अनोखा है यह उग्र स्वभाव वाली मां धूमावती का मंदिर, जहां देवी को चढ़ाते हैं कचौड़ी, मिर्ची भजिया, समोसे का भोग

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित प्राचीन शीतला मंदिर परिसर में 2011 में मां धूमावती पीठ की प्रतिष्ठापना की गई थी। मां धूमावती निराकार रूप में हैं और ज्योति बिंदु रूप में पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि मां धूमावती का स्वभाव उग्र होने से माता को भोग के रूप में तीखे मिर्च-मसालों वाले नमकीन व्यंजनों का भोग अर्पित किया जाता है। खासकर कचौड़ी, मिर्ची भजिया, समोसा, मुंगोड़ी, बड़ा और मिठाई में रसगुल्ला, चमचम का भोग लगाते हैं।

तीखे मिर्च-मसालों का भोग अर्पित करने से मन्नत होती है पूरी

मां धूमावती पीठ के पं.नीरज सैनी बताते हैं कि माता को तीखे मिर्च-मसालों का भोग अर्पित करने से श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होती है। दतिया के पीतांबरा पीठ वाले बाबा ने मां धूमावती को भोग के रूप में नमकीन व्यंजनों का भोग लगाने कहा था। लगभग 11 साल से माता को इसी तरह का भोग लगाया जा रहा है।

आज ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी को मनाएंगे जयंती

मंदिर परिसर में ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी को माता की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। दो साल से कोरोना महामारी के चलते जयंती सादगी से मनाई गई थी। इस साल मंगलवार को अष्टमी तिथि है, इस दिन भी केवल पूजा-अर्चना, हवन, पूजन, आरती की परंपरा ही निभाई जाएगी।

सूपा में हरती है भक्तों का कष्ट

ऐसी मान्यता है कि श्रद्धालु माता के समक्ष अपनी परेशानी, दुख, बीमारी बयां करते हैं। माता अपने भक्तों की समस्याओं का निवारण करने के लिए सूपा में भक्तों के कष्ट, दुर्भाग्य को अपने साथ ले जाती है। माता को 10 महाविद्याओं में से सातवीं विद्या माना जाता है।

कालसर्प, मांगलिक दोष से मुक्ति

जो श्रद्धालु मांगलिक दोष, कालसर्प दोष, शत्रुबाधा, पारिवारिक कलह से ग्रस्त हैं। साथ ही दरिद्री उनका पीछा नहीं छोड़ रही है, ऐसे संकटग्रस्त लोग अपने दुख नाश और दोषों से छुटकारा पाने के लिए मां धूमावती की पूजा करके मन्नात मांगते हैं।

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