ना किसी लिंक पर क्लिक किया, ना ही कोई डिटेल बताई, बस 1 प्रेस करते ही खाते से उड़ गए ₹2 लाख
Cyber क्राइम के कई मामले आपने सुने होंगे और देखे होंगे. आप में से कई लोगों ने Cyber फ्रॉड का अनुभव भी किया होगा. लेकिन इन सभी मामलों से अलग बेंगलुरु की एक महिला नए तरह के Cyber क्राइम का शिकार बनी है. 57 साल की महिला के पास बैंक से फेक IVR कॉल आई और कंप्यूटराइज्ड इंस्ट्रक्शन को फॉलो करते-करते महिला ने 2 लाख रुपये गंवा दिए. जिन्हें नहीं पता है, उन्हें बता दें कि IVR कॉल वो होती है, जिसमें कोई इंसान बात नहीं करता, बल्कि कंप्यूटराइज्ड आवाज आती है.
बेंगलुरु के होसकेरेहल्ली के दत्तात्रेयनगर में रहने वाली महिला ने गिरिनगर पुलिस को बताया कि 20 जनवरी को दोपहर करीब 3.55 बजे 01412820071 से उन्हें कॉल आई. उन्होंने सोचा कि कॉल SBI से है, क्योंकि वही डिस्प्ले हो रहा था और उनका उसी बैंक में खाता भी है.
महिला ने सोचा कि उसके बैंक से कॉल है और इसलिए उन्होंने फोन उठा लिया. IVR कॉल में कंप्यूटराइज्ड आवाज में अंग्रेजी में कहा जा रहा था कि आपके खाते से 2 लाख रुपये दूसरे खाते में ट्रांसफर किए जा रहे हैं. अगर ये ट्रांजेक्शन आपने किया है, तो 3 दबाएं; अगर ट्रांजेक्शन आप नहीं कर रहे हैं तो 1 दबाएं.
महिला ने कहा कि मैं शॉक्ड थी, क्योंकि मैंने ऐसा कोई ट्रांजेक्शन नहीं किया था, जैसा कि वॉइस नोट में बताया जा रहा था. महिला ने कहा कि मैंने कोई भी बटन प्रेस नहीं किया. लेकिन वॉइस नोट बार-बार उसे रिपीट कर रहा था. मैं कंफ्यूज हो गई और कई बार उसे सुनने के बाद मैंने 1 प्रेस कर दिया. इसके ठीक बाद एक और वॉइस नोट आया कि प्लीज आप अपने बैंक जाइये और तुरंत बैंक मैनेजर से मिलें. इसके बाद फोन डिस्कनेक्ट हो गया.
महिला ने कहा – मैंने तुरंत अपना अकाउंट चेक किया. 2 लाख रुपये कम थे. मैं तुरंत बैंक गई और मैनेजर से मिली. मैनेजर ने मुझे तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करने और शिकायत दर्ज करने की सलाह दी. बैंक मैनेजर ने कहा कि वे ट्रांजेक्शन को कैंसल करने के लिए कदम उठाएंगे या फिर उससे जुडे विभाग को लेटर लिखकर फ्राॅड के खाते से पैसे जब्त करने के लिए कहेंगे. सुमित्रा ने कहा – मैंने साइबर हेल्पलाइन को घटना की सूचना दी और बैंक से बाहर निकलने के बाद गिरिनगर पुलिस से कॉन्टैक्ट कर शिकायत दर्ज कराई. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और बीएनएस धारा 318 (धोखाधड़ी) के तहत इस मामले को दर्ज किया गया है.
बहुत ही अजीब केस
पुलिस अधिकारी ने बताया कि आम तौर पर IVR कॉल के दौरान धोखेबाज अपने लक्ष्य की पहचान के लिए वॉयस मैसेज सेट करते हैं, जैसे डेबिट कार्ड के अंतिम चार अंक, बैंक खाता संख्या, या जन्म तिथि, ईमेल आईडी या ऑनलाइन बैंकिंग को ऑथेंटिकेट करने के लिए आवश्यक डेटा. उन्होंने बताया कि एक बार जब पीड़ित जानकारी शेयर कर देता है, तो पैसे उड़ा लिए जाते हैं. पहचान शेयर किए बिना, केवल 3 या 1 या 9 ऑप्शन दबाकर पैसे उड़ाना संभव नहीं है.