जहर वाले बयान देकर क्या फंसे अरविंद केजरीवाल? EC कर सकता है AAP चीफ की बोलती बंद

चुनाव आयोग बहुत जल्द ही दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर बड़ी कार्रवाई कर सकती है. इलेक्शन कमीशन अरविंद केजरीवाल के उस बयान को गंभीरता से लिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यमुना के पानी में हरियाणा सरकार ने जहर मिला दिया है. केजरीवाल ने भी ये भी कहा था कि भला हो दिल्ली सरकार के इंजीनियरों की, जिन्होंने यमुना में अमोनिया की मात्रा पकड़ लिया. इससे दिल्ली बड़े पैमाने पर जेनोसाइड किलिंग से बच गया.

इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के नेता चुनाव आयोग से मिलकर जांच कराने की मांग कर रहे थे. ऐसे में चुनाव आयोग ने अरविंद केजरीवाल को बुधवार रात 8 बजे तक सबूत उपलब्ध कराने का वक्त दिया है. हालांकि, चुनाव आयोग के पुराने ट्रैक रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल के जहर वाले बयान पर कम से कम 72 घंटे तक प्रतिबंध लग सकता है.

दो दिन पहले द‍िल्‍ली के पूर्व मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था क‍ि हर‍ियाणा सरकार यमुना में अमोन‍िया नामक जहर छोड़ रही है. इससे द‍िल्‍ली के लोगों की सेहत पर खतरा है. इसके बाद इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से भी मिला था. बाद में बीजेपी और कांग्रेस के नेता भी चुनाव आयोग पहुंच गए. दोनों विपक्षी पार्टियों ने मांग की कि केजरीवाल के आरोप की जांच की जाए. साथ ही अगर कोई पार्टी गलतबयानी कर रही है तो उसपर कार्रवाई की जाए. इसके कुछ ही देर बाद आयोग ने अरविंद केजरीवाल से जवाब मांग ल‍िया गया.

चुनाव आयोग ने अरविंद केजरीवाल से कहा क‍ि आपके दावों के मुताबिक, ‘यमुना नदी में जहर डाला जा रहा है और सामूह‍िक नरसंहार की कोश‍िश हो रही है. इस आरोप को सही साबित करने के ल‍िए आप 29 जनवरी रात 8 बजे तक साक्ष्य के साथ रिपोर्ट पेश करें. चुनाव आयोग ने कानूनों का हवाला देते हुए कहा क‍ि इस तरह के बयान देश की एकता और सद्भाव को बिगाड़ने वाले हो सकते हैं. ऐसे में तीन साल तक की कैद का प्रावधान है. इस तरह के राजनीतिक बयानों और आरोपों से कानून व्‍यवस्‍था बिगड़ सकती है. इसल‍िए पूरी जानकारी उपलब्‍ध कराएं.’

चुनाव आयोग आचार संहिता के बीच गलत बयानी की इजाजत नहीं देता है. चुनाव आयोग ने अशोक चव्‍हाण बनाम माधवराव किन्हालकर, अनूप बर्नवाल बनाम केंद्र सरकार जैसे मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा क‍ि गलत बयान तनाव पैदा कर सकते हैं. बीते लोकसभा चुनाव में भी चुनाव आयोग ने भाजपा सांसद हेमा मालिनी के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला को 48 घंटे के लिए प्रचार करने से रोक दिया था.

चुनाव आयोग पूर्व में सत्ताधारी और विपक्षी नेताओं को धार्मिक आधार पर विभाजनकारी भाषण देने के मामले में अस्थाई तौर रोक लगा चुकी है. अमूमन भड़काऊ बयानबाजी और घृणास्पद भाषण धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के मामले में यूपी के मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ, गृह मंत्री अमित शाह, मायावती जैसे नेताओं पर भी 72 घंटे तक कैंपेन पर प्रतिबंध लगा चुका है. बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला पर 48 घंटे के प्रतिबंध लगे थे. ऐसे में चुनाव आयोग अरविंद केजरीवाल पर अगर 72 घंटे तक बैन लगा दे तो हैरानी नहीं होगी.

अरविंद केजरीवाल पर चुनाव आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत किसी भी सार्वजनिक बैठक, सार्वजनिक जुलूस, सार्वजनिक रैलियां, रोड शो और साक्षात्कार, मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, सोशल मीडिया) आदि में सार्वजनिक भाषण देने से रोक लगा सकता है. इसकी अवधि अभी तक 72 घंटे अधिकतम रही है. ऐसे में देखना है कि अरविंद केजरीवाल के केस में चुनाव आयोग कितने दिनों का प्रतिबंध लगा सकता है?

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