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New Criminal Laws: नए कानून के तहत रायपुर के मंदिर हसौद थाना में पहली FIR दर्ज, आरोपी पर लगी ये धारा

नए कानून लागू (New Criminal Law) होने के बाद रायपुर के अलग-अलग थानों में उत्साह देखने को मिला। विधायक और मंत्री भी थाने में पहुंचे। वहीं थानों का जब जायजा लिया गया तो पाया गया की एफआइआर दर्ज करने वाले मुंशी पूरे दिन नए और पुराने कानून को समझने से लेकर धाराओं को अध्ययन करते मिले।

HIGHLIGHTS

  1. नया अपराध कानून लागू होने के बाद नए और पुराने कानून को समझने में जुटे पुलिसकर्मी
  2. अमित सिंह राजपूत के खिलाफ गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देने का अपराध दर्ज
  3. आरोपित के खिलाफ धारा 296, 351 (2) भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत अपराध पंजीबद्ध

रायपुर। रात 12 बजे एक जुलाई (सोमवार) से देशभर में नया कानून लागू हो गया। इसके साथ ही अंग्रेजों के जमाने का कानून खत्म हो गया। नए कानून के तहत जिले में पहली एफआइआर मंदिर हसौद थाने में दर्ज की गई। रात 1:00 बजे जिले के मंदिर हसौद थाने में मारपीट के मामले में एफआइआर हुई। नए कानून के अस्तित्व में आने पर सोमवार को सभी थानों में उत्सव मनाया गया।

 
राजधानी के मंदिर हसौद थाना में नोहर दास रात्रे की रिपोर्ट पर पुलिस ने अमित सिंह राजपूत के खिलाफ गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देने का अपराध दर्ज किया है। धारा 296, 351 (2) भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है।

पहले यह 294, 506 आइपीसी के तहत दर्ज होता था। इसके बाद अभनपुर पुलिस ने संतोष सिंह की शिकायत पर रात तीन बजे मर्ग कायम किया है। परसदा में बीमारी से परेशान होकर टीकम निषाद की खुदकुशी कर ली। पूर्व में मर्ग में सीआरपीसी की धारा 174 लगती थी, बीएनएसएस में नई धारा 194 दर्ज की गई है।

नई धारा देखने चार्ट की मदद

नए कानून लागू होने के बाद शहर के अलग-अलग थानों में उत्साह देखने को मिला। विधायक और मंत्री भी थाने में पहुंचे। वहीं थानों का जब जायजा लिया गया तो पाया गया की एफआइआर दर्ज करने वाले मुंशी पूरे दिन नए और पुराने कानून को समझने से लेकर धाराओं को अध्ययन करते मिले।

एक जुलाई के पहले के अपराध की जांच पूर्व की तरह

एक जुलाई से पहले जो अपराध दर्ज किए गए हैं। उसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा। वह जांच उसी आधार पर की जाएगी। नए जांच नए धाराओं के तहत होगी। जिसके लिए समय सीमा तय की गई है।

भूतपूर्व डायरेक्टर जरनल आरएन माथुर ने कहा, काफी समय से नए कानून की जरूरत थी। नया कानून न्याय दिलाने की दिशा की ओर है। पीडितों को भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए कानून में न्याय के ऊपर कानून हावी था। यह पीड़ितों के लिए उत्सव मनाने का समय है।

रिटायर्ड डीजीपी डीएम अवस्थी ने कहा, पुराना कानून अंग्रेजों के समय का था। उस समय को देखते हुए कानून बनाया गया था। काफी समय से बदलाव की जरूरत थी। नया कानून समय के अनुकूल है। इससे लोगों का फायदा होगा। वर्तमान को देखते हुए न्याय पर फोकस किया गया है।

यह कानून बदला

– भारतीय दंड संहिता 1860 (आइपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता-2023 (बीएनएस)

– दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 (बीएनएसएस)

– भारतीय साक्ष्य अधिनियम-1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023

 

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