हर नदी में दो जगह लगाए गए प्रदूषण जांचने के उपकरण
छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियों में शामिल महानदी, शिवनाथ, खारुन, हसदेव और केलो में अब हर घंटे पानी की जांच की जाएगी, ताकि प्रदूषण का पता लगाकर उसके कारणों को खत्म करने का सिलसिला शुरू किया जा सके। पांचों नदियों में दो-दो प्वाइंट (कुल 10 प्वाइंट) चिन्हित कर लिए गए हैं। वहां पानी में डिसाॅल्व ऑक्सीजन, बाॅयोलाॅजिकल ऑक्सीजन डिमांड या बीओडी और बैक्टीरिया के प्रकार का पता लगाने के लिए मेजरमेंट मशीनें लगाई जा रही हैं। ये मशीनें हर एक घंटे में पानी का सैंपल लेकर 5 मिनट में जांच करके बता देंगी कि बीओडी और बैक्टीरिया की मात्रा कितनी है। इस आधार पर नदियों के पानी की शुद्धता का डेटाबेस तैयार होगा।
इस डेटाबेस पर संबंधित नदी में प्रदूषक तत्वों की मात्रा खत्म करने के उपाय या सफाई के प्रोजेक्ट बनाए जाएंगे, ताकि इन नदियों पर आश्रित लोगों को दूषित पानी के इस्तेमाल से बचाया जा सके। रायपुर समेत प्रदेश के प्रमुख शहरों में चौबीसों घंटे हवा की जांच हो रही है। अभी तक पानी की जांच का कोई सिस्टम नहीं है।
हालांकि ऐसा सिस्टम पूरे देश में नहीं है, पर प्रक्रिया शुरू हुई है। इसी नेशनल वाटर क्वालिटी मानिटरिंग प्रोग्राम के लिए केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने छत्तीसगढ़ की पांच नदियां चुनी हैं। चयन से पहले इन पांचों नदियों में पानी में मिलने वाले प्रदूषक तत्वों की मात्रा का पता लगाया गया। बैक्टीरिया और गंदगी ज्यादा मिलने के कारण इन नदियों को राष्ट्रीय मानक में चौथी और पांचवी कैटेगरी में रखा गया। उसी के बाद इन पांचों नदियों को इस प्रोग्राम में शामिल कर यहां चौबीसों घंटे पानी की जांच का सिस्टम लगाने का फैसला किया गया।
इन उपकरणों से रियल टाइम डाटा मिलेंगे। उपकरण में लगे डाटा पांच मिनट के भीतर नवा रायपुर में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के दफ्तर में लगे मानिटर में डिस्प्ले होगा। इससे इन नदियों के पानी की हर घंटे की मानटिरिंग होगी।
पांचों प्रमुख नदियों में दस जगहों पर उपकरण लगाने का काम लगभग पूरा कर लिया गया है। फिलहाल ट्रायल चल रहा है। हसदेव नदी में कोरबा के दर्री क्षेत्र और उर्गा गांव में उपकरण लगाए गए हैं। इसी तरह रायपुर की लाइफलाइन खारुन नदी में भाठागांव इंटकवेल के पास और अभनपुर के पास बेंद्री गांव में लगाए गए हैं। महानदी में सिहावा और आरंग तथा शिवनाद नदी में बेमेतरा और केलो नदी में रायगढ़ शहर व कयाघाट में उपकरण लगाए गए हैं।
जानिए, किस नदी में मिला कितना प्रदूषण
छत्तीसगढ़ में पानी के तीन प्रदूषक तत्वों को ऐसे समझें
1. डिसाल्व ऑक्सीजन – इस जांच में देखा जाएगा कि पानी में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं और जैविक पदार्थों के जीवित रहने के लिए जरूरी ऑक्सीजन पर्याप्त है या नहीं। डीओ की मात्रा कम होने पर जैविक पदार्थ और जीव-जंतुओं का जीवित रह पाना मुश्किल होता है।
2. बायोलाॅजिकल डिमांड दूसरी जांच बीओडी यानी बायोलाॅजिकल ऑक्सीजन डिमांड है। इससे पता चलता है कि पानी में मिलने वाले कार्बनिक पदार्थों का विघटन हो पा रहा है या नहीं। यह भी नदी-तालाबों के पानी में प्रदूषण फैलने की एक बड़ी वजह मानी जाती है।
3. बैक्टीरियल टेस्टिंग इसमें संबंधित जगह के पानी में बैक्टीरिया की जांच होती है। दरअसल गंदे नालों-नालियों और सीवरेज तथा सेप्टिक का पानी भी नदियों में पहुंचता है। इस पानी के कारण कई तरह के बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं। ये बैक्टीरिया बड़ी बीमारियों का कारण हैं।
जांच के बाद… मॉनिटरिंग के बाद इन नदियों को लेकर स्थिति स्पष्ट होगी। ये पता लगेगा कि अगर गंदगी हो रही है तो क्यों? ऑक्सीजन की मात्रा कम है तो क्यों? इन्हें दूर करने के प्रयास करेंगे।