‘लड़कियों को यौन इच्छाओं पर कंट्रोल रखना चाहिए, 2 मिनट के सुख के फेर में नहीं पड़ना चाहिए’… हाई कोर्ट की इस टिप्पणी को SC ने किया खारिज

यह मामला कलकत्ता हाई कोर्ट का है। पिछले साल दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी को बरी करते हुए जज ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। टिप्पणियों के खिलाफ ममता बनर्जी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने भी स्वत: संज्ञान लिया था।

HIGHLIGHTS

  1. हाई कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2023 को की थी टिप्पणी
  2. कोर्ट ने आरोपी को जमानत पर रिहा भी कर दिया था
  3. अगली तारीख को आरोपी की सजा का होगा एलान

एजेंसी, नई दिल्ली। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2023 दुष्कर्म के एक मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी को बरी कर दिया था। जज ने अपना फैसला सुनाते हुए कुछ टिप्पणियां की थीं, जिन पर बवाल मचा था।

इस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्ल भुयान की पीठ ने हाई कोर्ट की टिप्पणियों को खारिज कर दिया। साथ ही आरोपी को बरी करने का फैसला भी रद्द कर दिया। पीठ ने अदालतों को किस तरह फैसला लिखना चाहिए, इस पर भी विस्तार से बताया है।

बता दें, कलकत्ता हाई कोर्ट की टिप्पणियों का यह मामला पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने तो याचिका दायर की ही थी, सर्वोच्च अदालत ने भी स्वत: संज्ञान लिया था।

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कलकत्ता हाई कोर्ट की इन टिप्पणियों पर मचा था बवाल

  • कलकत्ता हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी की याचिका पर सुनवाई की थी।
  • याचिका स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने लड़कियों के आचरण पर टिप्पणियां की थी।
  • जज ने कहा था, ‘लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं पर कंट्रोल रखना चाहिए।’
  • ‘2 मिनट सुख के फेर में नहीं पड़ना चाहिए।’ साथ ही लड़कों को भी सलाह दी थी।
  • कहा था कि लड़कों को समझाया जाए कि उन्हें लड़कियों की इज्जत करना चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी टिप्पणियों पर आपत्ति

टिप्पणियां सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने अपने आप ही रिट याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी थी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जजों से निर्णय लिखते समय उपदेश देने की अपेक्षा नहीं की जाती है।

 

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 8 दिसंबर को आलोचना करते हुए हाई कोर्ट द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को अत्यधिक आपत्तिजनक और पूरी तरह से अनुचित करार दिया था।

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