भारत में हर साल तंबाकू के सेवन से होती हैं 10 मिलियन से ज़्यादा मौतें, विशेषज्ञों ने दी ये सलाह
नई दिल्ली. दुनिया भर में हर साल 31 मई को वर्ल्ड नो टुबैको डे यानी विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। लोगों को तंबाकू से होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूक करने के लिए सबसे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 31 मई 1987 को इस खास दिन को मनाने की शुरुआत की थी। इस वर्ष के विश्व तंबाकू निषेध दिवस का विषय ‘तंबाकू हमारे पर्यावरण के लिए खतरा’ है। आज कई लोग तंबाकू सेवन के घातक प्रभावों से पीड़ित हैं, जिसका मुख्य कारण लोगों के बीच जागरूकता की कमी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत में तंबाकू के सेवन के कारण हर साल 10 मिलियन से ज़्यादा मौतें होती हैं और दुनिया के 12 फीसदी धूम्रपान करने वाले भारत में रहते हैं। धूम्रपान के प्रभाव के बारे में बताते हुए फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल, फरीदाबाद के डॉ कुणाल बहरानी, डायरेक्टर, न्यूरोलॉजी ने बताया, सिगरेट और बीड़ी में निकोटीन होता है जो उन विभिन्न न्यूरोट्रांसमीटर्स की तरह काम करता है, जो हमारे दिमाग में पहले से मौजूद हैं। धूम्रपान से डोपामाइन संकेत एक्टिवेट होते हैं, जिसके कारण मस्तिष्क को सुखद अनुभूति होती है। क्योंकि निकोटीन सुखद अनुभूति से जुड़े डोपामाइन के काम करने की नकल करता है, तो मस्तिष्क धूम्रपान (निकोटीन) को सुखद अनुभूति के साथ जोड़ना शुरू कर देता है। डॉ कुणाल बहरानी, धूम्रपान के कारण पैदा होने वाली कुछ हानिकारक स्थितियों के बारे में जानकारी देते हुए इसके दुष्प्रभावों के बारे में बताते हैं।
धूम्रपान करने से होने वाले नुकसान-
मस्तिष्क के वॉल्यूम में कमी – कोई व्यक्ति जितना लंबे समय तक धूम्रपान करता है, महत्वपूर्ण ऊतकों के सिकुड़ने के कारण उसके मस्तिष्क का वॉल्यूम उतना ही कम हो जाता है।
डिमेंशिया होना – धूम्रपान मस्तिष्क के याददाश्त से जुड़े सबकॉर्टिकल को प्रभावित करता है, जिससे धूम्रपान करने वालों में डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है।
धूम्रपान से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है – यदि कोई एक दिन में 20 सिगरेट पीता/पीती है, तो उसे धूम्रपान न करने वाले की तुलना में स्ट्रोक होने की संभावना छह गुना ज़्यादा होती है। तंबाकू में फॉर्मल्डेहाइड, साइनाइड, आर्सेनिक और कार्बन मोनोऑक्साइड सहित 7,000 से ज़्यादा हानिकारक रसायन होते हैं, जो थक्का बनने की संभावना को बढ़ा देते हैं।
यदि धूम्रपान से मस्तिष्क पर पड़ने वाले असर से आप भी चिंतित हैं, तो आप कभी भी इसे छोड़ने की कोशिश कर सकते हैं, क्योंकि जब भी आप धूम्रपान छोड़ने की कोशिश करते हैं तो आप वास्तव में धूम्रपान से मुक्त होने के थोड़ा और करीब चले जाते हैं।“
तंबाकू से होने वाले कैंसर से बचने का तरीका-
विश्व तंबाकू निषेध दिवस के विषय में डॉ. इशु गुप्ता, कंसल्टेंट, मेडिकल ऑकोलॉजिस्ट, फोर्टिस अस्पताल नोएडा ने कहा, कैंसर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बढ़ता जा रहा है। हर साल एक करोड़ लोग कैंसर से मौत का शिकार होते हैं। कैंसर से बचने का तरीका यही है कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाई जाए, पोषक आहार लें, नियमित शारीरिक गतिविधि करें, हानिकारक रसायनों एवं रेडियोधर्मिता से दूर रहें और तंबाकू एवं शराब का सेवन न करें। कैंसर से बचाव का सबसे बड़ा एहतियाती उपाय तंबाकू का सेवन बंद करना है। सिगरेट, सिगार और पाइप से जो धुआं शरीर में जाता है उसमें ऐसे 70 रसायन होते हैं जिनसे कैंसर हो सकता है। विभिन्न प्रकार के कैंसर के लिए तंबाकू खाना भी बहुत बड़ा कारण है।
डॉ. इशु गुप्ता ने कहा, तंबाकू से सिर्फ मुहं या फेफड़े का ही कैंसर नहीं होता बल्कि यह भोजन नली, लीवर, पेट, अंतड़ी, किडनी, मूत्र नली, और कुछ प्रकार के रक्त कैंसर का भी कारण बन सकता है। जो लोग किसी भी प्रकार के तंबाकू का सेवन करते हैं वे अपने हेल्थ केयर सेंटर जाकर तंबाकू छोड़ने में मदद ले सकते हैं। साथ ही उन्हें कुछ जांच भी करा लेनी चाहिए ताकि अगर कोई शुरुआती कैंसर पनप रहा हो तो उसका पता लग जाए और इलाज किया जा सके। जो लोग बहुत अधिक धूम्रपान करते हैं उनके लिए कम डोज़ में सीटी स्कैन सुरक्षित है और इससे शुरुआती चरण में ही कैंसर का पता चल सकता है। नियमित रूप से ईएनटी (कान, नाक, गले की जांच) जांच से भी शुरुआती स्तर पर कैंसर का पता लगाने में मदद मिलती है। इस विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर आइये हम कैंसर को दूर रखने की दिशा में एक कदम जरूर उठाएं।