चोरी की तकनीक से चीन बढ़ा रहा अपनी ताकत, कम की हथियारों की खरीद, जंग के चलते रूस ने भी बेचे हथियार

दुनिया में हथियारों की होड़ पिछले 4-5 सालों में बड़ी तेजी से बढ़ी है. इस दौर में एक बार नहीं बल्कि 2 बार दुनिया इस्टर्न ब्लॉक और वेस्टर्न ब्लॉक में बदली. ईस्टर्न ब्लॉक की अगुवाई रूस और उसके समर्थित देश कर रहे थे, तो वेस्ट की अमेरिका ओर नॉटो देश. इन दोनों ब्लॉक में सबसे ज्यादा हथियारों की खरीद बिक्री हुई तो वह है वेस्टर्न ब्लॉक. रूस यूक्रेन और इजरायल हमास हिजबुल्लाह की जंग के चलते यूरोप और अमेरिका की तरफ से हथियारो का जबरदस्त व्यापार हुआ. लेकिन एशिया का बाजार ठंडा रहा. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) का एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल आर्मस ट्रांसफर 41 फीसदी से घटकर 33 फीसदी रह गई. यह आंकड़ा साल 2015-2019 और 2020-2024 का है. इसके पीछे का करण है चीन की हथियारों की खरीद को विदेशो से कम करना.रिपोर्ट के मुताबिक चीन की हथियारों की खरीद में 64 फीसदी तक गिरावट आई. इसकी वजह है कि चीन अब अपने देश में भी बने हथियारों पर ज्यादा भरोसा कर रहा है.

जंग के चलते रूस ने बेचे कम हथियार
यूक्रेन पर हमले के बाद से ही अमेरिका लगातार रूस पर पाबंदियां लगा रहा है. इसमें हथियार और तेल के व्यापर शामिल है. इसका असर भी SIPRI की रिपोर्ट में सामने आया है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015-2019 में अमेरिका के बाद रूस सबसे बड़ा हथियारों का विक्रेता था. उस दौर में पूरे दुनिया के कुल हथियोरों की बिक्र का रूसी हिस्सा 21 फीसदा था. लेकिन 2020-24 में इसमें जबरदस्त 64 फीसदी गिरावट आई है. अब यह दुनिया का महज 7.8 प्रतिशत ही रह गया है .रूस से सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाले देशों में भारत और दूसरा देश चीन है. भारत ने 38 फीसदी खरीद की तो चीन ने 17 फीसदी. रूस की हथियारों की बिक्री में गिरावट के पीछे की वजह है कि उसने प्राथमिकता अपने को दी. उसे जंग लड़ने के लिए हथियार चाहिए थे.साथ ही भारत और चीन भी अपने स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री पर ज्यादा फोकस कर रही है .हालांकि रूस ने दुनिया के 33 देशों के इस दैरान हथियारों की बिक्री की. जिसमें 74 फीसदी तो एशिया और आस पास के देशों को गया. जब्कि 12 फीसदी अफ्रीका 7.4 फीसदी यूरोप के बेलारूस, अर्मेनिया और सर्बिया को और 6.4 फीसदी मिडिल ईस्ट को रहा.

ड्रैगन का इंपोर्ट एक्सपोर्ट भी रहा कम
चीन ने अपनी हथियारों को बेचने के लिए छोटे छोटे जरूरतमंद देशों पर कर्ज का जाल बिछा कर शुरू किया. SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल आर्म एक्सपोर्ट में चीन की हिस्सादेरी महज 5.9 प्रतिशत ही रहा. हांल्कि चीन हथियार एक्सपोर्ट करने वाले देशों की लिस्ट में रूस के बाद चीन चौथे नंबर पर है. चीन ने दुनिया के 44 देशों को हथियार सप्लाई किए. 77 फीसदी चीनी हथियार एशिया और उसके आस पास के देशों ने लिए. चीनी हथियारों की बिक्री के कुल प्रतिशत का दो तिहाई हिस्सा यानी 63 फीसदी सिर्फ पाकिस्तान को किया है. एक्पोर्ट में कमी की वजह है कि आज भी चीन के हथियारों पर दुनिया भरोसा नहीं करती . इसके अलावा भी कई तरह के राजनैतिक मजबूरियां भी है. कई देशों की इसमें अमेरिका का दबाव भी शामल है. चीन ने तो अपने हथियारों को दुनिया भर में बेचने के लिए पाकिस्तान को एक मंडी की तरह इस्तेमाल कर रहा है. पाकिस्तान में हथियारों के खरीद में भी जबरदस्त बढ़ोतरी इसी लिए हुई है. चीन से पाकिस्तान ने 81 फीसदी अपनी हथियार खरीद किया. पाकिस्तान चीन का प्रमुख खरीदार बन गया. ,साल 2015 से 2019 के बीच यह खरीद 74 प्रतिशत था.

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