ISRO की ऐतिहासिक उड़ान, 100वें मिशन लॉन्च के साथ जड़ा शतक, GSLV-एफ 15 रॉकेट का लॉन्चिंग

इंडियन स्पेस एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इतिहास रच दिया है. इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रॉकेट लॉचिंग का शतक जड़ दिया है. एक नेविगेशन सैटेलाइट NVS-02 को लेकर GSLV रॉकेट ने बुधवार को इस स्पेसपोर्ट से उड़ान भरी, जो ISRO का 100वां मिशन है.

मंगलवार को अंतरिक्ष केंद्र से 27 घंटे की उलटी गिनती शुरू हुई थी. ISRO के अनुसार इस सैटेलाइट के मुख्य उपयोग में स्थलीय, हवाई और समुद्री नेविगेशन, सटीक कृषि, बेड़े प्रबंधन, मोबाइल उपकरणों में स्थान-आधारित सेवाएं, उपग्रहों के लिए कक्षा निर्धारण, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)-आधारित अनुप्रयोग, आपातकालीन सेवाएं और समय सेवाएं शामिल हैं.

क्या काम करेगा यह सैटेलाइट?
GSLV-F15 भारत के भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) की 17वीं उड़ान है और स्वदेशी क्रायो स्टेज के साथ 11वीं उड़ान है. यह स्वदेशी क्रायोजेनिक स्टेज के साथ GSLV की 8वीं परिचालन उड़ान और भारत के अंतरिक्ष केंद्र से 100वां लॉन्च है. यह नेविगेशन सैटेलाइट (NVS-02) परिवहन में उचित ट्रैकिंग और मार्गदर्शन में मदद करेगा. हवाई और समुद्री यातायात को कुशलतापूर्वक ट्रैक करेगा. वहीं, सैन्य अभियानों को अंजाम देने के लिए सुरक्षित, स्थानीय नेविगेशन होने से रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगा.

इस लॉन्च से भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) के सैटेलाइट समूह को अपडेट किया जाएगा, जिसमें कुल 7 सैटेलाइट अंतरिक्ष में होंगे. इस 100वें लॉन्च के साथ, भारत के पास कक्षा में 7 में से 5 सैटेलाइट होंगे.

गौरतलब है कि लांचिंग से पहले इसरो के अध्यक्ष डा. वी. नारायणन ने विज्ञानियों की टीम के साथ तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा की थी. उन्होंने रॉकेट का मॉडल भगवान के चरणों में रखा और मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना की. डॉ. नारायणन ने इसरो में तीसरे लांच पैड के लिए 400 करोड़ रुपये आवंटित करने के प्रधानमंत्री के फैसले के लिए आभार जताया, जिससे अंतरिक्ष में भारी राकेट लांच करने में मदद मिलेगी

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