क्लर्क से जीएम बने हितेश मेहता ने कैसे गायब कर दिए 122 करोड़
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न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में हुए 122 करोड़ के घोटाले का मास्टरमाइंड बैंक का तत्कालीन जनरल मैनेजर हितेश मेहता है. अक्टूबर में बैंक से रिटायर हुए हितेश मेहता साल 2020 से लेकर 2024 के अंत तक बैंक के लॉकर से पैसे निकालता रहा और बैंक को इसकी भनक तक न लगी. आरबीआई अगर बैंक का फिजिकल वैरिफिकेशन न करता तो यह घोटाला दबा ही रहता. मुंबई पुलिस ने हितेश मेहता को गिरफ्तार कर लिया है.
हितेश मेहता ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में अपना करियर क्लर्क के रूप में शुरू किया था. कई प्रमोशन के बाद वो जनरल मैनेजर बन गया. उसके पास दादर और गोरेगांव ब्रांच की जिम्मेदारी थी. अकाउंट हेड होने की वजह से बैंक का कैश मेहता ही संभालता था. आरबीआई की जांच में बैंक प्रभादेवी कार्यालय की तिजोरी से करोड़ रुपये गायब मिले तो गोरेगांव कार्यालय की तिजोरी से करोड़ रुपये गायब हुए हैं.
हितेश मेहता 2020 से ही बैंक के पैसे गायब कर रहा था. वह पैसों को तिजोरी में न रखकर उसे बाहर इधर-उधर कर रहा था. मेहता ने पुलिस के सामने स्वीकार किया है कि उसने बैंक के पैसे अपने रिश्तेदारों और जानकारों को दिए हैं. किसी को शक न हो इसलिए मेहता रजिस्टर में कैश की एंट्री कर रहा था, जबकि तिजोरी में पैसे नहीं रख रहा था.
मुंबई के प्रभादेवी स्थित बैंक के कॉर्पोरेट ऑफिस में आरबीआई के अधिकारियों ने जब तीसरी मंजिल पर स्थिति बैंक के मुख्य लॉकर में रखा कैश गिना तो पता चला कि कुल 122 करोड़ रुपये कम है. गोरेगांव ब्रांच में भी गई आरबीआई टीम को तिजोरी में कैश कम मिला. बयान के मुताबिक कुछ घंटों बाद आरबीआई के अधिकारियों ने बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को ऊपर बुलाया और बताया कि तीसरी मंजिल पर स्थित बैंक के लॉकर में रखी नकदी और रजिस्टर में दर्ज नकदी में भारी अंतर है.
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक ने कल बैंक में गबन के संबंध में हितेश मेहता के खिलाफ एफआरआई दर्ज कराई थी. शिकायत के अनुसार मेहता ने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर साजिश रची और बैंक के प्रभादेवी तथा गोरेगांव कार्यालयों की तिजोरियों में रखे धन से 122 करोड़ रुपए का गबन किया. मुंबई पुलिस ने शनिवार को हितेश मेहता को बैंक से 122 करोड़ रुपए के कथित गबन के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. मेहता को आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने तीन घंटे से अधिक समय तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया.