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Bilaspur News: प्रतिबंधित कहुआ लकड़ी की चिराई, आरा मिल सील

सुबह छह बजे के लगभग एक स्टाफ को आरा मिल में भेजा गया। वह ग्राहक बनकर पहुंचा और लकड़ी देखने के बहाने पूरे आरा मिल को खंगाल लिया। जब उसने कहुआ होने की पुष्टि की, तब वन विभाग ने योजना बनाकर छापामार कार्रवाई की।

HIGHLIGHTS

  1. बिल्हा मोड के पास साईं सा मिल में वन विभाग की बड़ी कार्रवाई
  2. ग्राहक बनकर पहुंचा स्टाफ, पुष्टि के बाद दी दबिश
  3. टीम ने मिल से पांच लाख रुपये की अर्जुन लकड़ी बरामद की है।

बिलासपुर। बिल्हा मोड के पास एक आरा मिल में प्रतिबंधित कहुआ (अर्जुन) लकड़ी की चिराई हो रही थी। मामले में संचालक के खिलाफ अपराध दर्ज कर मिल को सील बंद कर दिया गया है। वहीं आरा मिल से 664 कहुआ का गोला, तखत, रम्दा मशीन, कटर मशीन जब्त की गई है। इस कार्रवाई आरा मिल संचालक सकते में हैं। कहुआ संकटग्रस्त प्रजाति है। यही कारण है कि संरक्षण व सुरक्षा के मद्देनजर इसकी कटाई और परिवहन दोनों पर राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है।

 

सख्ती के बाद भी वन मंडल को बिल्हा मोड़ के पास संचालित साईं सा मिल में इस प्रजाति के लकड़ी की चिरान करने की जानकारी मिली। वनमंडलाधिकारी सत्यदेव शर्मा ने प्रशिक्षु आइएफएस व उप वनमंडलाधिकारी अभिनव कुमार के नेतृत्व टीम बनाई। टीम में शामिल सदस्यों को सुबह नौ बजे के करीब वनमंडल कार्यालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए। लेकिन, किसी को यह नहीं बताया गया कि छापामार कार्रवाई किस क्षेत्र के किस आरा मिल में करनी है। इसी गोपनीयता के साथ टीम साईं सां मिल हिर्री में दबिश दी।

जहां पर भारी मात्रा में प्रतिबंधित प्रजाति के कहुआ का गोला व चिरान रखा हुआ था। अर्जुन प्रजाति का वृक्ष एक औषधि वृक्ष प्रजाति है। पूछताछ में यह पता चला कि इस मिल का संचालक ललित उपाध्याय है। मौके पर उसका बेटा मिल का संचालन कर रहा था। वह टीम को प्रतिबंधित अर्जुन प्रजाति के लकड़ी रखने या चिरान करने के संबंध में कोई भी कागजात प्रस्तुत नहीं कर पाया।

इतना ही नहीं सा मिल के संचालन के संबंध में आवक-जावक रजिस्टर का कभी संधारण भी नहीं किया गया। यही नहीं मिल के प्रांगण में बिना किसी वैध लाइसेंस के कटर मशीन का संचालन किया जा रहा था। काष्ट चिरान अधिनियम का उल्लंघन पाए जाने पर वन विभाग ने काष्ठ चिरान अधिनियम 1984 के तहत वन अपराध पंजीबद्ध कर सा मिल को सील बंद किया। इसके बाद जब्ती की कार्रवाई की गई। टीम ने मिल से पांच लाख रुपये की अर्जुन लकड़ी बरामद की है।

जिसे राजसात करने की कागजी प्रक्रिया चल रही है। इस कार्रवाई में प्रशिक्षु आइएफएस के अलावा बिलासपुर वन परिक्षेत्र अधिकारी पल्लव नायक, बेलतरा सर्किल फारेस्ट आफिसर वेद प्रकाश शर्मा, जितेंद्र साहू, नमित तिवारी, अब्दुल हाफिज खान, बीट फारेस्ट आफिसर नीतीश भार्गव, पन्ना लाल जांगड़े, ललित श्रीवास, रामाधार बंजारे, रविन्द्र महिलांगे शामिल रहें।

ग्राहक बनकर पहुंचा स्टाफ, पुष्टि के बाद दी दबिश

मुखबिर के माध्यम से इस आरा मिल में कहुआ की चिराई होने की सूचना मिली थी। इसकी पुष्टि करने के लिए सुबह छह बजे के लगभग एक स्टाफ को आरा मिल में भेजा गया। वह ग्राहक बनकर पहुंचा और लकड़ी देखने के बहाने पूरे आरा मिल को खंगाल लिया। जब उसने कहुआ होने की पुष्टि की, तब वन विभाग ने योजना बनाकर छापामार कार्रवाई की।

महुआ लकड़ी व 60 क्विटंल जलाऊ भी बरामद

साईं सा मिल में वन विभाग की टीम को कहुआ गोला व चिरान के अलावा 60 क्विवंटल जलाऊ भी जब्त किया। इसके अलावा महुआ प्रजाति के आठ गोला भी बरामद किया। मालूम हो कि वन विभाग ने पहली बार इतनी भारी मात्रा में कहुआ की जब्त की है।

उड़नदस्ता की कार्यशैली पर उठे सवाल

बिलासपुर वनमंडल में अलग से उड़नदस्ता का गठन किया गया है। इस विशेष दल का कार्य वन से जुड़े अपराध पर नियंत्रण करना है। इसके लिए दल के सदस्यों को लगातार सर्चिंग करनी है। सर्चिंग के दौरान सड़क मार्ग पर जांच और आरा मिल में भी जाकर जांच करनी है। लेकिन, वन मंडल का उड़नदस्ता अमला पूरे समय कार्यालय में मौजूद रहता है। जब अधिकारी निर्देश देते हैं, तब जांच करने के लिए जाते हैं। यदि उड़नदस्ता सख्त रहता है तो इस आरा मिल की लापरवाही पहले ही उजागर हो जाती। इसके लिए वन अफसरों ने उड़नदस्ता पर नाराजगी भी जाहिर की है।

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