विधायक का बेटा MLA, सांसद का बेटा MP तो क्या मुख्यमंत्री नीतीश के पुत्र बनेंगे बिहार के अगले CM
हाल के वर्षों में ऐसे कम ही उदाहरण देखने को मिले हैं, जिसमें पिता राजनीति में रहे और बेटा राजनीति से कोसों दूर भाग जाए. देश की राजनीति में बीते दो-तीन दशकों से अक्सर यह देखने को मिल रहा है कि अगर पिता राजनीतिज्ञ हैं तो बेटा भी राजनीति को पेशा बना लेता है. एक ही परिवार में पिता-पुत्र, बहू, भाई और साला-साली तक सांसद, विधायक और जिला पार्षद के सदस्य तक बन जाते हैं. मौजूदा दौर में भी कई परिवार इस परंपरा को बरकरार रखे हुए हैं. यूपी में मुलायम सिंह यादव, बिहार में लालू प्रसाद यादव और झारखंड में शिबू सोरेन के पुत्र या तो सीएम बन गए हैं या फिर बनने के सबसे बड़े दावेदार बने हुए हैं. ऐसे में बिहार के मौजूदा सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को लेकर भी चर्चा गर्म हो गई है. चर्चा किसी और ने नहीं, परिवार के ही सदस्यों ने शुरू किया है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या तेजस्वी, अखिलेश और हेमंत सोरेन की तरह निशांत भी सीधे सीएम पद के लिए दावेदारी करेंगे?
यूपी, बिहार, राजस्थान, एमपी, हरियाणा, पंजाब, झारखंड और महाराष्ट्र जैसे छोटे-बड़े राज्यों में मौजूदा राजनेताओं के बेटे-बेटियां राजनीति में ताल ही नहीं ठोक रही हैं, बल्कि सीएम बनने की रेस में भी बने हुए हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार के स्वास्थ्य और बिहार में कोयरी-कुर्मी वोट बैंक पर उनकी पकड़ को बरकरार रखने के लिए निशांत कुमार को पॉलिटिक्स में एंट्री करवाई जा सकती है? क्या निशांत कुमार और नीतीश कुमार को पार्टी के अंदर से लेकर परिवार के अंदर भी राजनीति में आने का जबरदस्त दवाब है?
निशांत राजनीति में इसलिए आएंगे!
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नीतीश कुमार के परिवार के लोग उनके स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा ही चिंतित हो गए हैं. हाल के दिनों में उनका बर्ताव पूर्व के नीतीश कुमार से बिल्कुल अलग नजर आ रहा है. ऐसे में न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में नीतीश कुमार के परिवार के अहम सदस्य अवधेश कुमार ने निशांत को राजनीति में आने की मांग कर जेडीयू नेताओं को सोचने को मजबूर कर दिया है. हालांकि, निशांत कुमार राजनीति से कोसों दूर रहना चाहते हैं. कई मौकों पर निशांत कुमार बोल चुके हैं, ‘मैं राजनीति में नहीं आऊंगा.’
कई राजनेताओं को मजबूरन राजनीति में आना पड़ा
लेकिन, देश में कई ऐसे उदाहरण हैं, जिसमें ना चाहते हुए राजनेताओं के बेटे-बेटियों को पार्टी में लाया गया. सबसे बड़ा उदाहरण तो देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी रहे हैं. साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनको राजनीति में आना पड़ा. देश में सैंकड़ों ऐसे उदाहरण हैं, जिसमें पिता के राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बेटा या बेटी ने आईएएस और आईपीएस जैसे पदों को त्याग दिया. कांग्रेस नेता जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार या फिर पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता बीरेंद्र सिंह के आईएएस बेटे बृजेंद्र सिंह की कहानी कुछ ऐसे ही है. पिता के राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए इन लोगों ने राजनीति में आने के लिए सिविल सर्विस जैसी शानदार नौकरी भी छोड़ दी.
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार राजनीति में आकर सीधे सीएम बनेंगे? जानकार बताते हैं कि यह कहना अभी थोड़ा जल्दबाजी होगा. लेकिन, बिहार में कोई भी राजनीतिक दल या गठबंधन कोयरी-कुर्मी वोट बैंक साधने के लिए निशांत कुमार को पलकों पर रखेगा. चाहे वह जेडीयू, आरजेडी या बीजेपी ही क्यों न हो. ऐसे में अगर निशांत कुमार राजनीति में आते हैं तो सालों तक उनकी भी राजनीति वैसे चमकती रहेगी जैसे चरण सिंह के नाम पर जैसे अजित सिंह, देवीलाल के नाम पर ओमप्रकाश चौटाला, मुलायम सिंह यादव के नाम पर अखिलेश यादव और लालू प्रसाद यादव के नाम पर तेजस्वी यादव की चमकी.