अगले हफ्ते 8 अरब हो जाएगी दुनिया की आबादी, भारत के लिए कैसे
नई दिल्ली. दुनियाभर की जनसंख्या में अगले हफ्ते बड़ा बदलाव आने वाला है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अगले हफ्ते दुनिया की आबादी आठ अरब पहुंचने वाली है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या विभाग ने कहा कि आने वाले दशकों में जनसंख्या में वृद्धि जारी रहेगी, लाइफ एक्सपेंटेंसी 2050 तक बढ़कर औसतन 77.2 वर्ष हो जाएगी। 15 नवंबर तक, पृथ्वी पर मनुष्यों की संख्या बढ़कर आठ अरब हो जाएगी, जो 1950 में 2.5 अरब की संख्या से तीन गुना अधिक है। वहीं, भारत के लिए खतरे की घंटी बजने वाली है, क्योंकि अनुमान जताया गया है कि देश की जनसंख्या में लगातार बढ़ोतरी होगी और 2050 तक यह 1.7 बिलियन के पार जा सकती है।
संयुक्त राष्ट्र की भविष्यवाणी है कि दुनिया की आबादी 2030 में लगभग 8.5 बिलियन, 2050 में 9.7 बिलियन और 2080 के दशक में लगभग 10.4 बिलियन तक बढ़ती रहेगी। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रेचल स्नो ने कहा, ”जनसंख्या वृद्धि दर, 1960 के दशक की शुरुआत में चरम पर पहुंचने के बाद, 2020 में नाटकीय रूप से घटकर 1 प्रतिशत से नीचे आ गई है।” प्रजनन दर में निरंतर गिरावट के कारण यह आंकड़ा संभावित रूप से 2050 तक लगभग 0.5 प्रतिशत तक गिर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, साल 2021 में, औसत प्रजनन दर प्रति महिला 2.3 बच्चे थी, जो 1950 में लगभग पांच से कम थी, जो कि 2050 तक यह संख्या गिरकर 2.1 हो जाएगी। स्नो कहती हैं, ”हम दुनिया में एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं, जहां इस दुनिया के अधिकांश देश और अधिकांश लोग ऐसे देश में रह रहे हैं, जो रिप्लेसमेंट फर्टिलिटी क्षमता से नीचे हैं।” वहीं, वैश्विक जनसंख्या वृद्धि का एक प्रमुख कारण यह है कि औसत लाइफ एक्सपेंटेंसी में बढ़ोतरी जारी है। यह 2019 में 72.8 वर्ष, 1990 की तुलना में नौ वर्ष अधिक। संयुक्त राष्ट्र ने 2050 तक औसत लाइफ एक्सपेंटेसी 77.2 वर्ष होने की भविष्यवाणी की है।
वहीं, विभिन्न क्षेत्रों में औसत आयु भी अलग-अलग हैं। वर्तमान में यूरोप में 41.7 वर्ष बनाम उप-सहारा अफ्रीका में 17.6 वर्ष औसत आयु है। इस बारे में स्नो कहती हैं कि यह अंतर कभी भी उतना बड़ा नहीं रहा जितना आज है। यह संख्या कुछ और भी हो सकती है, लेकिन अतीत की तरह नहीं जब देशों की औसत आयु ज्यादातर युवा थी। मिस स्नो आगे कहती हैं कि भविष्य में यह बढ़े के करीब हो सकती है।
चीन की आबादी धीरे-धीरे होगी कम
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ये क्षेत्रीय जनसांख्यिकीय अंतर आगे चलकर भूराजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वहीं, चीन की 1.4 बिलियन जनसंख्या धीरे-धीरे कम होना शुरू हो जाएगी और 2050 तक यह 1.3 बिलियन तक पहुंच जाएगी। इस शताब्दी तक जनसंख्या सिर्फ 80 करोड़ तक रह सकती है। वहीं, दूसरी ओर भारत की बात करें तो 2023 तक यह चीन से अधिक जनसंख्या वाला देश हो सकता है। साथ ही 2050 तक यह 1.7 बिलियन के पार जा सकती है। अमेरिका 2050 में तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश बना रहेगा।