई मतलब 50 लाख लोगों को सेल्मा पार्टी में शामिल होने का निमंत्रण कोड वर्ड से दिया जा रहा था लेकिन किसी सोशल मीडिया निगरानी संस्था की नजर इस पर नहीं पड़ी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button