मंकीपॉक्स के कितने स्‍ट्रेन हैं? वैक्‍सीन है या नहीं? कोरोना संक्रमण जैसा खतरा तो नहीं

वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने फिलहाल मंकीपॉक्स के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण की जरूरत से इंकार किया है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने अगाह जरूर किया है कि ये बीमारी समलैंगिकों के बीच फैलने की आशंका ज्यादा है। स्मॉल पॉक्स, चिकनपॉक्स की तरह ही मंकीपॉक्स भी बताया गया है। हालांकि इस बीमारी का संबंध बंदर से नहीं है। क्योंकि ये बीमारी बंदरों में एक बार नजर आई थी इस कारण इसका नाम मंकीपॉक्स रख गया।

मंकीपॉक्स क्‍या है? कितने स्‍ट्रेन हैं? वैक्‍सीन है या नहीं?
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरल इन्‍फेक्‍शन है। ये बीमारी संक्रामक जरूर है लेकिन इसका संक्रमण हल्का होता है और आसानी से एक से दूसरे में तब तक नहीं फैलता जब तक कि मरीज के बहुत करीब लंबे समय तक न रहा जाए। ज्‍यादातर लोग कुछ हफ्तों में ठीक हो जाते हैं।
वैक्सीन से कितना होगा असर
मंकीपॉक्स के लिए कोई वैक्‍सीन नहीं है, मगर स्‍मॉलपॉक्‍स की एक वैक्‍सीन मंकीपॉक्स से करीब 85% तक सुरक्षा देती है क्‍योंकि दोनों वायरस काफी मिलते-जुलते हैं।
मंकीपॉक्स के दो स्ट्रेन हैं
मंकीपॉक्स वायरस के दो प्रमुख स्‍ट्रेन हैं- वेस्‍ट अफ्रीकन और सेंट्रल अफ्रीकन। डब्ल्यूएचओ ने पिछले हफ्ते आउटब्रेक्‍स को ‘असामान्‍य’ करार दिया, क्‍योंकि वायरस ऐसे देशों में फैल रहा है जो एनडेमिक नहीं हैं। मंकीपॉक्स का अभी वाला वायरस आउटब्रेक किसी म्‍यूटेशन की वजह से फैल रहा है। हालांकि सबको चौंकाने वाली बात यह है कि एक हालिया केस की कोई ट्रेवल हिस्‍ट्री नहीं मिली है।
मंकीपॉक्स के लक्षण क्‍या हैं? यह कैसे फैलता है?
मंकीपॉक्स के मरीजों को बुखार/ठंड लगाना, लिम्‍फ नोड्स में सूजन, सिरदर्द, पीठदर्द, थकान और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत हो सकती है। ज्‍यादातर मरीजों को बुखार रहता है। इसके बाद शरीर पर चकत्‍ते पड़ जाते हैं और बुखार जैसे शुरुआती लक्षण गायब होने लगते हैं। यह बीमारी खुद से ठीक होने वाली होती है। यानि लक्षण दो से चार हफ्तों तक रहते हैं। गंभीर मामले भी देखने को मिलते हैं।
कैसे फैलता है यह वायरस?
संक्रमित मरीज के ड्रॉपलेट्स और छालों के पस और मल और पेशाब के संपर्क में आने से यह फैल सकता है। यह हवा में नहीं फैलता है। अगर संक्रमित व्यक्ति के घावों या चीजों को कोई छूता है या उसे उपयोग में लाता है, तो उस व्यक्ति में मंकीपॉक्स फैल सकता है।
समलैंगिक रिश्तों में संक्रमण के ज्यादा आसार
WHO का कहना है कि समलैंगिक लोगों में इसके संक्रमण की ज्यादा आशंका है। हाल में हुए गे प्राइड इवेंट के बाद मंकीपॉक्स के 30 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इस इवेंट में 80,000 लोगों ने हिस्सा लिया था। भले ही संभावना समलैंगिकों में इस बीमारी की ज्यादा हो, लेकिन ये किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है।
कोरोना वायरस की तरह महामारी तो नहीं लाएगा
मंकीपॉक्स कहीं करोनो की तरह महामारी तो नहीं लाएगा, यह सवाल सभी के मन में है। हालांकि, ये मंकीपॉक्स संक्रामक बीमारी जरूर है और इसकी कोई वैक्सीन भी नहीं, लेकिन ये कोरोना जितना खतरनाक नहीं है। इससे बचाव आसान है और इसके खतरे भी कम गंभीर है।

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