Vat Savitri Vrat: रोहिणी नक्षत्र और धृति योग में सुहागिन महिलाएं रखेंगी वट सावित्री व्रत, यह है महत्व
यह व्रत स्त्रियों के लिए सौभाग्यर्धक, पापहारक, दुख प्रणाशक और धन-धन्य प्रदान करने वाला होता है। इसमें ब्रह्मा, शिव, विष्णु एवं स्यवं सावित्री भी विराजमान रहती है।
HIGHLIGHTS
- इस दिन सूर्यपुत्र शनि की जयंती, रोहिणी नक्ष एवं धृति योग भी विद्यमान रहेगा।
- इस बार वट सावित्री व्रत पर ग्रहों की स्थिति भी शुभकारी है।
- यह व्रत स्त्रियों के लिए सौभाग्यर्धक, पापहारक, दुख प्रणाशक और धन-धन्य प्रदान करने वाला होता है।
भोपाल। भोपाल। अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर सुहागिन महिलाएं छह जून को ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या से युक्त रोहिणी नक्षत्र व धृति योग में वट सावित्री का व्रत करेंगी। इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा कर महिलाएं देवी सावित्री के त्याग, पति प्रेम एवं पतिव्रत धर्म का स्मरण करती हैं।
इस दिन सूर्यपुत्र शनि की जयंती, रोहिणी नक्ष एवं धृति योग भी विद्यमान रहेगा। इस बार वट सावित्री व्रत पर ग्रहों की स्थिति भी शुभकारी है। व्रत के दिन बरगद व पीपल की पूजा करने से शनि, मंगल और राहु के अशुभ प्रभाव से छुटकारा मिलता है। इस दिन शनि ग्रह की शांति के लिए इसका बड़ा महत्व है।
यम के भय को दूर करता है वट वृक्ष
वैदिक ग्रंथों, उपनिषाद व पौराणिक ग्रंथों में मृत्यु को भी चुनौती देने वाले वट प्रजाति के वृक्षों में बरगद को अमूल्य बताया गया है। इसकी जड़, छाल, पता, दूध, छाया और हवा न सिर्फ मनुष्यों बल्कि पृथ्वी, प्रकृति एवं जीव- जंतुओं के लिए जीवन रक्षक माना गया है।
मिलेगा अखंड सुहाग का वरदान
मिलेगा अखंड सुहाग का वरदान ब्रह्मा-वैवर्तपुराण व स्कंद पुराण के अनुसार वट सावित्री का व्रत एवं इसकी पूजा व परिक्रमा करने से सुहागिनों को अखंड सुहाग, पति की दीघार्यु, उत्तम स्वास्थ्य, वंश वृद्धि, दांपत्य जीवन में सुख शांति और वैवाहिक जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं।