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Amarnath Yatra 2024: आज हुई बाबा बर्फानी की प्रथम पूजा, 29 जून से होगी अमरनाथ यात्रा की शुरुआत

हर साल प्रथम पूजा के बाद ही अमरनाथ यात्रा की शुरुआत की जाती है। अमरनाथ धाम की तीर्थयात्रा के लिए श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। इस तरह की व्यवस्था की गई है कि भक्त आराम से बाबा बर्फानी के दर्शन कर पाएंगे। श्राइन बोर्ड ने इस साल 6 लाख श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की है।

HIGHLIGHTS

  1. अमरनाथ यात्रा से पहले प्रथम पूजा की परंपरा
  2. सामने आई बाबा बर्फानी की पहली तस्वीर
  3. 52 दिनों तक की चलेगी अमरनाथ यात्रा

धर्म डेस्क, इंदौर। Amarnath Yatra 2024: हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक अमरनाथ है। जम्मू-कश्मीर में हिमालय में स्थित एक पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी विराजित है। यहां हर साल प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनता है। बर्फ से निर्माण होने के कारण इस शिवलिंग को बाबा बर्फानी भी कहते हैं।

हर साल यहां दर्शन के लिए पुलिस-प्रशासन के सहयोग से विशेष यात्रा निकाली जाती है। इसे अमरनाथ यात्रा कहते हैं। इस यात्रा में लाखों लोग यहां दर्शन करने आते हैं। आज यानी 22 जून को बाबा बर्फानी की प्रथम पूजा के साथ अमरनाथ तीर्थ यात्रा (Amarnath Yatra) की औपचारिक शुरुआत कर दी गई है।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने की प्रथम पूजा

बाबा बर्फानी की प्रथम पूजन में अमरनाथ यात्रा के शांतिपूर्वक संचालन के लिए भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया गया। इसमें जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (LG) मनोज सिन्हा भी राजभवन से वर्चुअली शामिल हुए। यह परंपरा है कि अमरनाथ गुफा में राज्यपाल/उपराज्यपाल द्वारा ही शिवलिंग की प्रथम पूजा की जाती है।

इस बार अमरनाथ तीर्थ यात्रा की शुरुआत 29 जून से हो रही है, जो 19 अगस्त तक चलेगी। इस बार तीर्थ यात्रा पूरे 52 दिनों की रहेगी। अमरनाथ यात्रा में शामिल होने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।

यात्रियों के लिए विशेष इंतजाम

अमरनाथ यात्रा के लिए आधिकारिक वेबसाइट https://jksasb.nic.in पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। इस बार श्रद्धालुओं के लिए दोनों रास्तों पर 5G नेटवर्क की सुविधा शुरू की है। साथ ही इनके खाने की व्यवस्था और सेहत पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। सड़कें 14 फीट तक चौड़ी कर दी गई हैं, रास्तों से बर्फ हटाकर रास्ते साफ किए गए हैं।

बाबा बर्फानी की गुफा जम्मू-कश्मीर के बर्फीले पहाड़ों से घिरी हुई है। कहा जाता है कि प्राकृतिक रूप से बनने वाला बर्फ का यह शिवलिंग चंद्रमा की रोशनी के साथ बढ़ता और घटता है। श्रावण पूर्णिमा पर ये शिवलिंग पूर्ण आकार में होता है और फिर धीरे-धीरे घटता जाता है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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