ऑपरेशन मानसून : उफनती नदी-बारुद बिछे रास्तों पर चलकर नक्सलवाद को हरा रहे जवान
तीन अक्टूबर को अमावस्या की रात को नारायणपुर और दंतेवाड़ा के पुलिस मुख्यालय में नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना मिलने पर एक बड़ा अभियान शुरू किया गया। 25 किमी की कठिन यात्रा के बाद जवान नक्सलियों के डेरे तक पहुंचे और मुठभेड़ में 38 नक्सलियों को मार गिराया, जिनमें से 25 लाख रुपये का इनामी नक्सली नीति भी शामिल था।
HIGHLIGHTS
- 3 अक्टूबर को नारायणपुर और दंतेवाड़ा में शुरू किया था नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान।
- एक हजार से अधिक जवानों को आधुनिक शस्त्रों के साथ अबूझमाड़ के जंगल में उतारा गया।
- 38 नक्सलियों को ढेर किया, जिसमें 25 लाख रुपये का इनामी नक्सली नीति शामिल थी।
जगदलपुर। तीन अक्टूबर को अमावस्या की काली रात में अचानक ही नारायणपुर और दंतेवाड़ा के पुलिस मुख्यालय में हलचल तेज हो गई। अबूझ़माड़ में बड़ी संख्या में नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना पर एक बड़ा अभियान लांच किया गया।
अब तक पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी., दंतेवाड़ा एसपी गौरव कुमार और नारायणपुर एसपी एसपी प्रभात कुमार के मध्य जो रणनीति बन रही थी, उसे जमीन पर उतारने के लिए नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिले से एक हजार से अधिक जवानाें को आधुनिक शस्त्रों सहित पैदल ही अबूझमाड़ के जंगल में उतार दिया गया।
25 किमी की दूरी तय की
नदी-नालों, पथरीली और फिसलन भरी पगडंडियों, कंटीली झाडियों और बारूद बिछे रास्तों पर 25 किमी की दूरी तय करने के बाद जवान, नेंदूर और थुलथुली में नक्सलियों के डेरे तक पहुंचे। मुठभेड़ में 25 लाख की इनामी नक्सली नीति सहित 38 नक्सलियों को ढेर कर दिया। अभियान के बाद घटनास्थल से 31 शव मिले, जबकि नक्सलियों ने पत्र जारी कर 38 नक्सलियों के मारे जाने की बात स्वीकारी है।
ऑपरेशन मानूसन की यह बड़ी सफलता रही इसके साथ ही पिछले चार माह में हुई 14 मुठभेड़ में 81 नक्सली ढेर कर दिए गए हैं। इस अवधि में 100 हथियार, जिसमें एसएलआर, एके-47, कार्बाइन मिले हैं। इससे नक्सल संगठन को बड़ा झटका लगा है। ऑपरेशन मानसून की सबसे बड़ी बात यह रही कि इस अवधि में शीर्ष कैडर के नक्सलियों को ढेर किया गया है। बस्तर में विगत 40 वर्ष से नक्सलियों के विरुद्ध चल रही लड़ाई में मानसून अवधि में यह सबसे बड़ी सफलता है।
आधुनिक उपकरणों से रात में भी अभियान
थुलथुली मुठभेड़ में दंतेवाड़ा जिले की पुलिस बल का नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एस. राजनल्ला (आइपीएस) कर रहे थे। एस. राजनल्ला पिछले एक वर्ष में कई अभियान कर चुके हैं। वे कहते हैं कि नक्सलियों के विरुद्ध लड़ाई की रणनीति को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी जमीनी टीम की होती है। थुलथुली में बहादुर जवानों ने नक्सलियों को उनके गढ़ में पटकनी दी।
यह अभियान रात में किया गया था। नाइटविजन व आधुनिक उपकरण से लैस जवानों ने बारिश से फिसलन व कीचड़ से भरे रास्ते, जंगली कंटीली झाड़ियां, नदी-नालों को पा कर यह अभियान किया। सेटेलाइट फोन से मुख्यालय में बैठे अधिकारी निर्देशत कर रहे थे। आखिरकार सटिक आसूचना तंत्र, प्रशिक्षित पुलिस बल और सटीक रणनीति से यह अभियान सफल रहा।
लड़ाई की रणनीति हुई बेहतर
इसी वर्ष मानसून की शुरुआत में 15 जून को अबूझमाड़ के कोड़तामेटा में हुए एक अभियान में नक्सलियों के तकनीकी टीम के आठ नक्सलियों को मार गिराया गया था। अभियान को पूरा करने 1300 से अधिक जवानाें ने जंगल के भीतर 35 किमी से अधिक की दूरी तय की थी। नारायणपुर, कोंडागांव व दंतेवाड़ा जिले से एसटीएफ, डीआरजी की 40 टीम ने यह अभियान किया था।
नाराणपुर टीम का नेतृत्व करने वाले उपपुलिस अधीक्षक विनाय साहू कहते हैं कि अबूझमाड़ में नक्सलियों के गढ़ में किए गए इस अभियान को पूरा करने जवान दो दिन चलकर नक्सली डेरे तक पहुंचे थे। आधुनिक तकनीकी उपकरणों के कारण सुरक्षा बल पहले से सशक्त हुए हैं। रणनीतिक स्तर पर भी पहले की अपेक्षा सुधार हुआ है। अब अभियान को राजपत्रित अधिकारी नेतृत्व करते हैं। इससे भी आनफील्ड निर्णय लेना आसान हुआ है, जिससे अभियान में सफलता की दर बढ़ी है।
अभियान का पक्का रोड मैप
आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि मुख्यालय में बैठे अधिकारी से लेकर जमीन पर जवान तक सभी एक प्रण होकर नक्सलवाद के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहे हैं, जिससे सफलता मिल रही है। नक्सली क्षेत्र में बनाए गए कैंप से सामुदायिक कार्यक्रम चलाकर ग्रामीणों तक सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधाएं पहुंचा रहे हैं। इससे ग्रामीण का भरोसा अब सुरक्षा बल के प्रति बढ़ा है।
इसलिए बढ़ा अभियानों की सफलता का प्रतिशत
- 100 से अधिक नये कैंप पिछले पांच वर्ष में सीधे नक्सलियों के गढ़ में, जिसमें 33 इस वर्ष खोले गए।
- सुरक्षाबल के जवान को गुरिल्ला लड़ाई का कड़ा प्रशिक्षण, गले तक उफनते नाले पार करने में दक्ष।
- आधुनिक उपकरण से लैस जवान के पास नाइट विजन डिवाइस के साथ ही सेटेलाइट इनपुट उपलब्ध।
- जंगल के भीतर लड़ाई का नेतृत्व करते हैं आइपीएस या डीएसपी स्तर के अधिकारी, निर्णय क्षमता में हुआ सुधार।
- आसूचना तंत्र को सशक्त किया है। सटीक सूचना पर लांच करते हैं अभियान।
- अभियान अब एक से अधिक लांच पैड से। चार से पांच जिले करते हैं संयुक्त आपरेशन।
- सामुदायिक पुलिस कार्यक्रम से जवानों के साथ ग्रामीणों का भरोसा।
वर्षवार मारे गए नक्सली और खोले गए सुरक्षा कैंप की स्थिति
वर्ष | मारे गए नक्सली | सुरक्षा कैंप खुले |
2019 | 65 | 7 |
2020 | 40 | 15 |
2021 | 31 | 14 |
2022 | 30 | 19 |
2023 | 20 | 16 |
2024 | 195 | 33 |
मानसून अवधि की सफलता
- पुलिस-नक्सली मुठभेड़ – 28
- गिरफतार नक्सली – 316
- आत्मसमर्पित नक्सली – 349
- नक्सली हथियार मिले – 100
- आइईडी मिले – 76