छत्‍तीसगढ़ में स्‍कूली शिक्षा गुणवत्ता सुधारने के लिए पांचवीं और आठवीं कक्षा में होगी बोर्ड परीक्षा, तैयारी शुरू

स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए राज्य सरकार पांचवीं और आठवीं कक्षा के लिए बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की तैयारी कर रही है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उठाया जा रहा है, ताकि शिक्षा प्रणाली में अनुशासन और मानक सुनिश्चित किया जा सके। हालांकि, बोर्ड परीक्षा के परिणामों के आधार पर बच्चों को पास या फेल करने का निर्णय अभी तक नहीं लिया गया है।

HIGHLIGHTS

  1. नई नीति के तहत प्रदेश में पांचवीं और आठवीं कक्षा के लिए बोर्ड परीक्षा का लिया निर्णय।
  2. स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए पांचवीं और आठवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा का प्रस्ताव।
  3. शिक्षा गुणवत्ता सुधारने के लिए लोक शिक्षण संचालनालय ने बोर्ड परीक्षा की तैयारी शुरू की।

 रायपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, प्रदेश में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से पांचवीं और आठवीं कक्षाओं के लिए फिर से बोर्ड परीक्षा आयोजित की जाएगी। लोक शिक्षण संचालनालय ने इस नई व्यवस्था की तैयारी शुरू कर दी है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इन कक्षाओं के लिए बोर्ड परीक्षा किस सत्र से लागू होगी।

दरअसल, केंद्र सरकार ने देशभर में, जिसमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है, पहली और आठवीं कक्षा के बच्चों को फेल और पास करने की नीति को समाप्त कर दिया था। 2010 से राज्य में लागू आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत पहली और आठवीं तक के बच्चों को हमेशा पास किया जाता रहा है।naidunia_image

इसके परिणामस्वरूप, शिक्षा में अनुशासन की कमी आ गई, जिससे कई बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक असर पड़ा। हालांकि कुछ निजी और मॉडल स्कूलों में कमजोर बच्चों के लिए रेमेडियल टीचिंग (कमजोर बच्चों को अतिरिक्त सहायता देने की प्रक्रिया) लागू की गई है, लेकिन अधिकांश सरकारी स्कूलों में यह व्यवस्था प्रभावी नहीं हो पाई।

इधर विशेषज्ञों का मानना है कि इस व्यवस्था से स्कूली शिक्षा में अनुशासित शिक्षा नहीं होने से इसका विपरीप असर पड़ा है। कुछ निजी और माडल स्कूलों में रेमेडियल टीचिंग (कमजोर बच्चों का शिक्षण) होने से शिक्षा व्यवस्था ठीक है। लेकिन ज्यादातर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को नुकसान हुआ है। हालांकि परीक्षा लेने के बाद बच्चों को पास या फेल करने को लेकर अभी निर्णय नहीं लिया गया है।naidunia_image

बदलाव का अधिकार राज्य सरकारों को

प्रदेश में एक अप्रैल 2010 से आरटीई लागू है और तब से अब तक पहली से आठवीं तक के बच्चों को निरंतर पास ही किया जा रहा है। शिक्षा की गुणवत्ता की मानिटरिंग नहीं हो पा रही है। इसलिए नई व्यवस्था लागू करने का विचार किया जा रहा है। दरअसल केंद्र सरकार ने आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति में बदलाव करके फेल और पास करने का अधिकार राज्य सरकारों को दे दिया है।

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