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World Environment Day: भूमि को पुनर्जीवित करने स्टूडेंट ने बनाई अनोखी लीफ ग्रैंडिंग मशीन

प्राकृतिक रूप से उर्वरा शक्ति से भरपूर यह खाद भूमि को पुनर्जीवित करने पूरी तरह से सक्षम है। हमारी भूमि, हमारा भविष्य है। इस ध्येय वाक्य के साथ भारतमाता आंग्ल माध्यम शाला इको क्लब नेचर बाडीज से जुड़े नवाचारी स्टूडेंट ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।

HIGHLIGHTS

  1. वृक्षों की सूखी पत्तियों को 30 दिन में बना देता है कंपोस्ट खाद्य।
  2. छग पर्यावरण संरक्षण मंडल  रायपुर ने भी नवाचार को सराहा।
  3. रासायनिक उर्वरक नहीं अब प्राकृतिक

बिलासपुर। भारतमाता आंग्ल माध्यम शाला रेलवे कालोनी के स्टूडेंट ने एक बार फिर कमाल किया है। इको क्लब नेचर बाडीज से जुड़े बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण को महत्व देते हुए एक ऐसी अनोखी मशीन तैयार की है, जो वृक्षों की सूखी पत्तियों को महीन कर उसे मात्र 30 दिन में कंपोस्ट खाद में बदल देते हैं।

प्राकृतिक रूप से उर्वरा शक्ति से भरपूर यह खाद भूमि को पुनर्जीवित करने पूरी तरह से सक्षम है। हमारी भूमि, हमारा भविष्य है। इस ध्येय वाक्य के साथ भारतमाता आंग्ल माध्यम शाला इको क्लब नेचर बाडीज से जुड़े नवाचारी स्टूडेंट ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। छात्रा हिमांगी हालदार ने अपने रिसर्च टीम के साथ मिलकर एक खास लीफ ग्रैंडिंग मशीन का निर्माण किया है। इसकी सबसे अच्छी विशेषता यह कि मशीन कुछ ही मिनट में वृक्ष के सूखे पत्तों को बारिक काट देती है। इसे एकत्र कर टीम के सदस्य ग्रीन स्टोर में पानी का छिड़काव कर कंपोस्ट खाद बनाते हैं, इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 30 दिन का समय लगता है।

आमतौर पर वृक्ष के पत्तों को खाद के रूप में परिवर्तित होने में 90 दिन से अधिक का समय लगता है। ऐसा इसलिए कि इसमें समय-समय पर पानी के साथ इसे पलटते रहते हैं। यह कंपोस्ट खाद्य इतना उपजाऊ है कि भूमि को उर्वराशक्ति को बढ़ाने में भी सक्षम है। वहीं शहर में बड़ी संख्या में वृक्ष हैं जिनके पत्तों को कचरा के बजाए एकत्र कर खाद बनाई जा सकेगी।

रासायनिक उर्वरक नहीं अब प्राकृतिक

शाला के विज्ञान शिक्षक पानू हालदार के दिशा निर्देशन में तैयार यह खाद किसी भी प्रकार से मिट्टी में उपस्थित जीवाणुओं को नुकसान नहीं पहुंचाते। उसकी उर्वरा को बनाए रखने में भी सक्षम है। मरुस्थलीकरण को रोकने में सबसे उत्तम है। यह रसायनिक उर्वरकों को प्राकृतिक में बदल देता है। पोषक तत्वों से भरपूर इस खाद से कोई हानि नहीं होती।

छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण ने सराहा

नवाचारी बच्चों के इस प्रयोग को लेकर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल  रायपुर ने इको क्लब के प्रयास को सराहा है। शाला के प्राचार्य फादर सलीन पी का कहना था कि छात्र छात्राओं की रिसर्च टीम कई महीनों से इस पर काम कर रही है। खाद में उपस्थित पोषक तत्वों व उसके उपयोग की जानकारी के बाद हमने पाया कि यह बंजर भूमि को भी हराभरा बना देगी। पर्यावरण को लेकर बच्चों की यह सोच मील का पत्थर साबित होगा।

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