मास्टर प्लान- 2031 लागू करने में पहले ही चार साल का विलंब, अब 30 लाख की आबादी के लिए अभी और इंतजार

पूर्ववर्ती सरकार के दौरान मास्टर प्लान लागू किया गया था, लेकिन नई सरकार के आने के बाद इस पर कई आपत्तियां और गड़बड़ियों की शिकायतें आईं। इसके चलते योजना पर रोक लगा दी गई। जांच के लिए एक कमेटी भी बनाई गई, जिसने संशोधित प्लान जारी करने के लिए कदम उठाने थे।

HighLights

  1. मास्टर प्लान 2021 में 70 सड़कें बनाने का था प्लान, बनी सिर्फ 12
  2. जिन क्षेत्रों के लिए बना सड़कों का प्लान, उनमें से अधिकांश रहवासी क्षेत्र में विकसित
  3. आमोद-प्रमोद के क्षेत्र में भी बरती गई लापरवाही

रायपुर। रायपुर शहर के लिए मास्टर प्लान- 2031 लागू करने में पहले से ही चार वर्ष का विलंब हो चुका है। अभी भी यह तय नहीं है कि कब तक इसे लागू कर दिया जाएगा। इसकी वजह से 30 लाख की आबादी के लिए तैयार किए गए प्लान का क्रियान्वयन करने में विलंब हो रहा है, जबकि नियमानुसार पुराने मास्टर प्लान की अवधि समाप्त होने से पहले ही अगला मास्टर प्लान तैयार हो जाना चाहिए।

दरअसल पूर्ववर्ती सरकार के दौरान मास्टर प्लान लागू किया गया, लेकिन नई सरकार आने के बाद कई प्रकार की आपत्तियां और गड़बड़ियों की शिकायतें हुईं, जिसके बाद इस पर रोक लगा दी गई। साथ ही इसकी जांच करने के साथ ही संशोधित प्लान जारी करने के लिए कमेटी भी बनाई गई, लेकिन अब तक कमेटी की सिर्फ एक ही बैठक हो पाई है और अब तक संशोधित मास्टर प्लान जारी ही नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं, 2021 तक के लिए जारी किए गए प्लान में भी सैकड़ों कार्य अब तक नहीं हुए हैं।

जानिए पिछले मास्टर प्लान के कौन से कार्य अधूरे

25 प्रतिशत विकास कार्य शेष : पिछले मास्टर प्लान 2021 का 75.80 प्रतिशत ही मास्टर प्लान का उपयोग हो पाया था। चौंकाने वाली बात यह है कि मास्टर प्लान 2021 में मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड और रिंग रोड सड़कों के समेत 70 नई सड़कें बनानी थीं, जिनमें से तकरीबन 12 सड़कों का नव निर्माण हुआ है। इसके अलावा 43 फीसदी सड़कों का चौड़ीकरण नहीं हुआ। बची हुई सड़कों को जोड़कर 106 नई सड़कों को प्लान में शामिल किया गया है।

आमोद-प्रमोद में भी लापरवाही : मास्टर प्लान 2021 में सबसे ज्यादा लापरवाही आमोद-प्रमोद क्षेत्र विकसित करने में हुई है। शहर के लोगों के लिए गार्डन, माल और आक्सीजोन जैसे प्रोजेक्ट पूरे नहीं हुए। आमोद-प्रमोद के लिए 1,610 हेक्टेयर प्रस्तावित था, अनियंत्रित विकास के कारण 241.03 हे. भूमि विकसित की गई।

मुख्य सड़क नहीं बनने आबादी पर असर : शहर को यातायात के दबाव से बचाने के लिए रिंग रोड क्रमांक-4 का प्लान तैयार किया गया था। इसका निर्माण संभव नहीं हो सका। अब इसे रिंग रोड-3 को फिर से (नाम बदल कर रिंगरोड-4) किया गया। इसके पीछे कारण अनियोजित निर्माण बताया जा रहा है।

पिछले प्लान में 3,872 हेक्टेयर कम हुआ था विकास

पिछली बार बनाए गए मास्टर प्लान में 25 लाख आबादी के लिए 16,000 हेक्टेयर जमीन के साथ बनाया गया था, जबकि इसका लगभग 3872.62 हेक्टेयर कम क्षेत्र में विकास हो पाया था। वहीं दक्षिण में प्रस्तावित रिंगरोड -4 (पुराना) पर अनियंत्रित विकास नए मास्टर प्लान में 35 हजार 553 हेक्टेयर जमीन का भूमि उपयोग तय किया गया। यह मास्टर प्लान 2021 की अपेक्षा 18,152 हेक्टेयर अधिक है।

मास्टर प्लान 2021 में 75 प्रतिशत प्राप्त कर लिया गया है। अब 2031 में 2021 के जिन प्लान का कार्य पूरा नहीं हुआ है। उनमें आगे की प्लानिंग के आधार पर नए प्लान में जोड़ा जाएगा। संशोधन कमेटी के द्वारा नया प्लान जल्द ही लागू किया जाएगा। – विनीत नायर, संयुक्त संचालक ग्राम एवं नगर निवेश विभाग

प्रस्तावित भूमि का 75.80 प्रतिशत ही मास्टर प्लान में हुआ था उपयोग

भूमि उपयोग प्रस्तावित उपयोग

उपयोग भूमि का प्रतिशत आवासीय 8,088 हेक्टेयर6147 हेक्टेयर 76.1 प्रतिशत वाणिज्यिक 1,370 हेक्टयर 923.53 हेक्टेयर 67.41 प्रतिशत औद्योगिक 1,451 हेक्टेयर 1371.82 हेक्टेयर94.54 प्रतिशत सार्वजनिक एवं अर्ध सार्वजनिक 1,506 हेक्टेयर1085.86 हेक्टेयर72.10 प्रतिशत आमोद-प्रमोद 1,610 हेक्टेयर 241.03 हेक्टेयर 14.97 प्रतिशत यातायात 1975 हेक्टेयर2357.55 हेक्टेयर119.37 प्रतिशत

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button