गरियाबंद : गरियाबंद जिला में लोगों ने उत्सुकतापूर्वक सुनी लोकवाणी

गरियाबंद 13 फरवरी 2022: गरियाबंद जिले के नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने उत्सुकतापूर्वक लोकवाणी कार्यक्रम सूनी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी की 26वीं कड़ी में आज ‘‘सुगम उद्योग, व्यापार-उन्नत कारोबार’’ विषय पर प्रदेशवासियों से बात-चीत की।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में उद्योग, व्यापार और कारोबार के लिए अनुकूल वातावरण है। उन्होंने कहा कि संभावनाओं से भरपूर छत्तीसगढ़ में देश और दुनिया के निवेशक आकर देखें कि यहां उद्योग मित्र, व्यापार मित्र, कारोबार मित्र, उपभोक्ता मित्र, पर्यटक मित्र, रोजगार मित्र नीतियों से कैसे नवा छत्तीसगढ़ गढ़ा जा रहा है। राज्य में हमने शुरू से ही ऐसे कार्यों को महत्व दिया है, जिससे प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आए और रोजगार के अवसर बढ़ें।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हमारे फैसलों से गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। उसका लाभ उद्योग और व्यापार जगत को मिला। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने औद्योगिक नीति 2019-2024 की घोषणा की थी, जिसमें फूड, एथेनॉल, इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस, दवा, सोलर जैसे नए उद्योगों को प्राथमिकता दी गई थी। एम.एस.एम.ई. सेवा श्रेणी उद्यमों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, सेवा केन्द्र, बी.पी.ओ., 3-डी प्रिंटिंग, बीज ग्रेडिंग इत्यादि 16 सेवाओं को सामान्य श्रेणी के उद्योगों की भांति औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के दौरान हमने देखा कि बहुत से मेडिकल उपकरण तथा सामग्री स्थानीय स्तर पर ही बनाए जा सकते हैं, इसलिए इन्हें भी उद्योगों की भांति औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया है।

औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन नियमों का सरलीकरण किया गया था, जिसके अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन भू-प्रब्याजी में 30 प्रतिशत की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों में भू-भाटक में 33 प्रतिशत की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों एवं औद्योगिक क्षेत्रों से बाहर 10 एकड़ तक आबंटित भूमि को लीज़ होल्ड से फ्री होल्ड किए जाने हेतु नियम तैयार कर अधिसूचना जारी की गई। ऐसे प्रयासों के कारण छत्तीसगढ़ में तीन वर्षों में 1 हजार 715 नए उद्योग स्थापित हुए, जिसमें 19 हजार 500 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ तथा 33 हजार लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा 149 एमओयू भी किए गए हैं, जिसमें 74 हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा और 90 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। हमने बायो एथेनॉल प्लांट लगाने के लिए 18 निवेशकों के साथ 3 हजार 300 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के लिए एमओयू किया है, जिसमें 2 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।

औद्योगिक नीति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, कृषि उत्पादक समूहों, तृतीय लिंग के लोगों के लिए विशेष पैकेज हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए ऐसा कोई प्रावधान औद्योगिक नीति में नहीं था। इस दिशा में ध्यान देते हुए ओबीसी प्रवर्ग हेतु 10 प्रतिशत भू-खण्ड आरक्षित किए जाएंगे, जो कि भू-प्रीमियम दर के 10 प्रतिशत दर तथा 1 प्रतिशत भू-भाटक पर उपलब्ध कराए जाएंगे।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि कोरोना काल में हमने सिर्फ छत्तीसगढ़ के ही नहीं बल्कि यहां से गुजरकर दूसरे राज्यों को जाने वाले मजदूरों की भी मदद की है। हमने अपने राज्य के मजदूरों के खाने-पीने, ठहरने, गांवों में क्वारंटाइन होने, जांच और उपचार की व्यवस्था के अलावा उन्हें अपने ही राज्य में रोजगार दिलाने के उपाय किए थे। हमारे बेहतर प्रबंधन को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली थी। भारत सरकार द्वारा असंगठित श्रमिकों के पंजीयन के लिए जो ई-श्रम पोर्टल बनाया गया है। उसमें भी हमने 64 लाख श्रमिकों का पंजीयन करते हुए देश में तीसरा स्थान हासिल किया है। हमने कारखाना अधिनियम के तहत कामगारों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी है। इसके अलावा दो नई योजनाओं की घोषणा 26 जनवरी के अवसर पर की है। प्रत्येक जिला मुख्यालय तथा विकासखण्ड स्तर पर ‘मुख्यमंत्री श्रमिक संसाधन केन्द्र’ की स्थापना की जाएगी।
श्रमिक परिवारों की बेटियों की शिक्षा, रोजगार, स्वरोजगार तथा विवाह में सहायता के लिए ‘मुख्यमंत्री नोनी सशक्तीकरण सहायता योजना’ शुरू की जाएगी। इस योजना के तहत ‘छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल’ में पंजीकृत हितग्राहियों की प्रथम दो पुत्रियों के बैंक खाते में 20-20 हजार रुपए की राशि का भुगतान एकमुश्त किया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के लिए चार तरह के संसाधनों का सबसे ज्यादा योगदान हो सकता है-पहला खनिज, दूसरा कृषि, तीसरा वानिकी और चौथा मानव संसाधन। खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए पूर्व में अनेक प्रयास हुए हैं लेकिन उनकी अपनी सीमाएं भी हैं। कृषि, वन और मानव संसाधन की भागीदारी को बहुत बड़े पैमाने में बढ़ाने की संभावनाएं हैं, जिस पर पहले गंभीरता से काम नहीं किया गया। दशकों से कृषि के नाम पर धान, वन के नाम पर तेन्दूपत्ता और मानव संसाधन के नाम पर सीमित सरकारी नौकरियों से अधिक की सोच नहीं रखी गई। हमने पूरी रणनीति ही बदल दी है। खनिज आधारित उद्योगों के स्थान पर ऐसे उद्योगों को प्राथमिकता दी गई जिससे पर्यावरण प्रभावित न हो। कृषि और वानिकी को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी गई।

एक ओर धान की खेती करने वाले किसानों का मनोबल बढ़ाया वहीं दूसरी ओर वैकल्पिक फसलों के प्रति भरपूर जागरुकता पैदा की गई। हम बरसों से यह सुनते आए थे कि धान और गरीबी का चोली-दामन का साथ होता है। हमने इस कहावत को झुठला दिया है। अब हमारे धान उत्पादक किसान भी समृद्ध हैं। यही वजह है कि प्रदेश में धान की उत्पादकता और उत्पादन में रिकार्ड तोड़ वृद्धि हुई है। वहीं हर साल समर्थन मूल्य पर खरीदी का भी नया कीर्तिमान बना है। वर्ष 2017-18 में सिर्फ 15 लाख 77 हजार पंजीकृत किसान थे, जो अब बढ़कर 22 लाख 66 हजार हो गए। इसमें से 21 लाख 77 हजार किसानों ने धान बेचा है। खेती का रकबा 22 लाख से बढ़कर 30 लाख 11 हजार हेक्टेयर हो गया। धान की खरीदी 56 लाख 88 हजार से बढ़कर लगभग 98 लाख मीट्रिक टन हो गई। इसके अलावा मक्का, गन्ना, तिलहन, दलहन, लघु धान्य फसल, उद्यानिकी फसलों का विकास भी तेजी से हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब शिक्षित और युवा किसान भी तेजी से बढ़ रहे हैं, जो नई-नई तकनीक का उपयोग कर रहे हैं, जिसके नतीजे आने वाले समय में दिखाई देंगे। इस तरह छत्तीसगढ़ के खेत अपने आप में उद्यम बन गए हैं। वन संसाधनों की बात करें तो पहले मात्र 7 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाती थी। अब हमने 61 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने की व्यवस्था कर दी है। जहां तक मानव संसाधन की उद्यमिता का सवाल है तो हमने अब छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन का गठन कर दिया है, जिससे 5 वर्ष में 15 लाख रोजगार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य दिया गया है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि मैं अपने युवा साथियों से अनुरोध करता हूं कि वे अपनी रुचि, अपने समाज, अपने प्रदेश के हित में अपनी आजीविका का जो भी रास्ता चुनें, उस पर डटे रहें। आप में वह क्षमता है कि किसी भी काम को चमका सकते हैं। हमने प्रदेश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का ऐसा ढांचा खड़ा कर दिया है कि जिस तरह हमारे गौठान स्वावलंबी हो रहे हैं, उसी तरह गांव भी स्वावलंबी हो जाएंगे।

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