हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज से ‘डीएलएफ एक्सप्रेस ग्रींस’ सोसायटी की दादागिरी के खिलाफ गुहार
मानेसर. जानीमानी रियल एस्टेट कंपनी ‘डीएलएफ’ के हरियाणा के मानेसर स्थित ‘एक्सप्रेस ग्रीन्स’ सोसायटी के निवासियों ने राज्य के गृहमंत्री अनिल विज से ‘एक्सप्रेस ग्रींस कॉन्डोमिनियम एसोसिएशन’ की ओर से रखरखाव के नाम पर मोटी रकम वसूले जाने,कई तरह की प्रताड़नाओं और सोसायटी के चुनाव से लोगों को दूर रखने के लिए अपनाये जा रहे हथकंडों समेत तमाम घोर अनियमितताओं की जांच के आदेश देने की गुहार लगायी है।
सोसायटी में फ्लैट की मालिक एवं संयुक्त राष्ट्र में वरिष्ठ अधिकारी उषा मिश्रा ने सोमवार को ‘यूनीवार्ता’से शिकायत में कहा,“यह महत्वपूर्ण है कि देश के कानून का पालन किया जाए और डीएलएफ एक्सप्रेस ग्रीन्स में उचित चुनाव कराया जाये। यह फ्लैट मालिकों और वहां रहने वाले लोगों का मूल अधिकार है।”
इस सोसायटी की तमाम समस्याओं को समय -समय पर बड़े पैमाने पर उठाने वाले श्री संजय गोयल ने ‘डीएलएफ पोषित’ सोसायटी के सदस्यों की गुंडागर्दी के खिलाफ रोष व्यक्त करते हुए कहा,“सोसायटी में रह रहे डीएलएफ के ‘वरदहस्त’ प्राप्त सदस्यों की गुंडगर्दी से सोसायटी के लोग बेहद परेशान हैं।”
श्री गोयल ने कहा ,“ वर्ष 2008 में यह प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया था जिसे तीन वर्ष में पूरा करने की बात कही गयी थी,लेकिन वर्ष 2012 तक कब्ज़ा नहीं मिला।इसके बाद किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा कर दिया। वर्ष 2015 में डीएलएफ ने कोर्ट को दिखाने के लिए रजिस्ट्री करवाई जो कुछ ही फ्लैटों की ही हो पायी। वर्ष 2019 से डीएलएफ ने जबरदस्ती मेंटेनेंस वसूलना शुरू कर दिया। इस बीच वर्ष 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट को हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (एचएसआईआईडीसी) को सौंप दिया और छह माह के अंदर सभी फ्लैटों की रजिस्ट्री करवाने की समय सीमा तय की।”
उन्होंने कहा,‘‘आश्चर्य की बात है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अभी तक रजिस्ट्री शुरू नहीं हुई है। डीएलएफ और उससे जुड़े लोग हर महीने करीब 60 लाख रुपये सोसायटी के रख-रखाव के लिए वसूलते हैं। कोई चुनाव नहीं करवाते हैं,कोई खर्चे का हिसाब नहीं देते और और मेंटेनेंस नहीं देने पर धमकी देते हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री विंडो में शिकायत की गयी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुर्।”
श्री गोयल ने कहा,“ सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष,कोषाध्यक्ष और सचिव को अपने फ्लैट बचने से रोका जाए क्योंकि वे भ्रष्टाचार उजागर होने के डर से यथाशीघ्र फ्लैट बेच कर भागना चाह रहे हैं। उन्होंने तीन साल में रख-रखाव के नाम पर 21 करोड़ की बिलिंग की है और निवासियों को काेई हिसाब नहीं देते और न ही उनका काम दिखता है।”
उन्होंने कहा,“ जब तक सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट को एचएसआईआईडीसी को नहीं सौंपा था वे अनसोल्ड इन्वेंट्री की बिलिंग नहीं कर रहते थे लेकिन एचएसआईआईडीसी को हैंडओवर होने के बाद उसकी बिलिंग कर रहे हैं। पर्यावरण से संबंधित क्या समझौता हुआ है, ये भी हम लोगों को नहीं बताया गया है। ये लोग जब भी यहां कोई रहने आता है तो 2500 रुपये लेते हैं और जाते समय भी 2500 लेते हैं, लेकिन वे ‘कुछ लोगों’ यानी ‘अपनों’ के साथ ऐसा नहीं करते। इन लोगों ने किसी-किसी फ्लैट वाले से एक वर्ष में चार से पांच बार पैसे वसूले। ऐसी है इनकी दादागिरी।”
हाल ही में रचना जैन के फ्लैट की इलेक्ट्रिक वायरिंग के साथ छेड़छाड़ करके उन्हें कई दिनों तक बिजली के बिना रखा गया। उनकी पुलिस शिकायत के बाद भी बिजली पूरी तरह ठीक नहीं की गई, जबकि वह बिजली बिल का नियमित भुगतान कर रही हैं।
सुश्री रचना ने कहा,“तथाकथित एक्सप्रेस ग्रींस कॉन्डोमिनियम एसोसिएशन’ के लोग सेवाएं प्रदान किए बिना कॉमन एरिया मेंटेंनेंस(कैम) का बिल बना रहे हैं। अवैध तरीकों से धन जुटाने के लिए निवासियों को ब्लैकमेल करने जैसे घृणित तरीके अपना रहे हैं। रेजिडेंट्स को प्रताड़ित किया जा रहा है उन्हें पर्सनली ब्लैकमेल किया जा रहा है, ताकि वे बिल अदा कर सकें और इस गैर-कानूनी ‘धंधे’ को कानूनन सही दिखाया जा सके।”
श्री गाेयल ने कहा,“ एक और बात, देश में कोई टैक्स दे या ना दे उसका वोटिंग राइट कैंसिल नहीं होता। इसी तरह चुनाव आयोग (ईसी) को चाहिए कि कई गंभीर वजहों के कारण कोई मेंटेनेंस दे या नहीं उसका चुनाव और मतदान का अधिकार नहीं छीना जा सकता । ईसी और रजिस्ट्रार ऑफिस सुनिश्चित करें कि रेजिडेंट्स वेलफेयर सोसायटी(आरडब्ल्यूए) के लिए निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराया जाये। ईसी के ऑफिस से लोग आकर चुनाव करवाएं। किसी को भी चुनाव के अधिकार से वंचित नहीं रखा जाये। कई तरह के आरोपों से घिरे जेल में बंद लोगों को भी मतदान करने और चुनाव में खड़े होने का अधिकार होता है। चूंकि मैं उनकी करतूतों को उजाकर करता हूं तो वे किसी न किसी बहाने मुझे चुनाव से अलग रखने की साजिश रच रहे हैं। ”
सोसायटी में फ्लैट की मालकिन ज्योति शर्मा ने कहा कि परियोजना के एम टू सोसायटी तक जाने के लिए न तो उचित सड़क है और ना ही स्ट्रीट लाइट। उन्होंने कहा,“ एम टू तक जाने वाले रास्ते को पार करना बहुत डरावना है। सोसायटी के बाहर दलदल है, जो बरसात के मौसम में डेंगू के मच्छरों से भरा रहता है। साल भर गंदगी रहती है।”
किरण चंदोला के अनुसार,अपंजीकृत फ्लैट के लिए जहां कब्जा नहीं लिया गया है, यह एक दोहरी मार है। वर्ष 2015 तक का सारा भुगतान डीएलएफ को कर दिया गया है.. मेरे जैसे कुछ लोगों की ईएमआई पिछले 14 साल से चल रही है। इस पीड़ा को बढ़ाने के लिए, गैर-कानूनी समिति बेहिसाब कॉमन एरिया मेंटेनेंस और बिजली शुल्क जोड़ रही है।”
सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़ कर भाग लेने और सोसायटी की समस्याओं के खिलाफ बेहद मुखर बीना त्रेहान ने कहा,“हमने क्लब के लिए पैसे दिए और गैस कनेक्शन का अभी भी इंतजार है।”
जगमीत सिंह के मुताबिक,“ हम स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव चाहते हैं जिसमें सभी फ्लैट मालिकों को वोट देने का समान अधिकार हो। दादागिरी करने वालों की कोई भी गैरकानूनी शर्त नहीं चलेगी। पंजीकरण लंबित रहने के कारण कई लोग इस सुविधा का उपयोग नहीं कर रहे हैं क्योंकि परियोजना अधूरी है। जिन लोगों ने कब्जा नहीं लिया है और सुविधा का उपयोग नहीं कर रहे हैं, उन्हें कॉमन एरिया मेंटेनेंस और कॉमन एरिया बिजली बिल का भुगतान करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद फ्लैटों के पंजीकरण में देरी हो रही है। एक्सप्रेस ग्रींस कॉन्डोमिनियम एसोसिएशन’ में फ्लैटों के मालिकों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए न कि बिल्डर के प्रतिनिधि या उनके चमचों की।”
राजेश सबलोक, सुरिंदर चौधरी, नवीन सोई, संदीप अग्रवाल, त्यागराजू शृंगारी, पवन सिरोही, मुकुल गुप्ता, सुनंदा, सौरभ कथूरिया, नव्या, दिलीप गुप्ता, संगीता, इंदर मोहन ग्रोवर, एस जे अम्बरकर, नीलम गिल, मिनाक्षी तिवारी, दिलीप चंद मित्तल, धीरज चौधरी, अभिषेक जैन, सीमा सावकर, सुशील कुमार सिंह, विजय अरोड़ा, सुनील कुमार, राजेश डबराल, अमृत राज सिंह चड्ढा, एस के मित्तल, राकेश गुप्ता, अंबरीश जैन, एस के प्रसाद, सुमन गोयल, रोहत, रोहताश शर्मा, अरुण अरोड़ा, नरेंद्र खंडेलवाल , प्रेम बाजपेयी समेत सैकड़ों फ्लैट मालिकों ने आरोप लगाया है कि 14 वर्ष बाद भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है।क्लब अभी तक नहीं बना,टावर जी का ओसी नहीं आया, टाउन हाउस नहीं बने और स्वतंत्र मंजिल का निर्माण नहीं हो सका है। कोर्ट में झूठ बोला गया कि प्रोजेक्ट पूरा हो गया।
उन्होंने श्री विज से आग्रह किया है कि इस सोसायटी की तमाम अनियमितताओं की जांच की जाये, यहां के निवासियों को वर्तमान व्यवस्था से मुक्ति प्रदान करते हुए आरडब्ल्यूए का पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए चुनाव कराया जाये।