शिक्षक बच्चों को पढ़ाना छोड़कर अलग-अलग तरह के मार्केटिंग के काम से जुड़कर लाखों रुपये कमाने में लगे

छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जिले में एक तरफ शिक्षकों की कमी लगातार देखी जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर शिक्षक बच्चों को पढ़ाना छोड़कर अलग-अलग तरह के मार्केटिंग के काम से जुड़कर लाखों रुपये कमाने में लगे हुए हैं. जिले के मरवाही ब्लॉक में पदस्थ एक सहायक शिक्षक सुनील पटेल इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोर रहे है. कारण है कि पिछले दिनों 27 दिसंबर को उन्होंने मरवाही बीइओ को एक सादे पेपर में अपना इस्तीफा सौंपा है. शिक्षक ने सादे कागज में लिखकर दिया है कि वो नौकर माइंड सेट से काम नहीं करना चाहता. खुद माइंडसेट के साथ जिंदगी एंजॉय करना चाहता हूं.

जिले के मरवाही विकासखंड के घुरदेवापारा प्राथमिक शाला स्कूल में सुनील कुमार पटेल की पोस्टिंग 21 जून 2010 से पहली बार हुई थी. ये लगातार अपने स्कूल से नदारद रहते थे. समय के साथ जांच हुई. कार्रवाई भी समय समय पर इस शिक्षक के खिलाफ की जाती रही. फिर बाद में विभाग को जानकारी हुई कि शिक्षिक स्कूल से नदारद होकर हर्बल प्रोडक्ट के मार्केटिंग में व्यस्त रहता है.

जानकारी सामने आई कि घुरदेवापारा के ही एक बढ़ई युवक को शिक्षक ने अपने जगह शिक्षकीय कार्य करवाने के लिए रखा था. उसके लिए उस शख्स को वो 2 से 3 हजार रुपये का भुगतान भी करता है. बीते 27 दिसंबर को सुनील पटेल ने एक सादे पेपर पर अपना रेजिग्नेशन लिखकर बीईओ के चेंबर में जाकर मिठाई के साथ दिया. साथ ही इसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी पोस्ट कर दिया. इस मामले में जब जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि ये अपने गैरजिम्मेदाराना रवैये के बाद नो वर्क, नो पेमेंट पर 2 साल तक काम करता रहा.
शिक्षक ने अपने त्यागपत्र में लिखा है कि नौकर माइंड सेट से मैं काम नहीं करना चाहता. जिला शिक्षा अधिकारी जगदीश शास्त्री ने कहा कि इसकी जानकारी मुझे सोशल मीडिया के जरिए मिली है. विधिवत रूप से शिक्षक सुनील कुमार पटेल ने हमारे कार्यालय में जानकारी नहीं दिया था. जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि इस तरह से जिले में जितने भी हमारे कमर्चारी सेवा में रहते हुए अन्य मार्केटिंग का कार्य कर रहे हैं उन सभी की जानकारी ली जा रही हैं. नियमों के मुताबिक उन पर भी कार्रवाई की जाएगी.

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