चीन के ‘दोस्त’ को मोदी सरकार की बड़ी मदद, ड्रैगन के खड़े हो गए कान, बजट में पड़ोसियों पर मेहरबान हुआ भारतv
भारत, जो कुछ पड़ोसी देशों के लिए बजट आवंटन करता है, ने पिछले बजट में मालदीव के हिस्से को काफी कम कर दिया था क्योंकि द्वीप राष्ट्र के कैबिनेट मंत्रियों ने संबंधों में खटास पैदा कर दी थी. तब से, मोहम्मद मुइज्जू की अगुवाई वाली सरकार ने ऐसे तत्वों पर काबू पाने और हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए काफी प्रयास किए हैं क्योंकि देश आर्थिक तनाव का सामना कर रहा है. पिछले अक्टूबर में मुज्जू की द्विपक्षीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई, जिसे दोनों देशों में पैदा विवाद को भुलाने के रूप में देखा गया.
शनिवार को पेश किए गए बजट 2025 में, भारत ने द्वीप राष्ट्र के लिए बजट आवंटन को लगभग 130 करोड़ रुपए बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया, जो पिछले साल 470 करोड़ रुपए था. हालांकि, यह राशि अभी भी 2023-24 के पूर्व-विवाद आवंटन 770.90 करोड़ रुपए से कम है. सरकारी सूत्रों ने कहा कि मालदीव के लिए बजट में वृद्धि भारत की “पड़ोसी पहले” नीति के कारण हुई है, बावजूद इसके कि साउथ ब्लॉक अच्छी तरह से जानता है कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का समर्थन चीन की तरफ है. हालांंकि, सरकार के इस कदम से यकीनी तौर पर चीन के कान खड़े हो जाएंगे और वह यह सोचने पर मजबूर हो जाएगा कि आखिर भारत की इस रणनीति का तोड़ कैसे निकाला जाए.
सबसे ज्यादा बजट भूटान के लिए
सरकार ने अपनी ‘पड़ोसी पहले’ नीति के तहत भूटान को सबसे ज्यादा 2,150 करोड़ रुपए का विकास सहायता आवंटित किया है, इसके बाद नेपाल को 700 करोड़ रुपए मिले हैं. मालदीव को तीसरे स्थान पर 600 करोड़ रुपए मिले, जबकि मॉरीशस को 500 करोड़ रुपए आवंटित किए गए. पिछले साल मॉरीशस को 576 करोड़ रुपए की सहायता मिली थी, लेकिन इस साल इसमें कटौती की गई है.
देश | 2023-24 (करोड़ में) | 2024-25 (करोड़ में) | 2025-26 (प्रस्तावित) |
भूटान | 2332.02 | 2543.48 | 2150 |
मालदीव | 832.83 | 470 | 600 |
अफगानिस्तान | 207.26 | 200 | 100 |
बांग्लादेश | 157.63 | 120 | 120 |
नेपाल | 657.38 | 700 | 700 |
श्रीलंका | 119.37 | 300 | 300 |
म्यांमार | 352.96 | 400 | 350 |
मंगोलिया | 3.45 | 5 | 5 |
मॉरीशस | 358.87 | 576 | 500 |
अफ्रीकी देश | 184.76 | 200 | 225 |
म्यांमार को भी इस साल 400 करोड़ रुपए से घटाकर 350 करोड़ रुपये का बजट मिला है. हालांकि, बांग्लादेश (120 करोड़) और श्रीलंका (300 करोड़) के लिए पिछले साल की तुलना में आवंटन में कोई बदलाव नहीं किया गया है. अफ्रीकी देशों के लिए आवंटन 200 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 225 करोड़ रुपए कर दिया गया है.