अमेरिका ने बनाया था कनाडा पर हमले का प्लान, ट्रंप से पहले भी पड़ोसी को कब्जाने की फिराक में था US

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने को लेकर बयान देते रहते हैं. कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद भी उन्होंने ऐसा ही बयान दिया. ट्रंप के इस बयान पर ट्रूडो ने कहा है कि इसकी कोई संभावना नहीं है. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका में कनाडा को अपने साथ मिलाने की बात उठी है. इतिहास में एक समय ऐसा भी था जब अमेरिका कनाडा को अपने लिए संभावित खतरे के रूप में देखता था. उस दौर में अमेरिका ने कनाडा पर कब्जा करने का एक विस्तृत प्लान बनाया था, जिसे ‘वॉर प्लान रेड’ के नाम से जाना जाता है.

साल 1914-18 के दौरान पहले विश्वयुद्ध ने अमेरिका को सतर्क कर दिया. दरअसल, अमेरिका को चिंता थी कि अगर ब्रिटेन से तनाव बढ़ता है तो ब्रिटिश साम्राज्य के सहयोगी देश उस पर हमला कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में अमेरिका को अपनी सुरक्षा के लिए एक रणनीति बनानी पड़ी. उस समय ब्रिटिश साम्राज्य पूरी दुनिया में फैला हुआ था. अमेरिका का पड़ोसी कनाडा भी ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था. अमेरिका को डर था कि युद्ध की स्थिति में ब्रिटिश सैनिक भले ही यूरोप या अन्य जगहों से अमेरिका तक पहुंचने में समय लें, लेकिन कनाडा में मौजूद ब्रिटिश सैनिक तुरंत अमेरिकी सीमाओं पर हमला कर सकते हैं.

अमेरिका ने क्यों बनाया प्लान?
हालांकि अमेरिका और ब्रिटेन के बीच उस समय कोई प्रत्यक्ष दुश्मनी नहीं थी. लेकिन ब्रिटिश साम्राज्य की विशालता और उसकी सैन्य ताकत को देखते हुए अमेरिका ने सतर्कता के तौर पर यह योजना बनाई. 1919-1939 तक कई तरह के प्लान बनाए गए. वॉर प्लान रेड 1927 में जिनेवा नौसेना सम्मेलन के बाद तैयार किया गया था. इस योजना को 1934-35 में एक बार फिर अपडेट किया गया और इसमें ब्रिटिश साम्राज्य को ‘रेड’ (लाल) के रूप में दिखाया गया.

प्लान का लक्ष्य

कनाडा के बॉर्डर इलाकों पर बसे शहरों और सैन्य ठिकानों पर पहले हमला करना.
कनाडा के भूगोल, सैन्य संसाधनों और ट्रांसपोर्ट नेटवर्क का अध्ययन करना.
हमला करके प्रमुख बंदरगाहों और रेलवे पर कब्जा जमाना ताकि ब्रिटेन कनाडा के संसाधनों या सुविधाओं का इस्तेमाल न कर सके.

हालांकि, यह प्लान केवल कागजों तक ही सीमित रहा. 1939 में जर्मनी की ओर से पोलैंड पर हमला करने के साथ ही दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो गया, और अमेरिका का ध्यान यूरोप और प्रशांत क्षेत्र की तरफ केंद्रित हो गया. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में नाटो (NATO) का गठन हुआ, जिसके बाद ब्रिटेन और अमेरिका ने करीबी सहयोगी के रूप में काम करना शुरू कर दिया.

कनाडा ने भी बनाया था हमले का प्लान

अमेरिका के प्लान के जवाब में कनाडा ने भी एक संभावित हमले की स्थिति में अपनी तैयारी कर रखी थी. इस योजना का नाम ‘डिफेंस स्कीम नंबर-1’ था. इसका उद्देश्य था कि जैसे ही यह संकेत मिले कि अमेरिका कनाडा पर हमला करने वाला है, तुरंत अमेरिका पर प्रीमेप्टिव हमला किया जाए. सीमावर्ती अमेरिकी शहरों पर कब्जा जमाकर अमेरिकी सेना को बाधित करना और शुरुआती हमलों के बाद कनाडा की सेना को अपनी सीमा में लौटकर बचाव की स्थिति अपनानी थी. कनाडा की योजना का उद्देश्य था अमेरिकी सेना को चौंकाकर उसके आक्रमण को धीमा करना, जिससे ब्रिटिश सेना को कनाडा की मदद के लिए समय मिल सके.

Related Articles

Back to top button