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पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में बैक डोर से नियुक्त 400 कर्मचारियों को हटाने की तैयारी, बजट का हवाला देकर विभाग ने दिए आदेश

Chhattisgarh News: छत्‍तीसगढ़ में आबकारी विभाग के बाद सबसे बड़ा राजस्व देने वाले वन विभाग के रायपुर वन वृत्त में कार्यरत करीब 400 दैनिक वेतन भोगियों को हटाने की तैयारी की जा रही है।

HIGHLIGHTS

  1. बजट का हवाला देकर मुख्य वन संरक्षक ने दिए आदेश l
  2. तीन महीने से दैनिक वेतनभोगी श्रमिकों को नहीं मिला है वेतनl

रायपुर। Chhattisgarh News: छत्‍तीसगढ़ में आबकारी विभाग के बाद सबसे बड़ा राजस्व देने वाले वन विभाग के रायपुर वन वृत्त में कार्यरत करीब 400 दैनिक वेतन भोगियों को हटाने की तैयारी की जा रही है। दरअसल मुख्य वन संरक्षक ने बजट का हवाला देते हुए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी और दैनिक श्रमिकों को हटाने का आदेश दिया है। ये सारी नियुक्तियां पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में की गई थीं।

गौरतलब है कि नईदुनिया में 18 दिसंबर 2023 के अंक में रायपुर वन मंडल में बैक डोर से 750 कर्मचारियों की भर्ती, अफसरों के यहां डाग केयर, कब्रिस्तान में की गई नियुक्ति शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि जंगल विहीन रायपुर वन मंडल में बैक डोर से बड़ी संख्या में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की भर्ती के खेल में वन अधिकारियों ने खुलकर कांग्रेस नेताओं का साथ दिया था। उनके चहेते लोगों को चौकीदार, ड्राइवर, बाबू, कंप्यूटर आपरेटर आदि के पद पर काम पर रखा गया था।
छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि वरिष्ठ दैनिक वेतन भोगियों और श्रमिकों को कार्य से पृथक होने का डर सता रहा है। पूर्ववर्ती सरकार ने श्रमायुक्त दर पर कार्य करने वाले उच्च कुशल, कुशल, अर्धकुशल, अकुशल श्रमिकों को चार हजार रुपये श्रम सम्मान राशि देने की घोषणा की थी और अगस्त 2023 से ही भुगतान करना प्रारंभ कर दिया था, लेकिन रायपुर मुख्य वन संरक्षक ने श्रमायुक्त दर में कार्य करने वाले श्रमिकों को बजट का हवाला देकर कार्य से पृथक करने के उद्देश्य से कम स्वीकृति दी है।

तीन महीने से नहीं मिला वेतन

संघ का कहना है कि छत्तीसगढ़ के अन्य वृत्त कार्यालय, वन मंडल कार्यालय, रेंज कार्यालय में काम करने वाले प्रोग्रामर, सहायक प्रोग्रामर, डाटा एंट्री आपरेटर, कंप्यूटर आपरेटरों के साथ क्यों अन्याय हो रहा है। दैनिक वेतन भोगी पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिलने से परेशान हैं। दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों के वेतन कटौती कर संविदा के समतुल्य वेतन प्राप्त करने वाले जाब दर में कार्यरत प्रोग्रामर, सहायक प्रोग्रामर, डाटा एंटी आपरेटर, कंप्यूटर आपरेटरों को चार हजार रुपये श्रम सम्मान राशि वेतन में बढ़ोतरी करने का आदेश दिया गया है। यह शासन के नियमों के विपरित है। चार हजार रुपये की बढ़ोतरी केवल रायपुर स्थित कार्यालयों में कार्य करने वाले प्रोग्रामर, सहायक प्रोग्रामर, डाटा एंट्री व कंप्यूटर आपरेटरों की हुई है।

कर्मचारियों में नाराजगी

मुख्य वन संरक्षक रायपुर की ओर से बजट में कटौती कर श्रमिकों को हटाने को लेकर कर्मचारियों में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि भाजपा सरकार के मंत्री और नेता नियमितीकरण प्रक्रिया आरंभ करने की बातें कहते हैं, वही दूसरी तरफ वन विभाग के आला अधिकारी छंटनी करने में जुटे हैं। इस समस्या को लेकर कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों ने वनमंत्री, मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग, वन विभाग के सचिव को आवेदन दिया है।

उनका कहना है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने दैनिक वेतन भोगी, श्रमिकों के लिए 240 करोड़ रुपये सभी सरकारी विभागों में श्रमायुक्त दर पर कार्यरत 50 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए घोषणा की थी। वहीं जाब दर कर्मियों को चार हजार रुपये श्रम सम्मान देने के आदेश को निरस्त करने की मांग संगठन ने की है।

आदेश निरस्त नहीं होने पर दी घेराव करने की चेतावनी

दैवेभो वन कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि महासमुंद वन मंडल में 250 से ऊपर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी और श्रमिक कार्यरत हैं, उसके बाद भी मुख्य वन संरक्षक रायपुर ने केवल 69 दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों की स्वीकृति दी, जिसमें 156 लोग कार्य से प्रभावित हो रहे हैं।

रायपुर मुख्य वन संरक्षक से ऐसी अपेक्षा नहीं थी, लेकिन जाब दर वालों को संतुष्ट करने श्रमिकों के वेतन में कटौती कर उनकी भरपाई कर रहे हैं यह उचित नहीं है। जबकि अनावश्यक रूप से वर्ष 2017 के बाद अधिक श्रमिक रखे गए थे। अगर वन विभाग में प्रोग्रामर, सहायक प्रोग्रामर, डाटा एंट्री आपरेटर, कंप्यूटर आपरेटर का वेतन बढ़ाना ही है तो पूरे छत्तीसगढ़ में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का वेतन बढ़ाएं। संघ ने हटाने का आदेश निरस्त नहीं होने पर वन मंत्री, मुख्यमंत्री के बंगले का घेराव करने की चेतावनी दी है।

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