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खंबे लगा कर कनेक्शन दिए, पर सौर ऊर्जा से रोशन हो रहा गांव, परंपरागत बिजली पहुंच से दूर

500 की आबादी वाली बारी उमराव गांव में नहीं पहुंची परंपरागत बिजली ग्रामीण बिजली की सुविधा से वंचित हैं। जो दिया तले अंधेरा वाली कहावत को चारितार्थ कर रही है।

HIGHLIGHTS

  1. पावर हब के रूप में कोरबा जिला की पहचान।
  2. दुर्भाग्य की बात है कि कोरबा जिले के ही कई गांव जहां बिजली नहीं पहुंच सकी है।
  3. एक्टिव नहीं हुआ बीएसएनल टावर।
 कोरबा। ग्राम पंचायत बारी उमराव में परंपरागत बिजली की सुविधा से लोग अब तक वंचित हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने और सुविधा से लाभान्वित करने के लिए इस गांव में बिजली कंपनी द्वारा खंबे लगाने से लेकर उपभोक्ताओं को कनेक्शन देने की कार्रवाई जरूर की गई, लेकिन यहां की जनता अभी भी केवल सौर ऊर्जा पर ही टिकी हुई है। मौजूदा स्थिति में लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि बिजली कंपनी ने उनके गांव में खंभे और मीटर लगाने का काम आखिर किसलिए किया।
 

छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पावर हब के रूप में कोरबा जिला की पहचान बनी हुई है। अकेले छत्तीसगढ़ इलेक्ट्रिसिटी पावर जेनरेशन कंपनी की तीन परियोजनाएं यहां काम कर रही हैं । इसके अलावा भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रम नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन की कोरबा परियोजना भी संचालित है।

इनके द्वारा उत्पादित बिजली से छत्तीसगढ़ और अन्य राज्य रोशन हो रहे हैं, पर दुर्भाग्य की बात है कि कोरबा जिले के ही कई गांव ऐसे हैं, जहां बिजली नहीं पहुंच सकी है और ग्रामीण बिजली की सुविधा से वंचित हैं। जो दिया तले अंधेरा वाली कहावत को चारितार्थ कर रही है। जिला मुख्यालय से 57 किलोमीटर दूर पाली विकासखंड के ग्राम पंचायत बारीउमरांव में बिजली को लेकर अजीबोगरीब स्थिति बनी हुई है, वह भी स्वाधीनता के 75 साल बीतने और अभिभाजित मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ गठन के 24 वर्ष बाद।

छत्तीसगढ़ के पावर हब जिले का यह गांव आज भी बिजली की सुविधा से कोसो दूर है। लगभग 500 की आबादी इस गांव में निवासरत है जो परंपरागत बिजली के मामले में केवल सपने देख रही है। लोग इसी बात से तसल्ली कर रहे हैं कि उनके गांव में सात साल पहले बिजली के खंभे लगा दिए गए और उपभोक्ताओं के यहां कनेक्शन भी दे दिए गए। ग्रामीणों ने सोचा था कि दूसरे इलाकों की तरह उनके क्षेत्र भी बिजली से रोशन होगा लेकिन सब दिवास्वप्न हो गया।

कुछ मोहल्लों में दिखी रोशनी

इस गांव में रहने वाले लोगों ने बताया कि विद्युत वितरण कंपनी के ठेकेदार ने कई साल पहले उनके यहां बिजली के खंभे और बिजली की लाइन भी बिछा कर मीटर लगा दिया। बिजली आज तक नहीं आई। कुछ मोहल्लों में महीने में एक या दो बार कुछ घंटों के लिए बिजली आती है, लेकिन कुछ मोहल्लों में आज तक बिजली नहीं आई। बिना बिजली के विद्युत विभाग द्वारा भारी भरकम बिजली का बिल भेज दिया जाता है। भला हो ग्रामीणों ने अपनी समझदारी से सरकारी तंत्र पर दबाव बनाया और यहां सौर ऊर्जा की व्यवस्था कर ली जिससे उनके घरों को रोशनी मिल रही है और उनकी सामान्य जरूरत पूरी हो रही है।

एक्टिव नहीं हुआ बीएसएनल टावर

संचार क्रांति के अंतर्गत कई प्रकार की कोशिश की जा रही है इसी के अंतर्गत भारत संचार निगम लिमिटेड के द्वारा इस गांव में सुविधा देने और मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी देने के लिए टावर तो खड़ा कर दिया, लेकिन वह केवल शो पीस ही बनकर खड़ा है। दूसरी कंपनी से मिलने वाले नेटवर्क के सहारे स्थानीय लोग मोबाइल की उपयोगिता सुनिश्चित कर पा रहे हैं। यहां के बच्चे मोबाइल के टोर्च से पढ़ाई करने को मजबूर है। शिकायतों के बाद भी विद्युत विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

 

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