कोरोना कवच पालिसी के दावे को खारिज करने पर बीमा कंपनी को उपभोक्ता आयोग ने लगाई फटकार
आयोग ने निर्देश दिया कि कंपनी कोविड-19 के तहत मेडिकल खर्चों के सभी दावों का भुगतान करे। यह निर्णय उन बीमा धारकों के लिए राहत भरा है, जिनके दावे कंपनी ने बिना उचित आधार के खारिज कर दिए थे।
HIGHLIGHTS
- इंश्योरेंस कंपनियों को चेतावनी देते हुए कहा- सभी लंबित दावों का करें भुगतान।
- कोविड-19 उपचार खर्चों की अनदेखी पर बीमा कंपनियों के लिए सख्त संकेत।
- कंपनी कोविड-19 के तहत मेडिकल खर्चों के सभी दावों का भुगतान करे।
बिलासपुर। कोरोना महामारी के दौरान कोविड-19 उपचार खर्चों के दावों को खारिज करने पर उपभोक्ता आयोग ने स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी को कड़ी फटकार लगाई है। उपभोक्ता आयोग के समक्ष पेश याचिका की सुनवाई के दौरान बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि कोरोना महामारी के दौरान याचिकाकर्ताओं ने बीमा तो लिया था, लेकिन सामान्य लक्षण होने के बावजूद वे अस्पताल में भर्ती हो गए।
बीमा कंपनी ने कहा कि इनका उपचार घर पर भी संभव था।
बीमा कंपनी के इस तर्क को सुनने के बाद उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष आनंद कुमार सिंघल और सदस्य पूर्णिमा सिंह व आलोक कुमार पांडेय ने स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी को फटकार लगाते हुए कहा कि भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण ने ऐसा कोई परिपत्र जारी नहीं किया कि कोरोना संक्रमण के हल्के लक्षण होने पर अस्पताल में भर्ती होना अनिवार्य नहीं है। मरीज को अस्पताल में भर्ती करने का निर्णय चिकित्सक की विशेषज्ञता पर आधारित होना चाहिए।
उपभोक्ता आयोग ने तीनों मामलों में आदेश दिया कि याचिकाकर्ताओं को उपचार व्यय के साथ-साथ मानसिक कष्ट के लिए 15 हजार रुपये और वाद व्यय के रूप में पांच हजार रुपये अलग से भुगतान किया जाए। सभी दावों का भुगतान 45 दिनों के भीतर करना होगा।
इनके आवेदन पर निर्णय
केस नं. 1
बिलासपुर निवासी संजय छापरिया अग्रवाल ने कोरोना कवच पालिसी ली थी और कोरोना संक्रमण के दौरान रायपुर स्थित नारायण अस्पताल में उपचार कराया। उन्होंने दो लाख 60 हजार रुपये का दावा किया था, जिसे कंपनी ने खारिज कर दिया था। उपभोक्ता आयोग में सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि बीमा कंपनी ने उनके एक लाख 40 हजार 221 रुपये के दावे को खारिज किया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि बीमा का उद्देश्य अप्रत्याशित चिकित्सा खर्चों से सुरक्षा प्रदान करना है और बीमा कंपनियों को इसे नजरअंदाज करने का अधिकार नहीं है। बीमा कंपनी को आदेश दिया गया कि वह संपूर्ण राशि लौटाए।
केस नं. 2
बिलासपुर निवासी उमा छापरिया ने भी रायपुर के नारायण अस्पताल में कोविड-19 का उपचार कराया, जिसमें एक लाख 57 हजार 714 रुपये का खर्च आया। उमा छापरिया ने इस खर्च के लिए दावा किया था, जिसे बीमा कंपनी ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उनका इलाज घर पर भी संभव था। अदालत ने इसे अनुचित ठहराते हुए बीमा कंपनी को तुरंत राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।
केस नं. 3
बिलासपुर निवासी विकास मिश्रा ने कोविड-19 उपचार के लिए एक लाख 84 हजार 913 रुपये का दावा किया था, जिसे बीमा कंपनी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि होम क्वारंटाइन पर्याप्त था। उपभोक्ता आयोग ने इसे नकारते हुए कहा कि गंभीर स्थिति में चिकित्सकीय सलाह पर अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक होता है। कंपनी को एक लाख 84 हजार 913 रुपये के साथ 15 हजार रुपये क्षतिपूर्ति और पांच हजार रुपये वाद व्यय भी चुकाने होंगे।
स्टार हेल्थ इंश्योरेंस के खिलाफ लंबित हैं 50 केस
बिलासपुर उपभोक्ता आयोग में स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ 50 से अधिक मामले लंबित हैं। कंपनी पर कोविड-19 उपचार खर्चों से जुड़े दावों को खारिज करने के आरोप लगे हैं, जिससे कई बीमाधारक प्रभावित हुए हैं। आयोग ने लंबित दावों के जल्द निपटारे के निर्देश दिए।