व्यापार युद्ध चाहता है चीन! बदले की भावना से कर रहा काम, ये कंपनियां परेशान

अमेरिका के बाद चीन अब भारत के साथ ट्रेड वॉर की तैयारी कर रहा है. ऐसी अटकले इसलिए लगाई जा रही है, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सेक्टर की भारतीय कंपनियों को प्रमुख कच्चे माल और मशीनरी के निर्यात पर चीन के प्रतिबंधों के कारण देरी और व्यवधान का सामना करना पड़ रहा है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ इससे भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार युद्ध बढ़ने का भी संकेत मिलता है. हमें उम्मीद है कि भारत संबंधी प्रतिबंध जल्द ही हट जाएंगे, क्योंकि इनसे चीन को भी नुकसान होगा.’’ आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने कहा कि ये प्रतिबंध भारत द्वारा चीनी निवेश तथा वीजा पर लगाए गए प्रतिबंधों की जवाबी कार्रवाई हो सकते हैं. दरअसल, जून 2020 में लद्दाख में गलवानी घाटी में हुए सैन्य संघर्ष के बाद भारत ने चीन के खिलाफ कई व्यापारिक प्रतिबंध लगाए थे.

उन्होंने कहा कि ये भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर और ईवी क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं, लेकिन साथ ही ये चीन के अपने विनिर्माण तथा निर्यात के लिए भी हानिकारक हैं.

GTRI को किस बात की ज्यादा चिंता

जीटीआरआई ने कहा, ‘‘ इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर और ईवी क्षेत्र की भारतीय कंपनियों को देरी और व्यवधान का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि चीन कच्चे माल और मशीनरी के निर्यात को रोक रहा है.’’ उन्होंने कहा कि भारत को चीन की अनुचित मांगों के प्रति दृढ़ रहना चाहिए तथा स्थानीय विनिर्माण क्षमताओं के निर्माण व आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

श्रीवास्तव ने कहा कि भारत विशेष रूप से चीन के निर्यात प्रतिबंधों के प्रति संवेदनशील है, क्योंकि इसके कई उद्योग चीनी मशीनरी, मध्यवर्ती वस्तुओं और घटकों पर निर्भर हैं. चीन से भारत का आयात 2023-24 में बढ़कर 101.73 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 2022-23 में 98.5 अरब डॉलर था. सरकार ने 2020 में भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों के लिए किसी भी क्षेत्र में निवेश के लिए उसकी मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया था.

‘‘ भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर पैनल और ईवी के लिए उच्च गुणवत्ता वाले घटकों के स्रोत के लिए जापान और दक्षिण कोरिया के साथ साझेदारी को भी मजबूत करना चाहिए. इन देशों के साथ जुड़ने से भारत को चीन पर निर्भरता कम करने और अधिक लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाने में मदद मिलेगी.’’

 

गौरतलब है कि अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चीन पर नए शुल्क लगाने की संभावना के बीच चीन ने महत्वपूर्ण खनिजों तथा उच्च प्रौद्योगिकी वाले उपकरणों पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिए हैं.

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