जम्मू कश्मीर में बिछा दी सेना ने पाक आतंकियों को लाशें, पाक का कच्चा चिट्ठा खोल दिया आर्मी चीफ ने

जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया गया. घाटी में शांति की बयार है. लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों में लोगों की भागीदारी ने भी यह संदेश पूरी दुनिया में दिया है, कि पाकिस्तान का कश्मीर को लेकर प्रोपेगांडा झूठा है. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपने सालाना प्रेस कॉंफ्रेंस में पाकिस्तान पर जमकर बरसे. पूरी दुनियां के सामने पाकिस्तान का कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया. सेना प्रमुख ने पाकिस्तान का नाम लेते हुए साफ कह दिया कि जम्मू कश्मीर में हिंसा सिर्फ पाकिस्तान फैला रहा है. नॉर्थ कश्मीर, किश्तवाड़ और डोडा में घटनाएं बढ़ी हैं. जम्मू कश्मीर में हिंसा को पाकिस्तान बढ़ावा दे रहा है. हमने पिछले साल 15 हज़ार से ज्यादा ट्रुप को डिप्लॉय किया है. इससे आतंकवाद की घटनाओं में कमी लाई गई है.

चुन चुन कर ढ़ेर किया जा रहा है पाकिस्तानयों को
भारतीय सेना ने ऑपरेशन ऑलआउट के तहत ऐसा शिकंजा कसा की सभी आतंकी तंजीम कमांडर घोषित करने से डरने लगा है. पहले हर तंजीम घायी में आतंकी घटनाओं के लिए अपने कमॉंडर बनाया करती थी. पिछले कुछ साल से सेना ने ऐसा डर बैठाया कि एक भी कमॉंडर कशमीर में दिखाया नहीं देता. पिछले साल भर में जम्मू कश्मीर में कुल 73 आतंकियों को अलग अलग एनकाउंटर में ढेर किया गया है. आर्मी चीफ ने मारे गए पाकिस्तानियों की संख्या का जिक्र किया. जम्मू कश्मीर में मारे गए आतंकियों में 60 फीसदी पाकिस्तानी है और जितने भी अभी मौजूद है उन्में से 80 फीसदी पाकिस्तानी है. सेना प्रमुख ने LOC के हालतों पर कहा कि फरवरी 2021 से दोनो देशों के डॉयरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन के बीच सहमति के बाद से सीजफायर बरकरार है. स्तिथि पूरी तरह से काबू में है. हालांकि एलओसी के पार आतंकी इंफ्रास्ट्रकचर अभी भी बने हुए है. घुसबैठ की कोशिशें लगातार जारी है. ड्रोन के जरिए हथियार और ड्रग्स भेजने की कोशिश भी जारी है.

घाटी में भर्ती सिंगल डिजिट में
कश्मीर से धारा 370 में बदलाव के बाद से जो सबसे बड़ा बदलाव देखा गया है वो है आंतिकी गतिविधियों में शामिल होने वाले कश्मीरी युवाओं का आतंकी तंजीमे से किनारा करना. जो युवा आतंक का दामन थामने लगते थे अब वो रोजगार से व्यस्त है. जो लोग चंद रुपये देकर पत्थर बाजी कराते थे ना तो वो ही बचे हैं और ना ही पत्थर चलाने वाले. कश्मीरी युवाओं को बरगलाने में पाकिस्तानी आंतकी आका नाकाम हो रहे हैं. इस बात की तस्दीक खुद थलसेना प्रमुख ने की. उन्होंने कहा ‘ जम्मू कश्मीर के लोग शान्ति चाहते हैं. पिछले साल आतंकी तंजीमों में शामिल होने वाले कश्मीरी युवाओं की संख्या सिर्फ 4 है’. सेना प्रमुख का बयान और पिछले सालों में आंतकी तंजीमों में भर्ती के आंकडों की बात करें तो पहले यह भर्ती ट्रिपल डिजिट में होती थी. अब वह सिमट कर सिंगल डिजिट में रह गई है. साल 2022 ये आकंडा 121, साल 2021 में ये आँकड़ा 149 और साल 2020 में 191 युवाओं ने आंतकी तंजीमों को ज़्वाइन किया था. लगातार भर्ती का गिरता ग्राफ ये बताने में काफी है कि केंद्र सरकार की नीतियों से अब आम कश्मीरी इत्तफाक करने लगे है.

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