छत्तीसगढ़ में सालाना 10 हजार टन उत्पादन की तैयारी, सरकार उपलब्ध करा रही है प्रशिक्षण और बीज
छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ प्रदेश के किसानों को लाख उत्पादन कर लाखों कमाने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए बीहन लाख आपूर्ति, बीहन लाख की बिक्री और लाख फसल ऋण जैसी मदद दी जा रही है। प्रदेश में अभी चार हजार टन लाख का उत्पादन होता है। इसकी अनुमानित कीमत 100 करोड़ रुपए है। संघ ने प्रदेश में लाख उत्पादन को 10 हजार टन तक बढ़ाने की तैयारी तेज की है। इससे किसानों को करीब 250 करोड़ रुपए तक की आय हो जाएगी।
लाख “केरिना लाका’ नाम के कीट से बनने वाली प्राकृतिक राल है। लाख के कीड़े पलास, कुसुम और मीठी बेर के पेड़ों पर पाले जाते हैं। वे पेड़ की टहनियों से रस चूसकर भोजन प्राप्त करते हैं। अपनी सुरक्षा के लिए राल का स्राव कर कवच बना लेते हैं, यही लाख होता है। इसे काटी गई टहनियों से खुरच कर निकाला जाता है। लाख का इस्तेमाल मुख्य रूप से कॉस्मेटिक, सील, चमड़ा, विद्युत कुचालक, वार्निश, फलों और दवाओं पर कोटिंग, पॉलिश और सजावट की वस्तुएं तैयार करने में किया जाता है।
अक्टूबर से दिसम्बर तक लाख का सीजन है। प्रदेश के 20 जिलों में 50 हजार किसान इसकी खेती करते हैं। इस साल बीहन यानी लाख के बीज काे महाराष्ट्र से मंगाया गया है। राज्य लघु वनोपज संघ ने इसकी बिक्री के लिए दरों का निर्धारण कर दिया है। अधिकारियों ने बताया, कुसुमी बीहन लाख (बेर से प्राप्त) के लिए खरीदी दर 550 रुपए प्रति किलोग्राम और रंगीनी बीहन लाख (पलाश से प्राप्त) के लिए खरीदी दर 275 रुपए प्रति किलोग्राम तय हुआ है। कृषकों को बीहन लाख उपलब्ध कराने के लिए बिक्री दर भी तय हुआ है। कुसुमी बीहन लाख (बेर से प्राप्त ) के लिए 640 रुपए प्रति किलोग्राम और रंगीनी बीहन लाख (पलाश से प्राप्त) के लिए 375 रुपए प्रति किलोग्राम की दर निर्धारित तय है।
बिना ब्याज के कर्ज भी मिलेगा
राज्य सरकार ने लाख की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए जिला सहकारी बैंक के माध्यम से लाख फसल ऋण निःशुल्क ब्याज के साथ देने की व्यवस्था की है। इसके तहत लाख पालन करने के लिए पोषक वृक्ष कुसुम पर 5 हजार रुपए, बेर पर 900 रुपए और पलाश पर 500 रुपए प्रति पेड़ की ऋण सीमा निर्धारित है। लाख पालन के वैज्ञानिक प्रशिक्षण के लिए कांकेर में एक प्रशिक्षण केन्द्र भी खोला गया है। इस केन्द्र में तीन दिन का प्रशिक्षण और किसी लाख उत्पादन क्लस्टर में ऑनफार्म प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
बीहन के लिए 15 दिसम्बर तक जमा करना होगा दाम
अधिकारियों ने बताया, 20 जिला यूनियनों में तीन से पांच प्राथमिक समिति क्षेत्र को जोड़ते हुए लाख उत्पादन क्लस्टर बनाया गया है। इसके तहत प्रत्येक लाख उत्पादन क्लस्टर में सर्वेक्षण कर कृषकवार बीहन लाख की मांग की जानकारी ली जा रही है। इनमें कृषकों को संघ द्वारा निर्धारित मूल्य पर बीहन लाख देने के लिए आवश्यक कुल राशि को अग्रिम रूप से जिला यूनियन खाते में जमा कराना होगा। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख के लिए कृषकों को 15 दिसंबर तक पूरी राशि संघ के खाते में जमा करनी होगी। अधिकारियों ने बताया, रंगीनी बीहन की समयसीमा 15 नवम्बर को ही खत्म हो चुकी है। बड़ी संख्या में किसानों ने यह लाख बीहन लिया है।