Premanand Maharaj: दीक्षा लेने पहुंचा, तो गुरु ने कटवाया तरबूज, फिर कहा खुद खा लो… प्रेमानंद महाराज ने सुनाया किस्सा

HighLights

  1. प्रेमानंद महाराज के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं।
  2. प्रेमानंद महाराज अपने उपदेशों से लोगों को खूब प्रेरित करते हैं।
  3. ऐसे ही एक वीडियो में उन्होंने गुरु-शिष्य की कहानी सुनाई थी।

धर्म डेस्क, इंदौर। Premanand Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के उपदेश के वीडियो आए दिन खूब वायरल होते हैं। सोशल मीडिया पर भी उनके कई तरह के वीडियोज देखने को मिलते हैं। उनके विचारों को लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं। उनके उपदेश लोगों को सही राह पर चलने की सलाह देते हैं।

उनके सत्संग में कई ज्ञानवर्धक बातें होती हैं। इसी दौरान के वीडियो यूट्यूब पर सामने भी आते हैं। इन्हीं में से एक वीडियो में प्रेमानंद जी महाराज ने गुरु-शिष्य की एक कहानी सुनाई।

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गुरु और दो शिष्यों की कहानी

प्रेमानंद जी महाराज ने कहानी सुनाते हुए कहा, एक गुरु के पास मंत्र लेने के लिए दो लोग गए, तो गुरु ने उन दोनों लोगों से कहा कि मैं तुम्हें अपना शिष्य तभी बनाऊंगा, जब तुम मेरी परीक्षा में पास हो जाओगे।

गुरु ने दोनों लोगों को एक-एक तरबूज दिया। उन्होंने दोनों से कहा कि इसे ऐसे स्थान पर जाकर काट कर लाओ, जहां तुम्हें कोई देख न सके। गुरु की यह बात सुनकर दोनों ऐसे स्थान की खोज में निकल पड़े।

एक व्यक्ति थोड़ी ही देर में तरबूज काटकर ले आया, तो गुरु ने कहा कि दूसरे व्यक्ति को भी आ जाने देते हैं, फिर फैसला करते हैं। दूसरा व्यक्ति शाम तक आया और तरबूज बिना कटे वैसा ही लेकर आया।

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गुरु ने इस तरह चुना अपना शिष्य

गुरु ने पहले व्यक्ति से पूछा कि तुम तरबूज काट कर बहुत जल्दी ले आए, यह कैसे। इस पर उसने जवाब दिया कि गुरुजी मैं ऐसे स्थान पर गया था, जो बिल्कुल एकांत था, जहां मुझे कोई देख न सका और मैंने तरबूज काट लिया।

वहीं, जब गुरु ने दूसरे व्यक्ति से पूछा कि तुम तो पूरा तरबूज वैसा ही लेकर आ गए हो और वो भी शाम तक वापिस आए। इस पर दूसरे व्यक्ति ने जवाब दिया, गुरुजी में जहां भी गया, वहां यदि मैं सोचता भी था कि यहां एकांत है, तो भी लगता था कि भगवान तो देख ही रहे हैं ना।

इस तरह मुझे ऐसा कोई स्थान नहीं मिला, जहां भगवान न देख रहे हो। यही कारण है कि मैं तरबूज नहीं काट पाया। ऐसे में गुरु ने निर्णय लेते हुए पहले व्यक्ति से कहा कि तुम जो तरबूज काट कर लाए हो, वो खाओ और यहां से चले जाओ। वहीं, दूसरे व्यक्ति से गुरु ने कहा कि मैं तुम्हें दीक्षा दूंगा। तुम मेरे शिष्य बनोगे।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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