पड़ोसियों से तंग हैं महिलाएं या करती हैं खुद को सुरक्षित महसूस…..चौंकाने वाला खुलासा

8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से ठीक पहले CNN-News18 ने शी शक्ति सुरक्षा सर्वेक्षण 2025 किया. भारतीय महिलाएं विभिन्न परिवेशों में अपनी सुरक्षा को किस तरह से देखती हैं, इसे लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई. Pvalue द्वारा किए गए सर्वेक्षण में महिलाओं की सुरक्षा संबंधी चिंताओं की एक जटिल तस्वीर दिखी. सर्वेक्षण में पता चला कि अधिकांश महिलाएं (82%) अपने आस-पड़ोस में खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं. हालांकि, सुरक्षा की यह सामान्य भावना यूनिवर्सल नहीं है. 4% महिलाओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि वो घर के पास के क्षेत्रों में असुरक्षित महसूस करती हैं.

इस सर्वे में महिलाओं के अनुकूल बुनियादी ढांचे को लेकर एक चिंताजनक निष्कर्ष सामने आया है, जिसमें महिलाओं के शौचालय, सुरक्षा कर्मी, सीसीटीवी निगरानी और पर्याप्त रौशनी की व्यवस्था जैसी आवश्यक चीजें शामिल हैं. सवालों का जवाब देने वाली केवल 56% महिलाओं ने इन सुविधाओं को सकारात्मक रूप से रेट किया, जबकि 22% ने उन्हें अपर्याप्त माना, जो शहरी नियोजन और विकास में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र को उजागर करता है.

56% ने महिला-अनुकूल बुनियादी ढांचे को सकारात्मक रूप से रेट किया
22% ने महिला-अनुकूल बुनियादी ढांचे को अपर्याप्त माना
शेष 22% ने बुनियादी ढांचे पर न्‍यूट्रल राय रखी

सर्वेक्षण ने चल रही सुरक्षा पहलों के बारे में धारणाओं का भी आकलन किया. जबकि 67% महिलाओं का मानना ​​है कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रयास किए जा रहे हैं, 19% महिलाएं असहमत हैं, जो सुरक्षा उपायों और महिलाओं की वास्तविक जरूरतों के बीच कुछ अंतर का सुझाव देता है.

67% सहमत हैं कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रयास किए जा रहे हैं
19% महिलाएं सुरक्षा प्रयासों की पर्याप्तता के बारे में असहमत हैं
शेष 14% ने इस प्रश्न पर न्‍यूट्रल रुख अपनाया
जब पिछले दो वर्षों में सुरक्षा सुधारों के बारे में पूछा गया, तो उत्‍तर देने वाली 43% महिलाओं ने सकारात्मक बदलावों का उल्लेख किया, हालांकि 21% ने कोई सुधार नहीं होने की सूचना दी.

43% का मानना ​​है कि पिछले दो सालों में सुरक्षा में सुधार हुआ है
21% इस बात से असहमत हैं कि सुधार हुआ है
शेष 36% ने संभवतः कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं देखा या न्‍यूट्रल राय रखी
शायद सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात दिन और रात के बीच सुरक्षा धारणाओं में बहुत बड़ा अंतर है. जबकि दिन के समय सुरक्षा रेटिंग आमतौर पर सकारात्मक होती है, रात के समय सुरक्षा धारणा में नाटकीय रूप से गिरावट आती है. केवल 54% महिलाएँ अंधेरे के बाद अपने पड़ोस में अकेले चलने में सुरक्षित महसूस करती हैं. 15% ने स्पष्ट रूप से रात के समय असुरक्षित महसूस करने की बात कही.

54% महिलाएं रात में अकेले चलने में सुरक्षित महसूस करती हैं
15% महिलाएं रात में अकेले चलने में असुरक्षित महसूस करती हैं
शेष 31% की रात के समय सुरक्षा के बारे में न्‍यूट्रल भावनाएँ थीं
इस व्यापक मूल्यांकन में कंप्यूटर-सहायता प्राप्त टेलीफोन इंटरव्‍यू (CATI) का उपयोग करके 20 भारतीय शहरों में 8,000 महिलाओं का सर्वेक्षण किया गया. 10 अलग-अलग भारतीय भाषाओं में किए गए इस शोध में प्रतिनिधि परिणाम सुनिश्चित करने के लिए प्रति शहर उत्तरदाताओं का यादृच्छिक नमूना लिया गया. शी शक्ति सुरक्षा सर्वेक्षण का उद्देश्य अंततः एक सुरक्षित, अधिक समावेशी भारत बनाना है, जहां महिलाएं अपनी शिक्षा, गतिशीलता, आर्थिक भागीदारी या जीवन की समग्र गुणवत्ता को सीमित करने वाली सुरक्षा चिंताओं के बिना अपने नागरिक अधिकारों का पूरी तरह से उपयोग कर सकें.

आयु, शिक्षा स्तर, वैवाहिक स्थिति और घरेलू मासिक आय सहित जनसांख्यिकीय चर में प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करके, सर्वेक्षण सुरक्षा धारणाओं की एक अंतर-विषयक समझ प्रदान करता है, यह पहचानते हुए कि महिलाओं के अनुभव उनके सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत संदर्भों के आधार पर काफी भिन्न होते हैं.

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