Sawan 2024: 800 साल पुराने शिवलिंग के दर्शन को पहुंच रहे श्रद्धालु… एक ही पत्थर पर निर्मित है शिवलिंग और जलाधारी
प्राचीन और अनूठा शिव मंदिर मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में है। यहां पूजा-अर्चना के लिए वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां लौह धातु की भारी भरकम प्लेटें भी रखी हुई हैं। इनकी भी पूजा की जाती है। श्रावण महीने में मंदिर से कावड़ यात्रा भी निकाली जाती है।
HIGHLIGHTS
- एक ही पत्थर पर निर्मित है शिवलिंग और जलाधारी।
- पूरे श्रावण के दौरान होता है मंदिर का विशेष शृंगार।
- इस मंदिर में रखी प्लेटों की भी पूजा की जाती है।
खरगोन, बन्हेर। श्रावण माह में भगवान शिव की भक्ति और पूजन का एक विशेष महत्व है। इस महीने में शिव भक्त भगवान की भक्ति के लिए विशेष महत्व रखने वाले शिवलिंग का दर्शन कर धर्मलाभ कमाते हैं। इसी कड़ी में जिले के ग्राम बन्हेर में 800 साल पुराने भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग और माता पार्वती के हस्तकमल यानी जलाधारी का निर्माण एक ही पत्थर पर है। इसे दो भागों में नहीं बनाया गया है।
स्वयंभू भी है शिवलिंग
मान्यता है यह शिवलिंग प्राचीन होने के साथ स्वयंभू भी है। गांव के बुजुर्ग व्यक्तियों ने बताया कि करीब 50 साल पहले गांव में अधिक लोगों नहीं रहते थे। इसी कारण से पहले के समय सुनसान झाड़ियां के बीच खुले आसमान के नीचे यह शिवलिंग स्थापित था। उस समय इस शिवलिंग को गांव में प्रतिस्थापित करने के लिए ग्रामीणों द्वारा इस स्थान पर खुदाई की गई थी।
नहीं चल पाया गहराई का पता
- जमीन के अंदर करीब 10 फीट खुदाई करने के बाद भी शिवलिंग निर्मित पत्थर की गहराई का पता नहीं चल सका।
- इससे यह शिवलिंग दूसरे स्थान पर प्रतिस्थापित नहीं हो पाया। वहीं बदलते समय के अनुसार गांव में ग्रामीणों की संख्या बढ़ी।
- इसके बाद लोगों द्वारा इस स्थान की साफ सफाई करके खुले में स्थापित शिवलिंग की पूजा अर्चना करना आरंभ किया गया।
- वर्ष 2009 में स्थानीय हरिओम मित्र मंडल द्वारा सार्वजनिक दान राशि से भव्य शिवालय का निर्माण करा दिया गया है।
- मंदिर निर्माण के अवसर पर यहां पधारे नन्हेश्वर धाम के संत हरिओम बाबा द्वारा शिवलिंग के दर्शन करके अनुमानित 800 साल पुराना शिवलिंग होने की बात कही गई थी।
- नवनिर्मित शिवालय का नामकरण ओंकारेश्वर कोठी स्थित एक रोटी आश्रम के संत श्री शिवोहम भारती द्वारा गांव बन्हेर के नाम पर आधारित बनेश्वर महादेव मंदिर किया गया है।
वर्ष भर आते हैं श्रद्धालु
पूरे साल श्रद्धालु बड़ी संख्या में प्राचीन शिवलिंग के दर्शन करने यहां आते हैं। हर वर्ष श्रावण महीने में यहां से कावड़ यात्रा भी निकलती है। यहां के अति प्राचीन शिवालय में प्रति वर्षानुसार इस बार भी पूरे श्रावण मास में प्रतिदिन शिवलिंग का विभिन्न स्वरूपों में आकर्षक एवं मनमोहक शृंगार किया जा रहा है। प्रतिदिन यह नव शृंगार सपना यादव, अमरावती रावत और उनकी महिला मंडली द्वारा किया जाता है।
मंदिर क्षेत्र में मिली थी प्राचीन भाषा में लिखी प्लेटें
- स्थानीय 70 वर्षीय बुजुर्ग तोताराम यादव ने बताया कि करीब 50 साल पहले उन्हें लौह धातु की भारी भरकम आठ बाय 10 साइज की तीन प्लेटें मंदिर क्षेत्र में गड़ी हुई मिली थी।
- तीनों प्लेटों पर आगे पीछे अनजान भाषा कुछ लिखा हुआ है। साथ ही तीनों प्लेटें एक अजीब से कड़े (ताले) में पिरोई हुई हैं।
- तब से घर पर पूजा स्थल पर रखी प्लेटों की महिलाएं रोज पूजा करती हैं। उन प्लेटों में किसके संबंध में क्या लिखा है। उन्हें कुछ नहीं मालूम है।
- हरिओम मित्र मंडल के संस्थापक संजू बाबा ने बताया कि मंदिर निर्माण के पहले इस स्थान पर शिवलिंग के अलावा नंदी महाराज और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी थीं, लेकिन अर्धक्षतिग्रस्त थी।
- मंदिर निर्माण के समय शिवलिंग व नंदी महाराज की मूर्तियों पर रेत और सीमेंट से मरम्मत करवाई गई थी।